पत्रकारिता में भ्रष्टाचार की चर्चा वैसे तो पूरे देश में है लेकिन इस मामले में फैजाबाद शहर काफी आगे है। यहां पत्रकारों से ज्यादा प्रेस-फोटोग्राफरों का आतंक है। पहले किसी भी प्रेस वार्ता या कार्यक्रम में आयोजक, नेता, अधिकारी, समाचार-पत्र कार्यालय में दो दिन पूर्व लिखित सूचना देते थे। फिर समाचार पत्र के सम्पादक पत्रकारों को वहां जाने की अनुमति के साथ फोटोग्राफरो को भी फोटो के लिए भेजते थे। लेकिन फैजाबाद में यह व्यवस्था बीते जमाने की बात हो गयी है। अब यहां की पत्रकारिता का ठेका नेताओं व अधिकारियो ने पत्रकारो को नहीं प्रेस छायाकारो को दे दिया है। किसी भी आयोजन की सूचना अब सिर्फ प्रेस छायाकारो को दी जाती है। ये लोग प्रति आयोजन दो सौ से पांच सौ रूपये लेकर अखबारों में फोटो लगवाने का ठेका लेते हैं।
इन प्रेस छायाकारो ने पूरे जिले में एक समूह बना रखा है जिसके माध्यम से इनके अवैध वसूली का धन्धा चलता है। हालात यह है कि अगर किसी ने इनका विरोध किया तो उसे किसी आयोजन की फोटो नहीं मिल पाती। इसी वसूली के चक्कर में कई छायाकार कई बार पिटे भी गये। फिर भी नहीं सुधरे। ऐसा नहीं की इस गोरखधन्धे में छोटे अखबारो के ही छायाकार शामिल है। बल्कि इस धन्धे के सरगना, अपने आपको पत्रकारिता की दशा-दिशा तय करने का दावा करने वाले समाचार पत्रो के छायाकार है।
फैजाबाद में कहा जाता है कि पत्रकार बनने से अच्छा है छायाकार बन जाओ। पत्रकार जहां महीने में दो चार हजार नहीं कमा पाते वहीं छायाकार रोज आयोजनों के हिसाब से हजार से दो हजार रोज कमा रहें है। फैजाबाद में छायाकारो का आईडल एक प्रमुख अखबार का, कक्षा चार पास छायाकार है। इसने इसी अवैध धन्धे के दम पर चार पहिया वाहन व अच्छी खासी सम्पत्ति अर्जित कर ली है। सूत्रो की माने तो उस छायाकार ने कच्ची शराब के धन्धे से लेकर महाजनी यानि सूद पर पैसा बांटने का धन्धा भी व्यापक स्तर पर फैला रखा है।
अभी कुछ दिन पूर्व उसके द्वारा शहर में जमीन की अवैध कब्जेदारी का मामला प्रकाश में आया था। जिसमें पीड़ितो ने उच्च अधिकारियो से लेकर उसके अखबार के मालिको तक से शिकायत की थी। लेकिन बड़े अखबार का नाम आने के कारण प्रशासन की भी हिम्मत नहीं हुई की उसके खिलाफ कार्यवाही कर सके। जिसका परिणम यह हुआ कि उसका हौसला और बुलंद हो गया और अब बाकी छायाकार भी उसी के नक्शे कदम पर चलने को आतुर हो गये है। भला करें भगवान फैजाबाद की पत्रकारिता का।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
balram mourya
August 2, 2014 at 12:28 pm
khaber achee hau
balram mourya
August 2, 2014 at 12:29 pm
😥 😀 😆 😉 8) 😐 :-* 😳 🙁 😥 😮 😕 😡 😮 :zzz 😛 🙄
mishra
August 3, 2014 at 8:43 am
100 persent sach hai.
aadi
September 3, 2014 at 9:44 am
yahi hall sultanpur jile ka bhi hai