मीडिया क्षेत्र में अगर फर्जीवाड़े की बात करें तो सबसे ज्यादा धोखेबाजी और छल न्यूज चैनलों की दुनिया में है. चुनाव आए नहीं कि लुटेरों का गिरोह सक्रिय. आगे है बिहार और यूपी के विधानसभा चुनाव. इन दोनों बड़े राज्यों के चुनाव में खरबों रुपये के वारे न्यारे होते हैं. नेता अपनी ब्लैकमनी जनता के बीच ले आते हैं और वोट खरीदने के वास्ते कैश से लेकर शराब आदि तक बंटवाते हैं. इसी रकम बटाई में से कुछ हिस्सा अपने पाले में करने के लिए कुछ शातिर दिमाग लोग चैनल ले आते हैं. हालांकि नेता चालाक हो चुके हैं और वो जानते हैं कि कौन चैनल मौसमी चैनल है और कौन-से पहले से चल रहे हैं.
एक बार फिर कई चैनल मैदान में आने को मचल रहे हैं. कई चैनलों से कई आरोपों से निकाले गए एक सज्जन काफी दिनों से अपनी दुकान सजाने की फिराक में है. आखिरकार उन्होंने इसमें सफलता पाई और न्यूज नाऊ नाम से यूपी यूके केंद्रित एक चैनल लांच करने को लेकर काफी समय से चर्चा चला रहे हैं. इस चैनल की तरफ से विज्ञप्ति जारी कर सबको बता दिया गया है कि दुकान नोएडा में सज गई है और आइए हम सब मिलकर धंधा करें. हजारों मीडियाकर्मी बार बार छले जाने के बावजूद इस चैनल से जुड़ेंगे और तनख्वाह न मिलने पर सबका आह्वान करेंगे कि आइए हम सब मिलकर लड़ें. खासतौर पर भड़ास को जरूर कसम खिला खिला कर कहेंगे कि आप भड़ासियों को इन संघर्षरत मीडियाकर्मियों के साथ खड़े होना चाहिए.
उधर, भांति भांति के फ्राडों के कारण तिहाड़ के कई दफे चक्कर लगा चुके महुआ ब्रांड वाले पीके तिवारी को मीडिया इंडस्ट्री में लूटने फूलने के लिए कंधा मिल गया है. यह कंधा दिया है सन स्टार ब्रांड वाले गोपाल दास ने. सन स्टार नामक अखबार निकाल रहे गोपाल दास चैनल भी लाने वाले हैं. इनके साथ ओंकारेश्वर पांडेय, राघवेश अस्थाना, विद्याशंकर तिवारी आदि जुड़े हैं. समझा जा सकता है कि जो पीके तिवारी नामक शख्स खुद का न्यूज चैनल नहीं चला पाया और मीडियाकर्मियों की सेलरी हड़पकर भागने की फिराक में था, वह किसी दूसरे के पार्टनरशिप में कैसे सज्जन और उदार जन बन जाएगा. जानकार कहते हैं कि ये सन स्टार नामक ग्रुप भी पत्रकारिता के लिए कम, मालिकान के धंधे फैलाने और चैनल के नाम पर अन्य तरीके से पैसे बनाने के लिए मैदान में उतर रहा है. इनका पूरा कार्यक्रम बिहार और यूपी के चुनाव तक केंद्रित है.
इसलिए हे मीडिया के समझदार प्राणियों. फिर फिर जाल में न फंसना. सेक्युरिटी मनी जमाकर माइक आईडी लेने के चक्कर में न पड़ना. बिना तनख्वाह पाए महीनों काम करते जाने के मकड़जाल में न फंसना. जिन समझदार संपादकों ने धनपशुओं को चढ़ा बढ़ाकर फांसा है, उन संपादकों और उनकी टीम के लग्गूओं भग्गूओं का तो काफी कल्याण हो जाएगा लेकिन मारे जाएंगे बेचारे वो जो मीडिया में कुछ करने के इरादे से आने की चाहत में इनके साथ जुड़ फंस जाते हैं.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Aap ka hiteshi
August 20, 2015 at 9:14 am
Yashwant bhai yeh dekh k bachpan ki kavita yaad aa gai – Ek jungle main ek
Mahatma rehte
the..Unke ashram ke
paas Ek bhut bada ped
tha. Us ped par bhut saari Pakshi Rehte the.
Vahan roz ek shikari
aata aur jaal main dana
daal kar pakshion ko
pakad ke le jata.
Mahatma ji ne socha ke main in pakshion ko
samjhata hu ke jaal pe
pada dana na khaya
karo. Vo pakshion ke
paas gaye aur unse
kaha “Shikari ayega- Dana dalega- Dana
khana nahi-jaal me
phasna nahi”.. Unhone
kayi baar ye baat
dohrayi. Pakshion ne is
baat ko achhi tarah se yaad kar liya aur baar
baar ratne lage.
Mahatma ji ne socha ki
chalo in ki samjh me
baat aa gayi hai. Agle din
jab shikari aaya to usne dekha ke saare pakshi
wohi line rat rahe hai ke
“Shikari aayega- dana
dalega- dana khana
nahi-jaal me phasna
nahi’’. Wo samajh gaya ke inhe koi Guru mil gaya
hai. Phir bhi usne jaal
bichha ke dana daal diya.
Thodi der baad usne
dekha ke bahut se
pakshi jaal me phase huye the aur bole ja
rahe the ke Shikari
aayega-dana dalega-
dana khana nahi-jaal me
phasna nahi. Shikari
khoob hasa aur saare pakshion ko le chal pada.
Raste me Mahatma ji
jab dekha ke pakshi kya
kar rahe hai to unhone
bhi sar peet liya
Yahan Shikari Hai Kaal… Mahatmaji hai Guru… Aur
Pakshi hai hum jeev
atma… Guru bhi hame
bahut samjhate hai
parhum bhi sirf unki
baat ko ratt te rahte par apne jeevan main us
par amal nahi karte ur
kaal ke phailaye hue
jaal me phaste jaate hai.