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जानिए, स्वच्छता अभियान की मुखिया आईएएस विजयलक्ष्मी जोशी ने इस्तीफा क्यों दिया

केंद्र सरकार की एक वरिष्ठ अधिकारी विजयलक्ष्मी जोशी ने अपनी नौकरी से हाथ धो लिये हैं। वे मूलतः गुजरात केडर की हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए कारण यह बताया है कि उनके माता-पिता की तबियत बहुत खराब रहती है। उन्हें उनकी सेवा करनी है। यह तो बहाना है। असली कारण यह है कि प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान सफल नहीं हो पा रहा है। उसके कारण सरकार की काफी बदनामी हो रही है। मजाक उड़ा रहे हैं लोग। जाहिर है कि ऐसी बातों से सरकार नाराज़ होगी।

<p>केंद्र सरकार की एक वरिष्ठ अधिकारी विजयलक्ष्मी जोशी ने अपनी नौकरी से हाथ धो लिये हैं। वे मूलतः गुजरात केडर की हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए कारण यह बताया है कि उनके माता-पिता की तबियत बहुत खराब रहती है। उन्हें उनकी सेवा करनी है। यह तो बहाना है। असली कारण यह है कि प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान सफल नहीं हो पा रहा है। उसके कारण सरकार की काफी बदनामी हो रही है। मजाक उड़ा रहे हैं लोग। जाहिर है कि ऐसी बातों से सरकार नाराज़ होगी।</p>

केंद्र सरकार की एक वरिष्ठ अधिकारी विजयलक्ष्मी जोशी ने अपनी नौकरी से हाथ धो लिये हैं। वे मूलतः गुजरात केडर की हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए कारण यह बताया है कि उनके माता-पिता की तबियत बहुत खराब रहती है। उन्हें उनकी सेवा करनी है। यह तो बहाना है। असली कारण यह है कि प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान सफल नहीं हो पा रहा है। उसके कारण सरकार की काफी बदनामी हो रही है। मजाक उड़ा रहे हैं लोग। जाहिर है कि ऐसी बातों से सरकार नाराज़ होगी।

इस अभियान की मुखिया विजयलक्ष्मी जोशी हैं। जोशी पर प्रधानमंत्री कार्यालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने काफी दबाव बना रखा था। जोशी का कहना है कि वह उस अभियान को चलातीं लेकिन न तो उसके लक्ष्य स्पष्ट हैं और न ही उसके तौर-तरीके। प्रधानमंत्री हर मामले में कुछ भी फैसला खुद कर लेते हैं और उसे लागू करने की जिम्मेदारी अफसरों पर डाल देते हैं।

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जोशी का इस्तीफा पहला नहीं है। इसके पहले दो गृह-सचिवों की छुट्टी हो चुकी है और एक विदेश सचिव की! डीआरडीओ के मुखिया ने भी अपना पद छोड़ दिया था। यदि वरिष्ठ अफसरों के नौकरी छोड़ने की रफ्तार यही रही तो मोदी के प्रधानमंत्री रहते-रहते आधे मंत्रालय तो अपने वरिष्ठ अफसरों से वंचित हो जाएंगे। यह स्थिति मोदी की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न-चिन्ह लगाती है। हमारे अफसर जरूरत से ज्यादा आज्ञाकारी होते हैं। उनके मुकाबले हमारे नेताओं की योग्यता और क्षमता चाहे कितनी भी कम हो, वे उनके साथ प्रायः अच्छा तालमेल बिठा लेते हैं। आश्चर्य है कि गुजरात केडर की एक अफसर का मोदी से तालमेल नहीं बैठा।

यह हो सकता है कि मोदी काफी मुस्तैदी चाहते हों और अफसर लोग उनकी रफ्तार को पकड़ न पाते हों लेकिन वे इस्तीफा दे देते हैं तो यह सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। यदि वे अयोग्य पाए गए तो प्रश्न यह भी उठता है कि प्रिय नेताजी! आप में योग्य अफसरों को चुनने की भी योग्यता है या नहीं? इस तरह की घटनाओं से हो सकता है कि शेष अफसर ज़रा ज्यादा सचेत हो जाएं। इसका उल्टा भी हो सकता है। सारे नौकरशाह निराश हो जाएं। नौकरशाहों के दम पर चल रही इस सरकार को फूंक-फूंककर अपने कदम उठाने होंगे।

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डा. वेद प्रताप वैदिक जाने माने पत्रकार और स्तंभकार हैं.

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0 Comments

  1. Ravi Ranjan

    September 8, 2015 at 9:04 am

    What Bureaucrats do nothing, they can do anything, but not doing, Bureaucrats destroys the whole system, We need management type people who work fast and deliver result.

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