Ashwini Kumar Srivastava : यह है मेरठ की उसी सीट से जुड़ी खबर, जिस पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी इस भयंकर मोदी तूफ़ान में भी हार गए थे। ईवीएम के साथ वीवीपीएटी की चाक चौबंद व्यवस्था में यहाँ 11 फ़रवरी को मतदान हुआ। इसके बाद जहाँ ईवीएम मशीन रखी गयी, वहां हर समय मौजूद रहने वाले व्यक्ति की लाश गटर में मिली। यानी इस बात की पूरी सम्भावना है कि मतदान के बाद यहाँ रखी ईवीएम से छेड़छाड़ की कोशिश की गयी, जिसे इस व्यक्ति ने देख लिया और इसी के चलते यह हत्या हो गयी।
यह भी तो हो सकता है कि मारे गए इसी व्यक्ति के प्रतिरोध के चलते अंततः यहाँ की ईवीएम में छेड़छाड़ ही न हो पायी हो और वास्तविक नतीजे मिलने के चलते वाजपेयी हार गये हों। अगर ईवीएम में छेड़छाड़ हो जाती तो शायद मेरठ का विधायक आज कोई और ही होता।
जिस व्यक्ति की हत्या हुई, उसकी तैनाती यूपी की बहुचर्चित आईएएस और मेरठ की डीएम बी चंद्रकला ने की थी। तैनात व्यक्ति लंगूर का मालिक था। डीएम ने ईवीएम को रखे जाने वाले स्ट्रांग रूम में बंदरों के उत्पात को देखते हुए अचानक लंगूर को रखवाने का फैसला किया था। चूँकि लंगूर को रखवाने का फैसला अचानक ही लिया गया था इसलिए सम्भव है कि ईवीएम से छेड़छाड़ करने की कोशिश करने वालों को ईवीएम स्थल पर लंगूर मालिक की मौजूदगी का पता ही न चला हो। फिर अप्रत्याशित रूप से लंगूर मालिक का सामना होने पर उन्हें लंगूर मालिक की हत्या करके फरार हो जाना पड़ा हो।
लखनऊ के पत्रकार और उद्यमी अश्विनी कुमार श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.
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Insaf
March 15, 2017 at 4:06 pm
Kuchh patrakaron ko bayana raashi lautane ki naubat aa gayi hai.unpar hare huye netawon ka dabaw bana hai. supari lekar evm se chedkhani ka aarop gadha ja raha hai. Aise logon ki sampatti ki janch honi chahiye.