Yashwant Singh : कहना चाहता हूं कि पचास हजार रुपये से ज्यादा इकट्ठा हो गया है. जरूरत बस 39 हजार रुपये की थी. आप सबको दिल से आभार, धन्यवाद, थैंक्यू, शुक्रिया, प्यार.
दस रुपये से लेकर पच्चीस हजार रुपये तक लोगों ने दिए.
सर्वर, मेनटेनेंस और बैकअप का अगले छह माह का पेमेंट मैंने सेवा प्रदाता कंपनी को भेज दिया है.
आप कह सकते हैं कि भड़ास के रगों में जनता का पैसा बहता है, किसी दलाल या चोट्टे का नहीं.
परम बाजारू इस दौर में आत्मा को उर्जा आप जैसे भले साथियों के जरिए ही मिलती है.
(भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत की एफबी वॉल से)
वो मीडिया भ्रष्ट नहीं हो सकता जो अपना खाद पानी जनता से पाता हो. मीडिया की आम जनता के प्रति पक्षधरता के लिए यह जरूरी है कि वह फंडिंग खास लोगों की बजाय आम लोगों से ले. भड़ास पिछले बारह सालों से इसीलिए बेबाक रह सका क्योंकि उसे ऐसे लोग आर्थिक मदद देते हैं जिनका कोई निजी स्वार्थ भड़ास से नहीं होता. इसी कदम को आगे बढ़ाते हुए पिछले कुछ दिनों में आम लोगों से करीब पचास हजार रुपये इकट्ठा कर भड़ास के अगले छह महीने के सर्वर, मेनटेनेंस और बैकअप की फीस का पेमेंट कर दिया गया.
भड़ास4मीडिया डाट काम के फाउंडर और एडिटर यशवंत सिंह ने चंदा मांगो अभियान के तहत ह्वाट्सअप और फेसबुक को माध्यम बनाकर अपनी अपील भड़ास के पाठकों तक पहुंचाई. इसके बाद सैकड़ों लोगों ने न्यूनतम दस रुपये से लेकर पचीस हजार रुपये तक चंदा भेजे. ये पैसे भड़ास के करेंट एकाउंट, गूगल पे और पेटीएम पर आए. इस तरह भड़ास का गुल्लक फिर से भर गया.
भड़ास की नीति रही है कि खर्च कम से कम रखिए ताकि किसी से कालाबाजारी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े. यही वजह है कि पिछले कई सालों से भड़ास का आफिस बंद कर इसका संचालन घर से किया जाने लगा. आनलाइन काम की सबसे बड़ी खूबी ये है कि आप लगातार घुमक्कड़ी करते हुए भी इसे कर सकते हैं. पहाड़ पर हों या समुद्र में, अगर इंटरनेट उपलब्ध है तो आप आराप से वेबसाइट अपडेट करा सकते हैं. वैसे कई वर्षों बाद अब फिर से भड़ास का आफिस नोएडा में खुल गया है. भड़ास का आफिस ऐसा रखा गया है जहां दिल्ली के बाहर से आने वाला कोई मीडियाकर्मी रात्रि विश्राम के लिए मुफ्त में रुक सके.
भड़ास को जिन-जिन साथियों ने चंदा देकर अगले छह महीने के सर्वर आदि के खर्च की व्यवस्था कराने में मदद दी, उनका भड़ास संपादक यशवंत ने हृदय से आभार जताया. एक साथी ने पच्चीस हजार रुपये की मदद दी. कई साथियों ने पांच से दस हजार रुपये भेजे. दर्जनों साथियों ने दस रुपये से लेकर बीस रुपये, पचास रुपये, सौ रुपये, पांच सौ रुपये, हजार रुपये, दो हजार रुपये, पच्चीस सौ रुपये भेजे.
भड़ास के इस चंदा मांगो अभियान के सफल होने से कई नतीजे भी सामने आते हैं. एक यह कि अच्छी, तेवरदार और निष्पक्ष वेबसाइट्स को उसके पाठक दिल से सपोर्ट करते हैं. मीडिया संस्थानों को अपने पाठकों-दर्शकों को अपने से कनेक्ट करने के लिए उनसे समय समय पर सहयोग लेना चाहिए ताकि पाठकों को यह एहसास हो कि वे भी इस मीडिया संस्थान के संचालन के लिए जिम्मेदार लोगों के समूह की एक कड़ी है. इस बाजारू समय में जब हर कोई पैसे हड़पने, पैसे लूटने, पैसे छीनने में लगा है, कोमल मन वाले ढेरों लोग ऐसे हैं जो किसी पवित्र मकसद के लिए अपने कीमती पैसे देने में तनिक भी संकोच नहीं करते. यही आशावादिता ही निष्पक्ष और सच्ची पत्रकारिता की रीढ़ है.
देखें फेसबुक पर यशवंत की पोस्ट और उस पर आए कुछ कमेंट्स…
Uttam Agrawal : यशवन्त जी, मुझे आपसे कोई निजी बैर नहीं है, बल्कि मुरीद हूं और युट्यूब पर फॉलो भी करता हूँ. एक सवाल पूछना है और वो सभी वेबसाइट के लोगों पर लागू होता है कि जब क्राउड फंडिंग से सारे चैनल चलते हैं तो फाइव स्टार होटल में व्याखान, इवेंट क्यों करवाया जाता है. क्या इस इवेंट में कांट्रीब्यूटर की सक्रिय भागीदारी होती है?
Yashwant Singh : फाइव स्टार होटल में केवल एक बार करवाया था। उसके स्पॉन्सर इवेंट के शर्त पर ही pay करते हैं। सर्वर के लिए वो नहीं pay करते। 5 स्टार होटल में हुए इवेंट में हम लोग नो प्रॉफिट नो लॉस पर काम किए थे। मतलब इवेंट के लिए जितना खर्च आया उतना ही स्पॉन्सर्स से मिला।
Satyendra PS : Yashwant Singh, एक बात और जोड़ें। भागीदारी आम लोगों की थी, चाहे वो कंटिब्यूटर थे या नहीं।
Vikas Singh Dagar : उस इवेंट के बारे में फेसबुक पर कई दिन पहले पोस्ट डालकर सभी को आमंत्रित किया गया था ।
Uttam Agrawal : Yashwant Singh माफ करना. आप को नहीं बोला, मुझे तो यह भी नहीं पता कि कोई इवेंट आपने करवाया. मैं बाकी लोगों की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे.
पूजन प्रियदर्शी : Uttam Agrawal यशवंत जी की साफगोई व संदर्भ को पकड़ें। सारा खुला खेल फरूखाबादी था।
Saurabh Gautam : Aap apni website pr adds nhi lgaye Kya sir jii agar nahi lgate to lga lo server mentence cost nikl aayegi
Yashwant Singh गूगल एडसेंस के एड हैं. उससे सर्वर का खर्च तो निकल आएगा लेकिन अपने पेट और अपने परिवार का खर्च कैसे निकलेगा?
Rakesh Sarna : Yashwant Singh UPI ka id bhi create kar ke page par update kar dijiye
Sanjay Singh : Rakesh Sarna बैंक डिटेल्स कमेंट में लिंक मे दिया हुआ है, मैं जमा भी कर दिया…
Ashish Rai Kaushik : भड़ास एक मंदिर है इसमें सहयोग लेने का मतलब ये है कि जिस तरह लोग देवालयों के लिए अधिक से अधिक लोगों से सहयोग लेते है ताकि अधिक लोगो का आत्मिक लगाव व आस्था हो उसी तरह भड़ास भी लोगो की भावनाओ को जोड़ने के लिए इस तरह का कदम उठाया होगा। वरना विज्ञापन पार्टी बहुत वेबसाइट चला रहे हैं
Shri Krishna Prasad : I will also send.
Manish Dubey : बिल्कुल होगी प्रभू
Neeraj Tiwari : जरूर
लक्ष्मीनारायण : बिल्कुल करेंगे दादा..
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