शीतल पी सिंह-
बीते दो साल में अड़ानी एक सौ पचपन बिलियन डॉलर से भी अधिक की हैसियत पर जा पहुँचे थे। एक दिन तो दुनियाँ के दूसरे नंबर के रईस भी हुए , तीसरे स्थान पर तो जम ही गए थे लेकिन सिर्फ़ पच्चीस दिन में एक रिपोर्ट ने छब्बीसवें स्थान पर ला पटका और लुढ़कने की क़वायद अभी जारी है।
मोदीजी की सरकार ने देश की इज़्ज़त और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बीमा और अन्य असेट्स को पूरी तरह से अड़ानी की रक्षा में झोंक दिया है । बीजेपी, बीजेपी का ITcell, Indian diaspora के दुनिया भर में फैले अधिकतर सवर्ण जातियों के कुतर्की , देसी मीडिया सोशल मीडिया और भारत सरकार की हर तरह की निरोधक एजेंसियाँ अड़ानी को बचाने में लगी हैं । दरअसल सरकार और निरोधक एजेंसियों को तो आपराधिक सूचनाओं का ख़ज़ाना मिला है जिस पर तत्काल कार्रवाई अपेक्षित थी लेकिन वे उलटा काम करने में लगी हैं।
लेकिन सूचनाओं के सच का विस्फोट इतना शक्तिशाली है कि कोई नुस्ख़ा काम नहीं आ रहा है।
अब अड़ानी की निजी हैसियत 155 बिलियन डॉलर से घटकर पिछले पच्चीस दिनों में सैंतालिस बिलियन डॉलर रह गई है ।राष्ट्रीय मीडिया में यह विश्लेषण नदारद है वहाँ ध्यान भटकाने की क़वायदें चल रही हैं । जबकि राष्ट्रीय सेठ के तिलिस्म का पर्दाफ़ाश होना सबसे बड़ी सूचना है।
मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया है और सबकी नज़रें वहाँ टिक गई हैं। भरोसा तो नहीं हो रहा है लेकिन और कोई चारा भी नहीं है। देखते हैं क्या होता है?