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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मीडिया विंग ईएमएमसी में शोषण और लूटमारी जोरों पर

भारतेन्दु हरिचन्द का एक नाटक अंधेर नगरी काफ़ी मशहूर रहा है। अंधेर नगरी की खास़ बात ये थी कि, वहाँ पर लूटमारी बटमारी और हक़मारी आम बात थी। वहाँ पर हर चीज़ का एक ही दाम था, चाहे देशी घी हो या करेले की भाजी सभी का दाम टके सेर। अंधेर नगरी का राजा भी एकदम मूढ़मति का था। कुछ इसी तरह की अंधेरगर्दी लूटमारी बटमारी हक़मारी और शोषण, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मीडिया विंग इलैक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेन्टर में हो रहा है। यहाँ पर जब अनुबंधित मीडिया मॉनिटरिंग स्टॉफ के सामाजिक कल्याण और हितों की बात आती है तो, गेंद कभी बेसिल के पाले में फेंकी जाती है तो कभी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पाले में। काम जमकर लिया जाता है, उसमें कोई कोताही नहीं बरती जाती है लेकिन जब इस संस्थान में कर्मियों के हित की बात आती है तो मसला निल्ल बट्टे सन्नाटा है। आइये हम आपको बताते है शोषण और लूटमारी किस तरह से हो रही है।

इलैक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेन्टर में 99 फीसदी स्टॉफ अनुबंधित है। अगर पदों के नजरिये से देखे तो यहाँ पर Multi Tasking Staff, Logistics Assistance, Administrative Assistance, Shift Manager, Monitor, Senior Monitor और Content Auditor के पद है, सबकी तनख्वाह अलग अलग है। इन सभी Posts के Salary Slab में भारी अन्तर है। अब देखिये मज़े की बात सभी का EPFO जो काटा जा रहा है, वो एक ही है। यानि कि टके सेर भाजी और टके सेर ख़ाजा वाली कहावत यहाँ पर सही साबित हो रही है। Contractual Staff में सबसे छोटी Post MTS की है और सबसे Highest Post Content Auditor की है, दोनों से 1800 रूपये ही EPFO काटा जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा ताकि BECIL EPFO में अपना Employer Monetary वाला Share कम देना पड़े। इसलिए वो अपने हिस्से का पैसे कम डाल रहा है। जिसका सीधा नुकसान यहाँ के संविदा कर्मियों को भुगतना पड़ रहा है। समझदार लोग खुद गुण-भाग लगा सकते है कि, ये कितना बड़ा घोटाला है। अगर अलग-अलग पोस्ट के हिसाब से EPFO का पैसा काटा जाता तो, हर किसी का Monetary Share अलग अलग होता। उस पर Employee को ब्याज़ मिलता सो अलग। इस कवायद में BECIL और EMMC के अधिकारियों की मिलीभगत है। अगर कायदे से देखा जाये तो ये गबन का मामला बनता है। यहाँ पर सीधे तौर पर Contractual Staff का हक़ मारा जा रहा है। अगर ढ़ंग से प्रशासनिक डंड़ा घूमे तो सभी कर्मचारियों को उनके हिस्से का EPFO का मूल धन और उस पर मिलने वाले ब्याज़ के साथ बनी कुल राशि का दस गुना पैसा मिलना चाहिए। जो कि उनका कानूनी हक़ है।

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BECIL प्रशासन के दुमुँहेपन की एक और बानगी देखिये। शास्त्री भवन में बेसिल द्वारा लगाये गये Clerical Staff को दीवाली बोनस देने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है। जब Bonus की बात यहाँ के Monitoring Staff ने उठायी तो, उन्हें ये कहकर लॉलीपॉप थमा दिया गया कि BECIL को वित्तीय वर्ष 2018-19 में Profit नहीं हुआ है, इसलिए Bonus नहीं दिया जा रहा है। अगर समझदारी से सोचा जाये तो, ये झोल आसानी से समझ में आ जायेगा। एक तरफ मंत्रालय को कोई आपत्ति नहीं है कि BECIL अपने Staff को Bonus दे, तो फिर बेसिल इसे देने में क्यों असर्मथता जता रहा है। शास्त्री भवन में बेसिल द्वारा लगाये Clerical Staff को Bonus देने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। कायदे ये बोनस दीवाली तक सभी को मिल जाना चाहिए था। यहाँ वित्त मंत्रालय के नोटिफिकेशन को सीधे तौर पर नकार दिया गया है। दूसरों मंत्रालयों में सभी संविदा कर्मियों को ये बोनस मिला है।

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जब पूरा देश Republic Day की खुमारी में डूबा हुआ था तो, यहाँ का Monitoring Staff कैदियों और बंधकों की तरह काम कर रहा था। EMMC के प्रशासनिक अधिकारियों ने Contractual Staff का Refreshment और Launch के लिए Allocated Budget हज़म कर लिया। EMMC प्रशासन ने चार पैसे बचाने के चक्कर में Morning Shift Staff की महिलाकर्मियों को Cab Pickup Facility से दूर रखा। ये बात ध्यान रखने वाली है कि Republic Day के मौके पर हर साल Morning Shift Staff को Cab Pickup की सुविधा मिलती है। एक तरफ सरकार महिलाओं को सम्मान देने की बात करती वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के दिन साढ़े 8 घंटे काम करवाया गया और उनके लिए इस जाड़े के मौसम में चाय तक की व्यवस्था नहीं कि गयी। 10 साल पुराने, 200 से ज्यादा स्टाफ वाले 24×7 चलने वाले इस ऑफिस में एक कैंटीन तक नहीं है।

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EMMC का इतिहास रहा है कि हक़ और सामाजिक कल्याण की बात करने वाले लोगों को यहाँ पर डराया धमकाया जाता है, उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। जब यहाँ का Contractual Staff वेतनवृद्धि और दूसरी मांगे रखता है तो अपर महानिदेशक खोखले वादे करते है। वादों को किसी तरह से अमल में नहीं लाया जाता है। लोगों की मांगों को दबाने के लिए और पुरानी बातों का Damage Control करने के लिए, वो Emotional Card खेलते है। ताकि विरोध के सुरों के दबाया जा सके। तरस यहाँ के Monitoring Staff पर भी आता है, जिन्होनें पत्रकारिता की पढ़ाई की है, लेकिन अपने हक़ के लिए लड़ना नहीं जानते है, बल्कि अहम् के चलते आपस में ही उलझते रहते है। अगर यहीं Energy वो अपने Welfare की लड़ाई में लगाते तो उनकी सभी जायज़ मांगे कब की मान ली गयी होती। EMMC के Monitoring Staff के मुँह पर ये काला धब्बा है कि, उनके हक की मांग कोई और उठा रहा है। अगर आप लोग सही मायने में ज़िन्दा है तो अपने हक के लिए आव़ाज उठाइये। दलाली और चरणवंदना छोड़िये। प्रशासनिक अधिकारी किसी के सगे नहीं होते है। इनके झांसे में ना आइये। 70 सालों से अधिकरियों का काम ही यहीं रहा है लटकाना अटकाना और भटकाना। आप लोग अपना भला खुद ही कर सकते है, कोई बाहर से आपकी मदद करने के लिए नहीं आयेगा। जयचंदों से सावधान।

“हिम्मत होती नहीं है, करनी पड़ती है ”

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