जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानि जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को एक ऐसे वीडियो टेप के आधार पर फंसा दिया गया जिसे छेड़छाड़ कर तैयार किया गया. छेड़छाड़ किए गए टेप के बिना जांच पड़ताल के प्रसारण से कई न्यूज चैनलों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. इनमें से दो अंग्रेजी न्यूज चैनल हैं- टाइम्स नाऊ और न्यूज एक्स. हिंदी के कई न्यूज चैनल हैं- जी न्यूज, इंडिया न्यूज, इंडिया टीवी आदि. इन चैनलों पर प्रसारित टेप में कन्हैया को कश्मीर अलगाववाद के समर्थन में नारे लगाते दिखाया गया है जबकि एबीपी न्यूज ने सही माने जा रहे टेप को दिखाया जिसमें भारत विरोधी बातें नहीं बल्कि गरीबी, सामंतवाद आदि से आजादी संबंधी नारे लगाए जा रहे हैं.
छेड़छाड़ वाले नकली टेप के प्रसारण के बाद कन्हैया के खिलाफ पूरे देश में माहौल बना. चर्चा है कि जांच एजेंसियां पता कर रही हैं कि टेप में छेड़छाड़ और इसका प्रसारण किसी बड़ी साजिश के तहत तो नहीं की गई. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी इस मामले में चैनलों से जवाब मांगने की तैयारी में है. इस बात की भी जांच चल रही है कि पुलिस ने इतनी जल्दीबाजी में ऐसा कदम क्यूं उठाया. केंद्र सरकार ने इस मामले पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है. लोग अब सवाल पूछ रहे हैं कि क्या देश को दंगे की आग में झोंकने के लिए झूठी खबर व वीडियो चलाने वाले चैनलों पर कार्रवाई करने की हिम्मत छप्पन इंच सीने वाली मोदी सरकार में है?
कन्हैया की कथित देशद्रोह के तहत गिरफ्तारी के बाद खुफिया एजेंसी आईबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पुलिस ने कार्रवाई में जल्दीबाजी की है. गृह मंत्रालय में हुई गंभीर मंत्रणा के बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने ऐलान किया कि पुलिस कन्हैया की जमानत अर्जी का विरोध नहीं करेगी. पुलिस और एजेंसी जेएनयू प्रकरण की जांच असली टेप के आधार पर ही करेंगे. सरकार टेप में हुई छेड़छाड़ के लिए चैनलों को जिम्मेदार ठहरा रही है.
विवादित टेप जेएनयू परिसर में नौ फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम का था. उस टेप के सामने आने के बाद पुलिस ने कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया था और विश्वविद्यालय के छात्रों की धर-पकड़ शुरू की गई थी. जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को कार्यक्रम में राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के लिए देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया. पहला वीडियो क्लिप सामने आने के बाद इसका भारी विरोध हुआ और इस विरोध प्रदर्शन के विरोध में भी प्रदर्शन हुए. अब जब ओरीजनल वीडियो सामने आया है तो ऐसा लगता है कि कन्हैया कुमार और देशद्रोह के आरोप का सामना कर रहे अन्य लोगों ने कभी ऐसे नारे नहीं लगाए थे, जिनमें जम्मू एवं कश्मीर को भारत से आजाद करने की मांग की गई थी.
नया वीडियो क्लिप जो वायरल हुआ, उसमें दिखाया गया है कि छात्र वास्तव में गरीबी, फासीवाद, संघवाद, सामंतवाद, पूंजीवाद, ब्राह्णवाद और असमानता के खिलाफ नारे लगा रहे थे. पहले वीडियो क्लिप को टाइम्स नाउ, इंडिया टीवी और जी न्यूज सहित कुछ और टीवी चैनलों ने दिखाया था. एबीपी न्यूज ने गुरुवार शाम असली वीडियो दिखाया. बाद में शुक्रवार को इंडिया टुडे ने यह कहते हुए उन वीडियोज का विश्लेषण किया कि इसके ऑडियो से छेड़छाड़ की गई है. टाइम्स नाउ ने स्पष्ट किया है कि उसने वीडियो नहीं दिखाया है. बताया जाता है कि भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने टीवी पर बहस के दौरान अपने आईपॉड का वीडियो दिखाने की मांग की. इस पर चैनल प्रमुख अर्नब गोस्वामी ने कहा कि कुछ हिन्दी चैनलों पर चले वीडियो की जांच करनी होगी. परस्पर विरोधी टेपों पर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है. उनका मानना है कि वामपंथ की ओर झुकाव वाले छात्र नेता को जानबूझकर फंसाने की कोशिश की गई है.
Sharad Dahiwale
February 20, 2016 at 3:45 pm
yah ek bada hi gambhir prashn hai mahoday , sina sikude ja raha hai , par jawab nahi aa raha hai.
Deepak
February 22, 2016 at 10:16 am
wo Yaaron 50% reservation lene ke baad bhi samantwad, Sanghwad, poonjwad to sabhi ke liye hai….. rahi baat brahmanwad ki to mandal ke baad bacha hai kya ye wad……rahi baat sanghwad ki to sala is desh har aadami manmarzi dharm ka palan karne ko swatantra hai…. problem kahan hai bhai….