Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

ईवीएम हैक शुजा प्रेस कांफ्रेंस पर क्या कहते हैं रवीश कुमार, पढ़िए

Ravish Kumar : ईवीएम की बात पर बेशक हंसिए, क्या उन हत्याओं पर भी हंसेंगे जिनका ज़िक्र शुजा ने किया है. लंदन के इस प्रेस कांफ्रेंस की पत्रकारों के बीच कई दिनों से चर्चा चल रही थी। इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन( यूरोप) और फोरेन प्रेस एसोसिएशन ने इस आयोजन के लिए आमंत्रण भेजा था। यह सवाल जायज़ है कि इतने बड़े प्रेस कांफ्रेंस में सबूत भी रखे जाने चाहिए थे। जिनके नहीं होने कारण छेड़खानी वाला हिस्सा कमजोर लगा।

सैय्यद शुजा को स्काइप के ज़रिए पेश किया गया। शुजा के कई दावे हास्यास्पद बताए जा रहे हैं। मगर जब वो कह रहा है कि उसने या उसकी टीम ने हैक की जा सकने वाली ईवीएम मशीन डिज़ाइन की थी तो उससे आगे की पूछताछ होनी चाहिए। ईवीएम मशीन को लेकर किसी भी सवाल को मज़ाक का सामना करना ही पड़ता है। कोई नई बात नहीं है। मगर आज की दुनिया में जहां ईवीएम मशीन से चुनाव नहीं होते हैं वहा भी बिग डेटा मेनुपुलेशन से चुनाव अपने पक्ष में मोड़ लेने पर बहस चल रही है। मशीन को लेकर भी और फेक न्यूज़ के ज़रिए भी।

सैय्यद शुजा ने तकनीकि आधार पर बताया है कि कैसे ईवीएम को हैक किया जा सकता है। जिसे समझने की क्षमता मुझमें तो नहीं है। मैंने अपने शो में भी कहा कि अक्षम हूं। उन दावों को सुन सकता हूं, रिपोर्ट कर सकता हूं मगर सही हैं या नहीं, इसे करीब करीब कहने के लिए कई तरह की जानकारी की ज़रूरत थी। कई लोग जो तकनीकि समझ रखते हैं उसके इन दावों पर हंस रहे हैं। हो सकता है हंसने वाले सही हों मगर जब बंदा कह रहा है कि मशीन उसने बनाई है तो बात कर लेने में हर्ज़ क्या है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसलिए ज़रूरी है कि चुनाव आयोग एक और बार के लिए उसे मौका दे। सबके सामने जैसा चाहता है, जो मांगता है उसे उपलब्ध कराए और कहे कि साबित कर दिखाओ। क्योंकि यह शख्स न सिर्फ मशीन बनाने की बात कर रहा है बल्कि यह भी कह रहा है कि इसकी टीम भारत में है जो हैकिंग को रोकती है और भारत के लोकतंत्र को बचाती है। अगर ऐसी कोई टीम है और ऐसा कर सकती है तो क्या वो किसी के पक्ष में हैक नहीं कर सकती है? मुझे भी इस बात पर हंसी आई लेकिन बात कहने वाले के जोखिम को देखते हुए हंसी रूक भी गई।

यही नहीं इसकी टीम हैकिंग रोक रही है। यानी अभी हैकिंग हो रही है। यह बात बिल्कुल काल्पनिक लग सकती है मगर कोई खुद को सामने लाकर कहे तो मज़ाक उड़ाने के साथ इसकी जांच करने में कोई बुराई नहीं है। शुजा आकर सबके सामने बताए कि कैसे और किस फ्रिक्वेंसी से डेटा ट्रासमिट होता है और उसे रोका जाता है। वह खुद सामने आकर कह रहा है कि प्रेस कांफ्रेंस से चार दिन पहले हमला हुआ है। उसकी छाती पर 18 टांके लगे हैं। कोई डाक्टर बता सकता है कि ऐसी स्थिति में क्या कोई अस्पताल से इतनी जल्दी बाहर हो सकता है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

सैय्यद शुजा को बीजेपी की जीत पर सवाल उठाने वाले शख्स के रूप में बताया जा रहा है। बेशक वह कह रहा है कि 2014 के चुनाव के नतीजे बदल दिए गए मगर वो यह भी कह रहा है कि 12 राजनीतिक दलों ने उससे संपर्क किया था। यह मज़ाक भी हो सकता है और मज़ाक है तब भी इसकी जांच करनी चाहिए। क्या हमारे देश के सारे दल शुजा को जानते हैं? क्या वे हैक किए जाने की संभावना की तलाश में भटक रहे हैं?

सैय्यद शुजा ने कांग्रेस, बसपा, सपा के नाम लिए हैं। उसने कहा कि 12 छोटे-बड़े दल संपर्क में थे। सवाल यही था कि क्या ये दल उससे यही काम कराना चाहते थे, जिसके जवाब में कहा कि हां। तो जनता को जानने का हक है कि ये कौन शख्स है। इसके पास जो जानकारी है, जो तकनीकि क्षमता है, वो क्या है। बात सिर्फ बीजेपी की नहीं है। उन 12 दलों की नीयत की भी है। इसे बीजेपी की जीत या हार से जोड़ कर देखना ठीक नहीं रहेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चुनाव आयोग ने कहा है कि वह इस प्रेस कांफ्रेंस में उठाए गए दावों से सहमत नहीं है। फिर भी चुनाव आयोग का विशेष दायित्व बनता है कि अपने तंत्र और मशीन को सवालों से ऊपर करे। चुनाव आय़ोग की हाल की कई भूमिकाओं को लेकर सवाल उठे हैं। तेलंगाना में बीस लाख मतदाताओं के नाम सूची से बाहर थे। आयोग ने माफी मांग कर किनारे कर लिया जबकि यह गंभीर आरोप था। तो मशीन भले ही संदेह के परे हो, आयोग समय-समय पर संदेह के दायरे में रहा है। टी एन शेषण के पहले चुनाव आयोग की क्या प्रतिष्ठा थी, बताने की क्या ज़रूरत नहीं है।

शुजा की कुछ बातें हास्यास्पद हैं और कुछ गंभीर भी। जैसे उसने ब्रेक्सिट को हैक किए जाने की बात कह दी तो पत्रकारों ने कहा कि वहां तो बैलेट पेपर से हुआ था। गोपीनाथ मुंडे वाला प्रसंग भी नहीं जमा। उनकी बेटी पंकजा बीजेपी में हैं। वो अपनी स्वतंत्र जगह बनाना चाहती है। अगर ऐसा होता तो वे इसी को उठाकर अपनी दावेदारी मज़बूत कर सकती थीं क्योंकि गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र के एक समाजिक वर्ग के बड़े नेता तो थे ही।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बेशक शुजा जिन अन्य हत्याओं की बात कर रहा है वे डराने वाली हैं। मज़ाक उड़ाने वालों को भी बताना चाहिए कि वे किस आधार पर मज़ाक उड़ा रहे हैं। कोई कह रहा है कि मुझे और मेरे साथियों को गोली लगी है। तो इसका मज़ाक उड़ाना चाहिए या मेडिकल जांच होनी चाहिए? वह बकायदा नाम ले रहा है कि हैदराबाद में एक इलाके में एक नेता के गेस्ट हाउस में हत्या हुई थी जिसे बाद में किशन बाग़ दंगों की आड़ में गायब कर दिया गया। 13 मई 2014 को हत्या हुई थी। वहां मौजूद 13 में से 11 लोग मारे गए थे। कितने लोग उस कमरे में दाखिल हुए थे और गोलियां चलाने वाले कौन थे? मज़ाक उड़ाने वाले पत्रकारों के पास क्या कोई पुख्ता जानकारी है जो मज़ाक उड़ा रहे है ?

सैय्यद शुजा का कहना है कि अमरीका आने के बाद जब उसने पता किया तो उसके माता पिता की हत्या हो गई थी। घर जल गया था। क्या ये बात सही है? कोई यह कह रहा है कि उसके मां बाप को मार दिया गया। उसकी पत्नी और बच्चे का पता नहीं तो फिर किस बात के लिए मजाक उड़ाया जा रहा है? क्या उसे आश्वस्त करने के लिए हर तरह के सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए? इसमें मज़ाक उड़ाने वाली बात क्या है? वह यह भी कह रहा है कि उसकी टीम के परिवार के किसी सदस्य का पता नहीं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

11 लोग मारे जाते हैं। उनके परिवार वाले मारे जाते हैं। क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए? वे कौन लोग हैं जो मज़ाक की आड़ में इतने गंभीर सवाल को किनारे कर देना चाहते हैं? क्या इस देश में कलबुर्गी, पनसारे और गौरी लंकेश की हत्या नहीं हुई है? गौरी लंकेश की हत्या के तार भी जोड़ा गया है। दावा किया है कि गौरी इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी जुटा रही थीं मगर उनकी हत्या हो गई।

शुजा ने कमल राव, प्रकाश रेड्डी, राज अयप्पा, अनुश्री दिनकर, श्रीकांत तम्नेरवर, अनिरुद्ध बहल, केशव प्रभु, सैय्यद मोहीउद्दीन, एजाज़ ख़ान, के नाम लिए जिनकी हत्या हुई थी। क्या इन सबको एक कमरे में बुलाकर उड़ा दिया गया था? इसकी विश्वसनीय जांच क्यों नहीं हो सकती है? इनका और इनके परिवारों और ख़ानदान को ट्रैक क्यों नहीं किया जाना चाहिए? कोई कहे कि मुझे और मेरे साथियों को उड़ा दिया गया है। उनके परिवार को उड़ा दिया गया है तो क्या सभ्य समाज उसकी हंसी उड़ाएगा? या कहेगा कि अगर ऐसा है तो इसकी जांच होनी चाहिए। जांच करेगा कौन। सीबीआई? अब हंसना शुरू कीजिए आप।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सैय्यद शुजा बता रहा है कि उसे अमरीका ने राजनीतिक शरण दी है। उसके लिए उसने कई दस्तावेज़ जमा किए थे। ये सारे दस्तावेज़ हैंकिंग और हैकिंग करने वाली टीम की हत्या से संबंधित हैं। तो यह बात जांच से सामने आ जाएगी। देखा जा सकता है कि उसके दस्तावेज़ क्या हैं।

सैय्यद शुजा की बातों को लेकर न तो उत्साहित होने की ज़रूरत है और न तुरंत खारिज करने की। जो बातें उसने बताई है उनमें से कुछ ज़रूर अविश्वसनीय लगती हैं मगर कई बातों का वह प्रमाण दे रहा है। ऐसी बातें कह रहा है जिनका पता लगाया जा सकता है। तो फिर इसे जग्गा जासूस का प्लाट कहना उचित रहेगा?

Advertisement. Scroll to continue reading.

बेशक इस पूरे प्रेस कांफ्रेंस को संदिग्ध करने के लिए कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की मौजूदगी काफी थी। पत्रकारों की कांफ्रेंस में सिब्बल क्या सोच कर गए। वे एक काबिल वकील रहे हैं। इतनी बातों की तो उन्हें समझ है। उन्होंने ऐसा क्यों किया जिससे प्रेस कांफ्रेंस संदिग्ध हो जाए? उनके जवाब का इंतज़ार रहेगा लेकिन बीजेपी को मौका मिल गया है कि कांग्रेस मोदी को हटाने के लिए कुछ भी कर सकती है।

क्या कांग्रेस बीजेपी की आड़ में उन हत्याओं पर हमेशा के लिए पर्दा गिरा दिया जाएगा, जिसे उठाने के लिए सैय्यद शुजा बाहर आया है? व्हिसल ब्लोअर की बात पर कोई जल्दी यकीन नहीं करता। क्योंकि वे सामान्य लोगों और पत्रकारों की हदों को पार करते हुए ज्यादा जानकारी जुटा लाते हैं। इसलिए उनके मार दिए जाने के बाद भी ज़माना ध्यान नहीं देता है। इस देश में ऐसी हत्याओं की बात क्या अजूबा है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसलिए इस प्रेस कांफ्रेंस को दो हिस्से में देखा जाना चाहिए. एक मशीन को छेड़ने की तकनीक के रूप में। जिस पर टिप्पणी करने की मेरी कोई क्षमता नहीं है। मैं इस पर हंसने वालों के साथ हंस सकता हूं। मगर दूसरा हिस्सा जो हत्याओं के सिलसिले का है, मैं उस पर नहीं हसूंगा। चाहूंगा कि सब कुछ साफ हो जाए। एक कमरे में 11 लोगों को भून दिया जाए, जो ईवीएम मशीन को छेड़ने की तकनीकि जानकारी रखते हो, यह बात फिल्मी लग सकती है तब भी हंसना नहीं चाहूंगा।

एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
2 Comments

2 Comments

  1. Gulab Singh

    January 22, 2019 at 2:37 pm

    एकदम बोरियत लिखा।

  2. Ramesh

    January 24, 2019 at 5:22 am

    इस को अपने देश पर भरोसा नही है, शूजा कांग्रेसी दलाल पर इस रवीश जैसा जो की बिन पेदी का लोटा है ज्यादा भरोसा करता है । ऐसे गद्दारो को सीरिया के कूड़े मे फेक देना चाहिए ।

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement