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उत्तर प्रदेश

अपने पूर्व डीजीपी भाई, एक इंस्पेक्टर, दो वकीलों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाने वाली बहन की लाश तक न मिली!

-सौरभ सिंह सोमवंशी-

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी आनंदलाल बनर्जी की बहन और इलाहाबाद हाईकोर्ट में पूर्व में सहायक निबंधक के पद पर तैनात रह चुकी विजयलक्ष्मी बनर्जी की पिछले दिनों प्रयागराज स्थित एक निजी अस्पताल से जांच के दौरान बाहर जाने पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनके पति व वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट में संयुक्त निबंधक के पद पर तैनात हेम सिंह को मृत शरीर भी नहीं मिल पाया और वह अंतिम संस्कार करने से भी वंचित रह गए। इस मामले की शिकायत हेम सिंह ने पुलिस और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में की है। जांच क्षेत्राधिकारी सिविल लाइंस कर रहे हैं। परंतु इस बीच विजयलक्ष्मी बनर्जी द्वारा जीते जी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दिया गया एक शपथ पत्र वायरल होने से हड़कंप मच गया है। इसमें उन्होंने अपनी हत्या की आशंका जताई है और स्पष्ट रुप से अपने भाई समेत चार लोगों का नाम भी लिया है जो उनकी हत्या करा सकते थे। ये शपथ पत्र स्वयं उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सूचना के अधिकार के तहत उनके पति हेम सिंह को उपलब्ध कराया है।

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भाई, भाभी और दो अधिवक्ता व एक इंस्पेक्टर का नाम लेकर जताई थी हत्या की आशंका

विजयलक्ष्मी बनर्जी ने 30 जनवरी 2019 को उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस रफत आलम को भेजे गए शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि उन्होंने अपने से 9 वर्ष छोटे श्री हेम सिंह से अंतर्जातीय विवाह किया था। शपथ पत्र में उन्होंने अपने भाई और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी को अपराधी, अय्याश व संपत्ति के लिए किसी भी हद तक जाने वाला बताया है। उन्होंने आरोप भी लगाया हे कि उनकी मां पुतुल बनर्जी ने चल अचल संपत्तियों का मालिकाना हक उनको भी दिया था, परंतु आनंद लाल बनर्जी ने उनके पति हेम सिंह, बेटी रुक्मिणी सिंह की हत्या की धमकी देकर आई.जी. जोन इलाहाबाद पोस्टिंग के दौरान अपने नाम करा लिया।

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उन्होंने यह भी लिखा है कि चल अचल संपत्तियों को हड़पने के लिए ही उनके पति हेम सिंह को सुनियोजित तरीके से ज़हर दिया गया था, परंतु जब हेम सिंह को जहर देने के बात की फोरेंसिक जांच करवानी की योजना बनाई गई तभी आनंद लाल बनर्जी के मातहत रह चुके पुलिस इंस्पेक्टर श्री गोरखनाथ सिंह व एक महिला पुलिस जो क्षेत्राधिकारी स्तर की थी उसको भेजकर विजयलक्ष्मी बनर्जी को जबरदस्ती लखनऊ बुलवा लिया गया इसके बाद हेम सिंह के ऊपर विजयलक्ष्मी बनर्जी से एफआईआर दर्ज कराई गई व 70 से 80 लाख रुपयों की फिरौती ले ली गयी व झूठी शिकायत की गई। इसे उच्चन्यायालय द्वारा कराई गई विजलेंस जांच कराई में झूठा पाया गया। दबाव में ही हेम सिंह के विरुद्ध विजयलक्ष्मी बनर्जी के द्वारा झूठी गवाही दिलवाई गई और कहा गया कि ऐसा न करने पर तुम्हें और तुम्हारे पति दोनों को मरवा दूंगा। विजयलक्ष्मी बनर्जी के द्वारा दिए गए शपथ पत्र के अनुसार मामले को उनके व उनके पति के बीच वैवाहिक झगड़े का रूप दे दिया गया। इसे मानवाधिकार आयोग ने मेट्रोमोनियल डिस्प्यूट मानने से इनकार कर दिया गया था।

विजयलक्ष्मी बनर्जी ने शपथ पत्र में आनंद लाल बनर्जी को अपराधी व नरपिशाच तक कहा है। लिखा है कि इसी तरह का विवाद उनके भाई आनंद लाल बनर्जी भाभी मधुछंदा बनर्जी ने उनकी छोटी बहन इंद्राणी बनर्जी व उसके पति के साथ किया और संपत्ति के लालच में ही पति पत्नी के बीच विवाद पैदा करवा दिया। शपथ पत्र के अनुसार विजयलक्ष्मी बनर्जी व हेम सिंह की तरह ही इंद्राणी बनर्जी व उनके परिवार को भी बर्बाद कर दिया और अंत में मुकदमा लड़ते हुए ही उसकी मृत्यु हो गई।

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एक इंस्पेक्टर और दो वकीलों पर भी लगाया था आरोप

विजयलक्ष्मी बनर्जी ने अपने शपथ पत्र में पुलिस इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी पर भी सनसनी खेज आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा है कि दिनेश त्रिपाठी के ऊपर दर्जनों आपराधिक केस चल रहे हैं और दिनेश त्रिपाठी को मेरे व मेरे पति के ऊपर नजर रखने व जान से मारने की साजिश के लिए पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी ने लगा रखा है। यहां ये भी देखने योग्य तथ्य है कि सिस्टर शीबा जोन्स जो कि आपराधिक गतिविधियों में शामिल है व अनेकों आपराधिक वाद में वांछित हैं, ने विजय लक्ष्मी बनर्जी को अपने पास रख रक्खा था तथा अपने जूनियर जमील अहमद को विजय लक्ष्मी बनर्जी का वकील बना रखा था। विजय लक्ष्मी बनर्जी ने फेमिली कोर्ट के अधिवक्ता जमील अहमद पर आरोप लगाते हुए ये भी कहा है कि इन्होंने हमसे साजिश के तहत हस्ताक्षर करा लिया है और इसके अलावा उन्होने लिखा है कि मैं एक लाख प्रतिमाह पाती हूं, जिसमें से 20 हजार अधिवक्ता मलिक जमील अहमद, 15 हजार इलाहाबाद हाईकोर्ट अधिवक्ता पंकज गुप्ता जबरदस्ती ले लेते हैं। उन्होंने लिखा कि उनके द्वारा पति हेम सिंह के ऊपर उनकी उम्र कम करके F.I.R दर्ज करा कर उनकी उम्र 1959 की बजाए 1972 भरकर देने की भी जानकारी उनको नहीं है।

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विजयलक्ष्मी बनर्जी ने अपने शपथ पत्र में लिखा है कि उच्च न्यायालय में उन्होंने अपने पति हेम सिंह के साथ समझौता किया और समझौते के आधार पर इलाहाबाद बैंक के लाकर में रखा हुआ पुश्तैनी जेवर जो एक किलो का था उसके अलावा 18 लाख रुपये की फिक्स डिपॉजिट एक फोर्ड फिगो कार व अलग से 9 लाख रुपए प्राप्त किए थे। परंतु पूरा पैसा पूर्व डीजीपी और भाई आनंदलाल बनर्जी जी द्वारा ले लिया गया और फोर्ड फिगो कार इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी द्वारा ले लिया गया।

शपथ पत्र के अंत में विजयलक्ष्मी बनर्जी ने लिखा है कि उनके भाई आनंद लाल बनर्जी फेमिली कोर्ट के अधिवक्ता जमील अहमद, हाई कोर्ट के अधिवक्ता पंकज गुप्ता और इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी ने उनको इस कदर परेशान किया कि 60 वर्ष की उम्र मे वो लगभग पागल हो चुकी हैं। शपथ पत्र में उन्होंने अपनी पुत्री रुक्मणी सिंह जिसने आत्महत्या कर लिया था। इस प्रकरण में भी अपने भाई आनंदलाल बनर्जी के ऊपर गम्भीर आरोप लगाया है। उन्होंने अपनी भाभी मधुछंदा बनर्जी के ऊपर साजिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रार्थना की है रिटायरमेंट के बाद प्रार्थी को जो भी रुपए मिलेंगे उसके लिए हो सकता है कि उनकी हत्या कर दी जाय और यदि वह संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई जाती हैं तो इसका पूरा उत्तरदायित्व उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और उनके भाई आनंदलाल बनर्जी उनकी पत्नी मधुछंदा बनर्जी, पुलिस इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी और अधिवक्ता जमील अहमद और पंकज गुप्ता ही होंगे।

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क्या सजिश का शिकार हुई विजयलक्ष्मी बनर्जी

विजयलक्ष्मी बनर्जी के द्वारा दिए गए शपथ पत्र के अनुसार उनके साथ कोई भी घटना घटित हो सकती है। उन्होंने शपथ पत्र में स्पष्ट भी कर दिया था कि वे कौन लोग हैं जो घटना कर सकते हैं। पति और इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्वाइंट रजिस्ट्रार के पद पर तैनात हेम सिंह को पत्र सूचना के अधिकार के तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपलब्ध तो करा दिया परंतु उस शपथ पत्र में जिस तरह के सनसनी खेज आरोप हैं और जैसी आशंका विजयलक्ष्मी बनर्जी ने प्रकट की है, वह अब सच साबित हुई है तो क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले पर मौन रहेगा? वह भी तब जब विजयलक्ष्मी की न केवल संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई बल्कि मृत शरीर को भी गायब कर दिया गया?

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