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कोई जिला संवाददाता एक साथ कुल कितने संस्थानों के लिए काम कर सकता है?

न्यूज़ चैनलों के मनेजमेंट से एक सवाल… कोई जिला संवाददाता एक साथ कितने संस्थानों के लिए कर सकता है काम… मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। बेहिचक, निर्भीक होकर सवाल जवाब करता है। लेकिन आज न्यूज चैनलों के मनेजमेंट और संपादकों से एक सवाल है, जो जेहन में काफी दिनों से है। इस सवाल से कुछ पत्रकारों को बुरा जरूर लगेगा, जिनका इन सवालों से किसी किस्म का जुड़ाव होगा। सवाल ये हैं-

1- क्या आपके न्यूज चैनल का जिला संवाददाता एक साथ कई अन्य चैनलों के लिए काम कर सकता है जिसे आपने स्टिंगर के तौर पर रखा हुआ है?

2- क्या आप आईडी देने से पहले यह नहीं पूछते कि वह किसी और संस्थान के लिए काम करता है या नहीं।

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3- चैनल की कुछ तो गाइड लाइन होगी, जैसे चैनल के आफिस में कार्यरत व्यक्ति किसी दूसरी संस्थान के लिए काम नहींं कर सकता क्या जिला संवाददाता के साथ ऐसा नहीं है।

4- अगर ऐसा है तो जिले में सिर्फ एक ही को सारी जिम्मेदारी दे दी जाए?

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एक पत्रकार होने के नाते यह सवाल मैंने इसलिए किया है कि मीडिया को समाज का आइना कहा जाता है लेकिन जब आइना पर धब्बे लगने लगे तो उसे पोछना जरूरी होता है। जरा सोचिए क्या आप को केवल वही पत्रकार दिखता है जो किसी अन्य चैनल के लिए काम कर रहा होता है? इस क्षेत्र में काम करने के बाद इतना तो जानता हूँ कि इसके भी दो पहलू हैं। इक तो आपकी सोर्स अच्छी हो दूसरा पैसा हो जो बिकी हुई माइक आईडी को खरीद सके।

पत्रकारिता को इतना भी व्यापार मत बना दीजिए कि चौथे स्तंभ से विश्वास ही हट जाए। अख़बार का जिला संवाददाता सिर्फ एक ही पेपर के लिए काम करता है तो न्यूज चैनलों में बैठे आलाधिकारी इस पर ध्यान क्यों नहीं देते कि उनका आदमी एक साथ इतने सारे चैनलों के लिए क्यों काम करता है। क्या पैरवी इतनी बड़ी हो जाती है कि सिद्धांत को बदल दें? एक साथ कई चैनलों की आईडी लेकर चलने वाले पत्रकारों को यह बात जरूर बुरी लगेगी। लेकिन मैं फिर भी न्यूज चैनलों के संपादकीय टीम / मैनेजमेंट टीम से निवेदन करूँगा कि इस बात पर थोड़ा ध्यान दें जिससे और भी युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिल सके।

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मेरी यह बात अगर किसी पत्रकार की भावना को ठेस पहुंचती है तो मुझे माफ करना। लेकिन यह कटु सत्य है इसलिए लिखना पड़ा। इस तरह के बहुत सारे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे।

एक पत्रकार की ओर से जागरूक करने के लिए

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Ravi Srivastava
[email protected]

https://www.facebook.com/bhadasmedia/videos/2440369262916015/
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2 Comments

2 Comments

  1. जय बहादुर सिंह

    May 5, 2019 at 10:38 am

    गम्भीर विषय है निश्चितरूप से न्यूजचैनलों में शीर्ष पर बैठे लोगों को गम्भीरता से विचार करते हुए ठोस निर्णय लेना चाहिए।

  2. Jitendra

    May 15, 2019 at 1:16 am

    सर बुरा हाल है फरीदाबाद में एक वरिष्ठ संवाददाता के पास इंडिया न्यूज़ हरियाणा, डीडी न्यूज़, पीटीसी न्यूज़ , पंजाब केसरी न्यूज़, डे एंड नाइट, MH1 न्यूज़, एक्सप्रेस न्यूज़, चैनलों की आईडी है अब आप अंदाजा लगाइए यह बुजुर्ग संवाददाता कैसे किसी एक पढ़े-लिखे नौजवान रिपोर्टर को कहां से मौका देने देंगे 7 चैनलों आईडी तो इन्होंने ही हत्या रखी है

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