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राजस्थान

एक दलित शिक्षिका का सुलगता सवाल : क्या हम अपनी बेटियों के साथ बलात्कार होने का इन्तजार करें?

यह जलता हुआ सवाल राजस्थान के पाली जिले की एक दलित शिक्षिका का है, जो कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय सोजत सिटी की संस्था प्रधान है .शोभा चौहान नामकी यह सरकारी अध्यापिका  एक बहादुर सैनिक की बेटी है और बाबा साहब से प्रेरणा लेकर न्याय के लिए अनवरत लड़ने वाली भीमपुत्री है .उनके विद्यालय में पढने वाली चार दलित नाबालिग लड़कियों ने उन्हें 15 मार्च की शाम 8 बजे बताया कि उनके साथ परीक्षा के दौरान 12 और 14 मार्च 2016 को परीक्षक छैलसिंह चारण ने परीक्षा देते वक़्त अश्लील हरकतें की. छात्राओं के मुताबिक– शिक्षक छैलसिंह ने उनमें से प्रत्येक के साथ पेपर देने के बहाने या हस्ताक्षर करने के नाम पर अश्लील और यौन उत्पीड़न करने वाली घटनाएँ की.

<p>यह जलता हुआ सवाल राजस्थान के पाली जिले की एक दलित शिक्षिका का है, जो कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय सोजत सिटी की संस्था प्रधान है .शोभा चौहान नामकी यह सरकारी अध्यापिका  एक बहादुर सैनिक की बेटी है और बाबा साहब से प्रेरणा लेकर न्याय के लिए अनवरत लड़ने वाली भीमपुत्री है .उनके विद्यालय में पढने वाली चार दलित नाबालिग लड़कियों ने उन्हें 15 मार्च की शाम 8 बजे बताया कि उनके साथ परीक्षा के दौरान 12 और 14 मार्च 2016 को परीक्षक छैलसिंह चारण ने परीक्षा देते वक़्त अश्लील हरकतें की. छात्राओं के मुताबिक– शिक्षक छैलसिंह ने उनमें से प्रत्येक के साथ पेपर देने के बहाने या हस्ताक्षर करने के नाम पर अश्लील और यौन उत्पीड़न करने वाली घटनाएँ की.</p>

यह जलता हुआ सवाल राजस्थान के पाली जिले की एक दलित शिक्षिका का है, जो कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय सोजत सिटी की संस्था प्रधान है .शोभा चौहान नामकी यह सरकारी अध्यापिका  एक बहादुर सैनिक की बेटी है और बाबा साहब से प्रेरणा लेकर न्याय के लिए अनवरत लड़ने वाली भीमपुत्री है .उनके विद्यालय में पढने वाली चार दलित नाबालिग लड़कियों ने उन्हें 15 मार्च की शाम 8 बजे बताया कि उनके साथ परीक्षा के दौरान 12 और 14 मार्च 2016 को परीक्षक छैलसिंह चारण ने परीक्षा देते वक़्त अश्लील हरकतें की. छात्राओं के मुताबिक– शिक्षक छैलसिंह ने उनमें से प्रत्येक के साथ पेपर देने के बहाने या हस्ताक्षर करने के नाम पर अश्लील और यौन उत्पीड़न करने वाली घटनाएँ की.

आरोपी अध्यापक ने उनके हाथ पकड़े, उन्हें मरोड़ा, लड़कियों की जंघाओं पर चिकुटी काटी और अपना प्राइवेट पार्ट को बार बार लड़कियों के शरीर से स्पर्श कर रगड़ा .इतना ही नहीं बल्कि चार में से एक लड़की को अपना मोबाईल नम्बर दे कर कहा कि छुट्टियों में इस नम्बर पर बात कर लेना, मैं तुम्हें पास कर दूंगा. ऐसा कह कर उसने उक्त लड़की को वहीँ रोक लिया, लड़की बुरी तरह से सहम गई .बाद में दूसरी छात्राओं के आ जाने से उसका बचाव हो सका. निरंतर दो दिनों तक हुयी यौन उत्पीडन की वारदात से डरी हुई चारों लड़कियां जब कस्तूरबा विद्यालय पहुंची तो उन्होंने हिम्मत बटोर कर अपने साथ हुई घटना की जानकारी संस्था प्रधान श्रीमती शोभा चौहान को रात के 8 बजे दे दी. गरीब पृष्ठभूमि से आकर पढाई कर रही इन दलित नाबालिग छात्राओं के साथ विद्या के मंदिर कहे जाने वाले स्थल पर गुरु के द्वारा ही की गई इस घृणित हरकत की बात सुनकर शोभा चौहान स्तब्ध रह गई. उन्होंने तुरंत उच्च अधिकारीयों से संपर्क किया और फ़ोन पर मामले की जानकारी दी.

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15 मार्च को केजीबी संस्था प्रधान शोभा पीड़ित छात्राओं के साथ परीक्षा केंद्र पंहुची ,जहाँ पर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नाहर सिंह राठोड की मौजूदगी में केन्द्राध्यक्ष से बात की, आरोपी शिक्षक को भी तलब किया गया .शुरूआती ना नुकर के बाद आरोपी शिक्षक छैलसिंह ने अपनी गलती होना स्वीकार कर लिया. लेकिन आरोप स्वीकार कर लेने से पीड़ित छात्राओं को तो न्याय नहीं मिल सकता था और ना ही ऐसे घृणित करतब करने वाले दुष्ट शिक्षक को कोई सजा ,इसलिये संस्था प्रधान शोभा चौहान ने इस मामले में कानूनी लडाई लड़ने का संकल्प ले लिया, शोभा ने आर पार की लडाई का मानस बना लिया था और इसमें उनकी सहयोगी थी एक शिक्षिका मंजू तथा चारों पीड़ित दलित छात्राएं. बाकी कोई साथ देता नजर नहीं आ रहा था, पर शोभा चौहान को कानून और व्यवस्था पर पूरा भरोसा था ,उन्होंने संघर्ष का बीड़ा उठाया और न्याय के पथ पर चल पड़ी.

अगले दिन वह क्षेत्र के उपखंड अधिकारी के पास लड़कियों को लेकर पंहुच गई .उपखंड अधिकारी ने ब्लाक शिक्षा अधिकारी को जाँच अधिकारी नियुक्त किया .प्रारम्भिक जाँच में शिक्षा विभाग ने भी शिक्षक छैलसिंह को दोषी पाया .दूसरी तरफ संस्था प्रधान शोभा चौहान ने शाला प्रबंध कमिटी की आपातकालीन मीटिंग बुलाई ,जहाँ पर आरोपी शिक्षक के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कराने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से लिया गया ,विभाग ने भी आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने हेतु निर्देशित कर दिया .ऐसे में संस्था प्रधान होने के नाते श्रीमती शोभा छैलसिंह के खिलाफ पुलिस थाना सोजत में मुकदमा क्रमांक 83 /2016 अजा जजा अधिनियम की धारा  3 (1 ) (3 ) (11 ) तथा पोस्को एक्ट की धारा 7 व 8 के तहत दर्ज करवा दिया .

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मुकदमा दर्ज होते ही मुसीबतों का अंतहीन दौर शुरू हो गया ,पीड़ित छात्राओं के परिजनों और रिश्तेदारों को डराया धमकाया जाने लगा .उनको संस्था प्रधान के विरुद्ध उकसाया जाने लगा .राजनितिक दलों के लोगों द्वारा छेड़छाड़ करनेवाले शिक्षक के समर्थन में माहौल बनाया गया .जाँच को प्रभावित करने की भी कोशिस की गई ,मगर शुरूआती जाँच अधिकारी भंवर लाल सिसोदिया ने पूरी ईमानदारी से जाँच की .पीड़ितों के बयान कलमबद्ध किये तथा उनकी विडिओ रिकोर्डिंग की .मगर आरोपी पक्ष ने अपने जातीय रसूख का इस्तेमाल किया गया और कोर्ट में होने वाले धारा 164 के बयान लेने में जान बुझ कर देरी करवाई गई ,दो तीन बार चक्कर कटवाए और अंततः न्यायलय तक में बयान देते वक़्त पीड़ित दलित छात्राओं को धमकाया गया.

चार में से तीन लड़कियों को कोर्ट में अपने बयान बदलने के लिए मजबूर कर दिया गया मगर एक लड़की ने बहादूरी दिखाई और किसी भी प्रलोभन और धमकी के सामने झुके बगैर वह अपने आरोप पर अडिग रही ,फलत जाँच अधिकारी सिसोदिया ने मामले में चालान करने की कोशिस की .जैसे ही आरोपी शिक्षक को इसकी भनक मिली कि जाँच उसके खिलाफ जा रही है तो उसने राजनीतिक अप्रोच के ज़रिये 8 मई को जाँच सिरोही जिले के पुलिस उपाधीक्षक तेजसिंह को दिलवा दी ,जो की आरोपी के स्वजाति बन्धु थे .इस तरह न्यायालय में 164 के बयान लेने वाला न्यायाधीश अपनी जाति का और अब जाँच अधिकारी भी अपनी ही जाति का मिल जाने पर जाँच को मनचाहा मोड़ देते हुए मामले में फाईनल रिपोर्ट देने की अनुशंषा कर दी गई . परिवादी शिक्षिका शोभा चौहान को जब इसकी खबर मिली तो उन्होंने इसका कड़ा प्रतिवाद किया और मामले की जाँच पुलिस महानिदेक कार्यालय जोधपुर के एएसपी केवल राय को सौंप दी गई .जहाँआज भी जाँच होना बताया जा रहा है .इतनी गंभीर घटना की 7 माह से जाँच हो रही है ,आज तक ना चालान पेश हुआ है और ना ही आरोपी की गिरफ्तारी .

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न्याय की प्रत्याशा को हताशा में बदलते हुए यह जरुर किया गया कि शोभा चौहान का स्थानांतरण सोजत से जोधपुर कर दिया गया ताकि वह मामले में पैरवी ही ना कर सके ,हालाँकि शोभा चौहान हार मानने वाली महिला नहीं है ,उन्होंने कोर्ट से स्टे ले लिया और आज भी उसी आवासीय विद्यालय में बतौर संस्था प्रधान कार्यरत है .उन्हें भयभीत करने के लिए दो बार भीड़ से श्रीमती शोभा चौहान पर हमले करवाए जा चुके है ,उनके चरित्र पर भी कीचड़ उछालने का असफल प्रयास हो चूका है ,मगर शोभा है कि हार मानना जानती ही नहीं है ,वो आज भी न्याय के लिए हर संभव दरवाजा खटखटा रही है .न्याय का संघर्ष जारी है.

उनको दलित शोषण मुक्ति मंच तथा अन्य दलित व मानव अधिकार संगठनों का सहयोग भी मिला है ,कामरेड किशन मेघवाल ,जोगराज सिंह ,तोलाराम चौहान तथा स्टेट रेस्पोंस ग्रुप के गोपाल वर्मा सहित कुछ साथियों ने इस मुद्दे में अपनी भूमिका निभाई है ,लेकिन जितना सहयोग समुदाय के जागरूक लोगों से मिलना चाहिए ,उतना नहीं मिला है .हाल ही में राज्य के कई हिस्सों में इसको लेकर ज्ञापन दिये गए है . नाबालिग दलित छात्राओं के साथ यौन उत्पीडन करने वाले शिक्षक छैलसिंह को सजा दिलाने के लिए कृत संकल्प बाड़मेर के उत्साही अम्बेडकरवादी कार्यकर्ता जोगराज सिंह कहते है कि हमें हर हाल में इन दलित छात्राओं और दलित शिक्षिका शोभा चौहान को न्याय दिलाना है.

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वर्तमान हालात यह है कि सभी पीड़ित चारों दलित छात्राएं इस घटना के बाद से पढाई छोड़ चुकी है .संस्था प्रधान शोभा चौहान अकेली होने के बावजूद सारे खतरे झेलते हुए भी लडाई को जारी रखे हुये है और आरोपी शिक्षक का निलंबन रद्द करके उसकी वापस नियुक्ति कर दी गई है . बाकी लड़कियों ने भले ही दबाव में बयान बदल दिये है मगर कस्तूरबा विद्यालय की एक शिक्षिका मंजू देवी और एक छात्रा जिसके माँ बाप बेहद गरीब है ,वह इस लडाई में संस्था प्रधान शोभा चौहान के साथ खड़ी हुई है ,यही संतोष की बात है.

अटल इरादों की धनी, निडर और संघर्षशील भीमपुत्री श्रीमती शोभा चौहान की हिम्मत आज भी चट्टान की भांति कायम है ,वह बिना किसी डर या झिझक के कहती है कि दोषी शिक्षक के बचाव में लोग तर्क देते है कि छेड़छाड़ ही तो की ,बलात्कार तो नहीं किया ना ? फिर इतना बवाल क्यों ? इस तरह के कुतर्कों से खफा शोभा चौहान का सबसे यह सवाल है कि – “तो क्या हम इन्तजार करें कि हमारी बेटियों के साथ बलात्कार हो ,तभी हम जागेंगे ,तभी हम बोलेंगे ,तभी हम कार्यवाही करेंगे ? क्या वाकई हमें इंतजार करना चाहिए ताकि  शिक्षण संस्थानों में हो रहे भेदभावों और यौन उत्पीड़नों के चलते हम कईं और रोहित वेमुला व डेल्टा मेघवाल अपनी जान गंवा दें और शोभा चौहान जैसी भीमपुत्री इंसाफ की अपनी लडाई हार जाये ? अगर नहीं तो चुप्पी तोडिये और सोजत शहर के कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय की नाबालिग दलित छात्राओं को न्याय दिलाने में सहभागी बनिये.

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लेखक भंवर मेघवंशी स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उनसे [email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता है.

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0 Comments

  1. Nand Kishor Khajotiya

    October 22, 2016 at 3:18 pm

    एक दलित शिक्षिका का सुलगता सवाल : क्या हम अपनी बेटियों के साथ बलात्कार होने का इन्तजार करें? No, Not, Never.

  2. sanjay

    October 24, 2016 at 7:07 am

    काहे के पत्रकार हो भाई , जात पात में उलझे हो , एक पक्ष लिख रहे हो , अरोपी का पक्ष भी लिखो , सब गलत है सिर्फ वही सही है जिस के लिए आप लिख रहे हो | पूरी कहानी सिर्फ जात पात में लिपटी है | पुलिस , जज , जाँच अधिकारी सब गलत है , आप की बाते ही सही है |धन्य है आप

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