Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

कल्पेश याग्निक अपनी एक रिपोर्टर से बातचीत वाले वायरल हुए आडियो के कारण बेहद तनाव में थे!


yashwant singh

कल रात ‘गॉडफादर पार्ट 2’ देख रहा था. सुबह करीब ढाई बजे के लगभग फिल्म खत्म हुई तो सोेने जाने से पहले यूं ही ह्वाट्सअप पर एक सरसरी नजर मारने लगा. देखा तो दो मैसेज कल्पेश याग्निक के हार्ट अटैक से मरने के आए पड़े थे. मुझे विश्वास नहीं हुआ. मैसेज भेजने वाले मित्र से चैट कर कनफर्म करते हुए अन्य डिटेल लेने लगा. फौरन भड़ास खोलकर खबर अपडेट किया और ह्वाट्सअप के करीब तीस भड़ास ब्राडकास्ट ग्रुपों में सेंड कर दिया.

फिर सोने की कोशिश करते हुए सोचने लगा. कुछ हफ्ते पहले ही कल्पेश जी से लंबी चैट हुई थी. भास्कर मुंबई की एंटरटेनमेंट रिपोर्टर रही एक लड़की के साथ कल्पेश जी के बातचीत का आडियो आया हुआ था भड़ास पर छपने के लिए. उस आडियो में कल्पेश जी बहुत डिफेंसिव मोड में बात कर रहे थे. लड़की को जितने भी तर्क दिए जा सकते थे, देकर समझाने की कोशिश कर रहे थे. अपने करियर का हवाला बार बार दे रहे थे. लड़की केवल हूं हां कर रही थी.

आडियो से यह बिलकुल स्पष्ट नहीं था कि लड़की के साथ कल्पेश जी का कोई रिलेशनशिप था या नहीं. लड़की खुद कुछ नहीं बोल रही थी, कल्पेश जी जो कुछ बोल रहे थे वह सैद्धांतिक-दार्शनिक किस्म का था. साथ ही वो काफी परेशान-से लग रहे थे, जैसे उन्हें एहसास हो कि ये आपस का आंतरिक टाइप किस्सा बाहर आ गया तो बड़ा नुकसान हो जाएगा, उनकी तपस्या पर दाग लग जाएगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

आडियो में वे तपस्या शब्द का बार-बार इस्तेमाल कर रहे थे.

आडियो को कई दफा सुनने के बाद इसे न छापने का फैसला किया क्योंकि यह यूं ही किसी की लंका लगाने के मकसद से फैलाया जा रहा था, जानबूझ कर, सुनियोजित तरीके से. फिर भी, मैंने कल्पेश जी से वर्जन लेना उचित समझा. थोड़ा-सा उंगली करने वाला भी भाव था मेरे मन में. कल्पेश जी का जो एसएमएस के जरिए रिप्लाई आया वह उनके काफी परेशान होने की ओर इशारा कर रहा था. तब मैंने उन्हें ढांढस बंधाया और ज्ञान दिया, कि आडियो में कुछ भी नहीं है, यह अगर पब्लिक डोमेन में आ भी गया तो आपकी छवि पर कोई आंच न आएगी… तपस्या भंग न होगी.. नाहक परेशान न हों…

Advertisement. Scroll to continue reading.

साथ ही यह भी समझाया कि आजकल के इस दौर में ब्रांडिंग निगेटिव हो या पाजिटिव, उसे दरअसल ब्रांडिंग ही माना जाता है इसलिए चिल्ल कीजिए. मैंने सब कुछ लाइट मूड में कर दिया. वे सहज हुए. मुझे लिख कर भेजा कि यशवंत ये आपका एहसान ताउम्र याद रखूंगा. मैंने कहा कि ये कोई एहसान नहीं किया है मैंने, लड़की अगर कल लिखित आरोप लगा देगी तो मैं सबसे पहले छापूंगा, इसलिए मुझे लेकर इतने भी सहज न रहें क्योंकि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं. उन्होंने जवाब में स्माइली भेजा.

खैर…

Advertisement. Scroll to continue reading.

कल्पेश जी की मौत को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं…

-एक तो ये कि उन्होंने सुसाइड किया है. उनके शरीर भर की हड्डियां टूटी हुई थीं. हार्ट अटैक में इतनी हड्डियां नहीं टूटतीं, भले ही वो सीढ़ी से गिर गए हों, हार्ट अटैक के दौरान.

Advertisement. Scroll to continue reading.

-वे लड़की वाले प्रकरण को लेकर काफी तनाव और डिप्रेशन में थे. आडियो लगातार घूम रहा था यहां वहां. भास्कर में उनकी स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही थी, जिससे उनका तनाव डबल हो गया था.

-एक ही खूंटे यानि भास्कर में लंबे समय से बंधे-टिके होने के कारण वह भास्कर के बाहर की दुनिया को नहीं देख पा रहे थे. उन्हें समय के साथ इधर उधर छलांग लगाना चाहिए था, शिफ्ट करना चाहिए था. पर गुलाम बनकर एक जगह बंधे होने से उन्होंने भास्कर को ही अपना अंतिम ठिकाना मान लिया था, सो सारे दावपेंच, उछलकूद भास्कर के इर्द गिर्द ही रही.

Advertisement. Scroll to continue reading.

-सफलता के शीर्ष पर रहने वाले लोग जब ढलने लगते हैं, नीचे गिरने लगते हैं तो वे घबरा जाते हैं. कई तो इसे सह नहीं पाते. इससे बचने और फिर से शीर्ष पाने की जुगत में घनघोर तनाव-दबाव झेलने से ढेरों रोग पाल लेते हैं.

-कल्पेश कारपोरेट मीडिया हाउसों के प्रतिनिधि संपादक थे, जो पत्रकारिता मालिकों की नीतियों के हिसाब से करता था. ऐसे कारपोरेट संपादक अक्सर आम मीडियाकर्मियों का खून पीता है, और, मालिकों का चहेता बना रहता है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

-मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने वाले मीडियाकर्मियों के साथ भास्कर में बेहद क्रूर व्यवहार किया गया और किया जाता रहा लेकिन इस सब पर कल्पेश का रवैया आम मीडियाकर्मियों के खिलाफ ही था. वे मालिकों की हां में हां मिलाते रहे और हक मांगने वालों को कुचलते रहे.

-कल्पेश कूद कर मरे हों या हार्ट सुन्न हो गया हो, दोनों ही स्थिति में उनकी मौत हुई है और इस मौत से सबक लिया जाना चाहिए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

-जिंदगी को खूंटों, मठों, गांठों, हाउसों, विचारों आदि में से किसी एक से भी हमेशा के लिए मत बांधिए. हवा की माफिक डोलडाल करते रहिए. करियर में एक ऐसा दौर भी रखिए जिसमें आप किसी के लिए कुछ न करें, बिलकुल खाली रहें और सिर्फ अपने लिए जिएं. मौज पानी लें. घूमें-भटकें. पुराने दोस्त मित्र रिश्तेदार पकड़ें और साथ खाएं-पिएं-हंसें.

कल्पेश जी का लिखा मैंने बहुत कम पढ़ा है. ‘असंभव के खिलाफ’ लिखना आसान है, जीना मुश्किल. वे अगर ‘असंभव के खिलाफ’ जीना सीख जाते तो इस तरह अपनी बच्चियों और पत्नी को अकेले छोड़कर न चले जाते. वे ‘एक खूंटे से बंधे जीने के खिलाफ’ सोचने की कोशिश संभव कर पाते तो नया कुछ रच पाते, कुछ दिन और जी पाते.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मुझे अगर कभी लगा कि जीवन इरिटेट कर रहा है, गाड़ी फंस गई है, कुछ समझ नहीं आ रहा तो मैं फौरन चुपचाप अकेले झोला उठा कर निकल लूंगा. अक्सर ऐसा करता रहता हूं. कश्मीर से कन्याकुमारी और गोवा से बद्रीनाथ… रेगिस्तान से पहाड़… असम-अरुणाचल से लेकर केरल-कर्नाटक.. ये सब इतने सारे विविध किस्म के देस अपने इस एक अदभुत देश में समाहित हैं कि घूमते घूमते जीवन कट जाएगा, नयापन खत्म न होगा.

-नीचे दो वीडियो दे रहा हूं, इन्हें देखकर कुछ मुझसे भी सीखिए… कुछ दिन कमाइए और बाकी दिन उसे घूम-घूम कर गंवाइए…टेंशन में न रहेंगे… चाहें तो अप्लाई करें, अगली बार जब मैं दिल्ली से भागूंगा तो आपको भी साथ भगा ले जाउंगा… 🙂

Advertisement. Scroll to continue reading.

Advertisement. Scroll to continue reading.

भड़ास के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह की एफबी वॉल से. संपर्क : [email protected]

इसे भी पढ़ें….

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. NISHI BHAT

    July 17, 2018 at 10:03 am

    खुद पर भरोसा कीजिए, आगे बढ़िए
    तनाव में जान देने से अच्छा है इस्तीफ दिजिए

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement