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ईवीएम विवाद पर दैनिक भास्कर की आज की खबर आदर्श है

दैनिक भास्कर की खबर – छोटी लेकिन अच्छी, पहले पन्ने में टॉप पर

ईवीएम विवाद सत्तारूढ़ दल बनाम विपक्ष या विपक्ष बनाम चुनाव आयोग नहीं है। ईवीएम से जो नतीजे मिलें वे बिल्कुल सही हों (एक-एक वोट की गिनती) यह उतना ही जरूरी है जितना एक लीटर पेट्रोल के पैसे देने पर एक लीटर पेट्रोल मिलना या एक मीटर कपड़े की कीमत देने पर एक मीटर कपड़ा मिलना चाहिए। इसमें माप शुद्ध होना ही जरूरी नहीं है पैमाने की शुद्धता और उसका मानक होना भी जरूरी है। मतलब बाट की जगह पत्थर रखकर कोई गरीब सब्जी विक्रेता भी सब्जी नहीं बेच सकता है। ना ही लकड़ी के टुकड़े से मीटर नापा जा सकता है। देश का कानून ऐसा ही है और माप-तौल विभाग इसी को लागू कराने का काम करता है। यह अलग बात है कि भ्रष्टाचार के कारण माप कम मिले पर पैमाने का मानक होना भी उतना ही जरूरी है।

इसके बावजूद ईवीएम विवाद को विपक्ष बनाम भाजपा या कुछ मामलों में विपक्ष बनाम चुनाव आयोग बना दिया गया है। अखबारों में यह विपक्ष बनाम भाजपा ही छपता है। आज भी लंबी-चौड़ी खबरों में मामला क्या है वह सही नहीं बताया गया है। सुबह अखबारों की खबरों पर अपनी रिपोर्ट में मैंने लिखा है कि भाजपा ईवीएम में सुधार की मांग से क्यों घबरा जाती है। पर असल मुद्दा उससे भी गंभीर है। और यह सभी खबरों में है। आमतौर पर अखबार सरकार और भाजपा का पक्ष लेते हैं और उसकी तरफ झुके हुए लगते हैं। वही हाल इस खबर का भी है। आज की खबर पर भाजपा की प्रतिक्रिया जो खबर के साथ न भी हो इतनी चर्चित और प्रसारित हुई है कि पाठक यही समझेगा कि विपक्ष हार के डर से ईवीएम का मुद्दा उठा रहा है।

इसपर दैनिक जागरण के संपादकीय का जिक्र मैं कर चुका हूं। अब बताता हूं कि खबर क्या है। इस खबर को सबसे कम शब्दों में सबसे सही ढंग से दैनिक भास्कर ने छापा है। शीर्षक है, विपक्षी दल बोले – वोट किसी को, पर्ची किसी और की निकली। भास्कर न्यूज की खबर इस प्रकार है, “कांग्रेस, टीडीपी और आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि ईवीएम से साथ लगे वीवीपैट से गलत पर्चियां निकल रही हैं। इसे लेकर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, दिल्ली के सीएम (अरविन्द) केजरीवाल और आंध्र (प्रदेश) के सीएम चंद्रबाबू नायडू समेत कई नेताओं ने दिल्ली में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

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सभी बोले कि वे इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। कम से कम 50% मतदान पर्चियों का मिलान ईवीएम से होना चाहिए। सिंघवी बोले- ईवीएम बटन दबाया तो उसके साथ लगी वीवीपैट मशीन से निकली पर्ची सिर्फ 3 सेकंड के लिए नजर आई। ऐसा लगातार हो रहा है कि वोट किसी को दिया, पर्ची किसी दूसरी पार्टी की निकली। केजरीवाल ने कहा कि- इंजीनियर होने के नाते में समझता हूं कि ईवीएम को भाजपा के हिसाब से प्रोग्राम किया गया है।

मैंने इससे पहले की पोस्ट में लिखा है कि चुनाव आयोग गए प्रतिनिधिमंडल में हरिप्रसाद भी थे। अमर उजाला ने उन्हें ‘ईवीएम चोर’ तो लिखा है पर यह नहीं बताया है कि वे कौन हैं और असल में चोर नहीं हैं। भास्कर में “ईवीएम विवाद लौटा” फ्लैग शीर्षक के साथ मुख्य खबर और दो सिंगल कॉलम की खबरें हैं – “कंट्रोवर्सी: नायडू के साथ ‘ईवीएम चोर’ था”। खबर इस प्रकार है, चुनाव आयोग पहुंचे चंद्रबाबू नायडू के साथ आईटी एक्सपर्ट हरि प्रसाद वेमुरु भी था। उसे 2010 में ईवीएम चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। चुनाव आयोग ने नायडू को पत्र लिखकर कहा कि वेमुरु का नाम प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं था। फिर वह आयोग कैसे आया। भास्कर ने दूसरी खबर भी छापी है जो अमर उजाला या दूसरे अखबारों में प्रमुखता से नहीं है, “नायडू बोले- वेमुरु चोर नहीं, व्हिसल-ब्लोअर हैं”। खबर इस प्रकार है, नायडू ने जवाबी पत्र में कहा कि- ‘हमने चुनाव आयुक्त से मुलाकात में दिखाया कि ईवीएम ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। उन्हें (वेमुरु) को चर्चा के लिए बुलाया गया था। वह व्हिसल-ब्लोअर हैं। उन्होंने चोरी नहीं की है। आयोग गड़बड़ी के मुद्दे की बजाय दूसरी बातें कर रहा है।’

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आप अपने अखबार में देखिए कि खबर क्या है और कैसे छपी है। इससे आप समझ सकते हैं कि आपका अखबार आपको कैसी मिलावटी खबरें दे रहा है। खबर का विस्तार देना एक बात है और काम की जानकारी नहीं देना बिल्कुल अलग। अखबारों में दोनों हो रहा है। आप देखिए आपका अखबार क्या कर रहा है। आज दो बड़े अखबारों दैनिक हिन्दुस्तान और राजस्थान पत्रिका में हरि प्रसाद का मामला मूल खबर के साथ प्रमुखता से नहीं है।

दैनिक हिन्दुस्तान में यह खबर लीड है और इसका शीर्षक है, “ईवीएम पर विपक्ष फिर हमलावर”। फ्लैग शीर्षक है, “एकजुटता : चंद्र्रबाबू नायडू बोले – 21 दल 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों के मिलान के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे”। अखबार ने जो बातें हाईलाइट की है उनमें एक यह भी है कि इस मामले को कई बार कानूनी चुनौती दी गई है और 1984 में सुप्रीम कोर्ट में कानून में तकनीकी खामी के कारण ईवीएम के खिलाफ फैसला दिया था। 1988 में जनप्रतिनिधि कानून 1951 में संशोधन कर इस खामी को दूर किया गया।

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राजस्थान पत्रिका में भी यह खबर लीड है। शीर्षक है, “पहले चरण की वोटिंग के बाद गर्मया ईवीएम का मुद्दा, विपक्ष बोला 50% वोटों का मिलान हो”। फ्लैग शीर्षक है, “संविधान बचाओ प्रेस कांफ्रेंस : 21 दल फिर खटखटाएंगे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा”। राजस्थान पत्रिका ने इस खबर को सबसे अच्छे से छापा है और इसके समर्थन में कांग्रेस के कपिल सिब्बल, टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और अरविन्द केजरीवाल के बयान प्रमुखता से छापे हैं। इनमें अरविन्द केजरीवाल ने कहा है कि एक पार्टी को छोड़कर सभी बैलेट पेपर की मांग कर रहे हैं। इन दोनों अखबारों में भाजपा की प्रतिक्रिया है।

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट

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https://youtu.be/7rXca8Xsaxw
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