प्रभात खबर, जमशेदपुर में करीब 12-13 वर्ष सेवा देने के बाद पटना संस्करण में मेरा तबादला हो गया. वहां करीब डेढ़ वर्ष सेवा देने के बाद 28 फरवरी को मैंने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य, तबादला और वहां के मठाधीश की कार्यशैली रही.
पटना में मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रह रहा था. बावजूद मैं अपना काम कर रहा था. इस बीच मैंने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था. इसके लिए रांची स्थित मुख्यालय भी दो बार गया. तत्कालीन संपादक (प्रभात खबर, पटना) सचिन शर्मा ने सकारात्मक मंतव्य देते हुए आवेदन रांची मुख्यालय भेज दिया. लेकिन अजय कुमार के संपादक की कुर्सी संभालने के बाद मेरा आवेदन अधर में लटक गया.
अजय कुमार अपने शब्दबाण से मुझे ही नहीं अन्य साथियों को भी प्रताड़ित करते रहे. उसके बाद मेरे सारे बीट (सिग्मेंट) दूसरे को दे दिया. मेरे पास कोई काम नहीं रहा. पद डिप्टी चीफ कॉपी राइटर का और काम कुछ भी नहीं. एक पत्रकार के लिए इससे बड़ी प्रताड़ना क्या हो सकती है. जो मैंने महसूस किया है, जो झेला है वही बयां किया है.
किसी के बचाव और बहकावे में आकर कहने वाले चाहे कुछ भी कॉमेंट करे. आपका आर्टिकल सही है यशवन्त सिंह जी. भड़ास4मीडिया पर ‘प्रभात खबर, पटना छोड़ कर लोग क्यों जा रहे हैं‘ शीर्षक खबर पढ़ने के बाद लगा कि मैं भी अपनी पीड़ा आपसे शेयर करूं, इसलिए लिखा. समझता हूं मेरी पीड़ा को भी स्थान देंगे.
पत्रकार आनंद मिश्रा की एफबी वॉल से.
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Shahnawaz Hassan
July 1, 2019 at 5:59 pm
यह दुर्भाग्यपूर्ण है, सत्य क्या है यह मैं नहीं जानता,पर एक पत्रकार को प्रताड़ित दूसरा पत्रकार करे यह ऐसा ही है एक भाई अपने भाई का मांस खाये।अक्सर पत्रकार जब संपादक और ब्यूरो बनते हैं तो वे कुर्सी की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते, हालांकि यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं।
शाहनवाज़ हसन
राष्ट्रीय संयोजक भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ सह संस्थापक झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन