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देश के 745 अखबारों ने नहीं लागू किया मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश

सबसे ज्यादा पंजाब और झारखण्ड में ठुकराया गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश, महाराष्ट्र चौथे, उड़ीसा पांचवे स्थान पर फिसड्डी, मध्य प्रदेश के एक भी अख़बार ने नहीं लागू किया वेज बोर्ड

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश को देश भर के 745 अखबार मालिकों ने खुलेआम हवा में उड़ा दिया और दम्भ के साथ सुप्रीमकोर्ट की ओर मुंह करके अट्टाहास कर रहे हैं। ये जता रहे हैं, देख लो सुप्रीमकोर्ट, तुम नहीं, हम सबसे बड़े हैं। माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवमानना करने के मामले में नंबर वन पर है पंजाब।

सबसे ज्यादा पंजाब और झारखण्ड में ठुकराया गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश, महाराष्ट्र चौथे, उड़ीसा पांचवे स्थान पर फिसड्डी, मध्य प्रदेश के एक भी अख़बार ने नहीं लागू किया वेज बोर्ड

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जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश को देश भर के 745 अखबार मालिकों ने खुलेआम हवा में उड़ा दिया और दम्भ के साथ सुप्रीमकोर्ट की ओर मुंह करके अट्टाहास कर रहे हैं। ये जता रहे हैं, देख लो सुप्रीमकोर्ट, तुम नहीं, हम सबसे बड़े हैं। माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवमानना करने के मामले में नंबर वन पर है पंजाब।

यहाँ 531 अखबारों में सिर्फ 4 अखबारों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू किया जबकि 93 अखबारों ने इस वेज बोर्ड की सिफारिश को नहीं लागू किया और इस तरह माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवमानना किया। यहाँ 434 ऐसे अखबार हैं जो एक आदमी द्वारा संचालित हैं। ये विस्फोटक जानकारी भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय नयी दिल्ली के सूत्रों ने मजीठिया क्रांतिकारी और पत्रकार तथा आर टी आई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह को उपलब्ध कराई है।

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मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू न करने के मामले में दूसरे नंबर पर है झारखंड। यहाँ 154 अखबारों में सिर्फ 2 अखबार संस्थानों ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किया जबकि 91 ऐसे अखबार हैं जिन्होंने इस सिफारिश को नहीं लागू किया। यहाँ 61 ऐसे अखबारों को मजीठिया के दायरे से बाहर रखा गया है जो एक आदमी द्वारा संचालित होता है। माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवमानना के मामले में मध्य प्रदेश तीसरे नम्बर पर है। यहाँ 140 अखबारों का प्रकाशन होता है। यहाँ एक भी अखबारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं किया। सिर्फ 3 अखबारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किया वो भी सिर्फ आंशिक रूप से जबकि 72 अखबारों ने इस सिफारिश को नहीं लागू किया। यहाँ 65 अखबार एक आदमी द्वारा संचालित है।

माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवमानना करने के मामले में महाराष्ट्र चौथे नंबर पर है। यहाँ सबसे ज्यादा 2762 अखबार प्रकाशित होते हैं जिनमे 43 अखबार मालिकों ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू कर दिया। सूत्र बताते हैं कि इन 43 अखबार मालिकों ने भी फर्जीवाड़ा किया है। यहाँ 21 अखबार ऐसे हैं जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश आंशिक रूप से लागू किया है जबकि 65 अखबार मालिकों ने वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू किया। महाराष्ट्र में 2633 अखबार एक आदमी द्वारा संचालित है।

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इस सूची में पांचवे नंबर पर आता है उड़ीसा यहाँ 179 अख़बारों का प्रकाशन होता है जिसमे सिर्फ 14 अखबारों ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किया जबकि 62 अखबारों ने इसे पूरी तरह ठुकरा दिया। इस सूची पर नजर डाले तो आंध्र प्रदेश ऐसा एकमात्र स्थान है जहाँ सभी 27 अखबारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कर दिया है। देश की राजधानी दिल्ली से 81 अखबार निकलते हैं जिसमे 10 अखबारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह, 15 ने आंशिक रूप से लागू किया जबकि 29 अखबार मालिकों ने इस वेज बोर्ड की सिफारिश को नहीं माना।

बिहार से 44 अखबार निकलते हैं। यहाँ 12 अखबारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कर दिया जबकि 32 अख़बारों ने इस वेज बोर्ड को नहीं माना। उत्तर प्रदेश से 70 अखबारों का प्रकाशन होता है। यहाँ 24 अखबारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश पूरी तरह लागू कर दिया जबकि 4 ने आंशिक रूप से लागू किया। यहाँ 39 अखबारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं माना। राजस्थान से सबसे ज्यादा चौंकाने वाला आंकड़ा आया है। यहाँ 893 अखबारों में से 28 अखबारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कर दिया है। उत्तराखंड में सिर्फ एक अखबार ने वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं किया है। गुजरात में 60 अख़बारों ने वेज बोर्ड की सिफारिश लागू नहीं किया है।

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शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट
9322412335

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0 Comments

  1. Kashinath Matale

    June 15, 2017 at 9:42 am

    Hitavada Shramik Sangh fighting for properly implementation the recommendations of Majithia Wage Board from day one. ALC Nagpur referred the said demand case for adjudication to the Honourabale Industrial Tribunal Nagpur. Sangh filled the Statement of claim on 24-04-17. In between court was vacant. And now time to file the Written Statement by the management.

  2. नितिन

    June 16, 2017 at 2:01 pm

    सर इस जानकारी से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराना चाहिए ताकि संवाददाताओ को न्याय मिले आप की ओर से चल रहे प्रयासों के लिए आपका अभिनंदन

  3. raj

    June 17, 2017 at 9:56 am

    हिमाचल प्रदेश में किसने लागु किया है मझीठिआ

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