Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

मजीठिया : क्या इन सवालों का जवाब देगा कॉन्फेडरेशन… अवमानना के मामले में सब चुप क्यों

कॉन्फेडरेशन ऑफ न्यूज पेपर एंड न्यूज एजेंसी एम्प्लाइज यूनियंस की बुधवार को हुई बैठक में पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए नए वेज बोर्ड के गठन और मजीठिया वेतनमान को सभी समाचार पत्रों एवं समितियों में लागू कराने के लिए दिल्ली में जल्दी ही एक विशाल रैली आयोजित करने का फैसला किया गया है। अच्छी बात है। अच्छा फैसला है। मगर इससे पहले कुछ सवाल हैं जिसका जवाब कॉन्फेडरेशन और इसके नेताओं व पदाधिकारियों को देना चाहिए।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>कॉन्फेडरेशन ऑफ न्यूज पेपर एंड न्यूज एजेंसी एम्प्लाइज यूनियंस की बुधवार को हुई बैठक में पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए नए वेज बोर्ड के गठन और मजीठिया वेतनमान को सभी समाचार पत्रों एवं समितियों में लागू कराने के लिए दिल्ली में जल्दी ही एक विशाल रैली आयोजित करने का फैसला किया गया है। अच्छी बात है। अच्छा फैसला है। मगर इससे पहले कुछ सवाल हैं जिसका जवाब कॉन्फेडरेशन और इसके नेताओं व पदाधिकारियों को देना चाहिए।</p>

कॉन्फेडरेशन ऑफ न्यूज पेपर एंड न्यूज एजेंसी एम्प्लाइज यूनियंस की बुधवार को हुई बैठक में पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए नए वेज बोर्ड के गठन और मजीठिया वेतनमान को सभी समाचार पत्रों एवं समितियों में लागू कराने के लिए दिल्ली में जल्दी ही एक विशाल रैली आयोजित करने का फैसला किया गया है। अच्छी बात है। अच्छा फैसला है। मगर इससे पहले कुछ सवाल हैं जिसका जवाब कॉन्फेडरेशन और इसके नेताओं व पदाधिकारियों को देना चाहिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

1- पीटीआई में दूसरी किस्त कब मिलेगी, अनुबंध के साथियों की लड़ाई कौन लड़ेगा.

कॉन्फेडरेशन की ओर से कहा गया है कि मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ तमाम समाचार पत्र कर्मियों को मिल रहा है। जो इस लाभ से वंचित रह गए हैं उनके लिए संघर्ष की रूपरेखा तैयार की जा रही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

– इस पर पहला सवाल कॉन्फेडरेशन के महासचिव श्री एमएस यादव जी से है जिन्होंने यह बैठक बुलाई थी। यादव जी पीटीआई फेडरेशन के भी महासचिव हैं। उनका दावा है कि पीटीआई ने मजीठिया वेतनमान पूरी तरह से लागू कर दिया है। क्या यादव जी यह बताने की कृपा करेंगे कि पीटीआई ने अगर नया वेतनमान लागू कर दिया है तो कर्मचारियों को अभी तक पूरा एरियर क्यों नहीं मिला और अगर नहीं मिला है तो यादव जी कब तक इसे दिलवाएंगे। जब वे खुद अपने संस्थान में इसे ठीक से लागू नहीं करवा पाए हैं तो बाकी संस्थानों में वे इसे कैसे लागू करवाएंगे जरा बताएं। जिस संघर्ष की रूपरेखा बनाने की बात बैठक में की गई है तो जरा यह भी बताएं कि उनके यूनियन की ओर से क्यों नहीं सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया गया। और जब इसे लेकर बिना यूनियन के ही तमाम अखबारों के लोग सुप्रीम कोर्ट में चले गए तो उन्होंने इस मामले में कर्मचारियों की अब तक क्या मदद की है।

जहां तक हमें मालूम है उनकी ओर से अवमानना के मामले में कुछ भी नहीं किया गया है। वे सिर्फ बैठकें बुलाते हैं और अपनी नेतागिरी चमकाने में लगे रहते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

2- यूएनआई- पीएफ का पैसा का क्या हुआ जोशी जी, 18 महीने से नही मिल रहा वेतन

इस बैठक में दूसरी संवाद समिति यूएनआई / यूनीवार्ता यूनियन के श्री एमएल जोशी ने भी शिरकत की थी। उनसे बस इतना ही कि पीएफ का पैसा का क्या हुआ जोशी जी, कुछ बता पाएंगे। मजीठिया आप के बस में है ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जरा जोशी जी बताएं कि क्या उनके यहां मजीठिया वेतनमान लागू हुआ। जहां तक ताजा खबर है वहां भी इसे लागू नहीं किया गया है तो जोशी जी ने क्यों नहीं अपने यूनियन की ओर से इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया। या फिर क्यों नहीं उनके यूनियन ने लेबर ऑफिस में मामला दर्ज कराया। यूएनआई से कुछ लोग जरूर लेबर ऑफिस गए हैं मगर वे यूनियन की ओर से नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से गए हैं। जोशी जी जब अपने संस्थान में ही इसे लागू करवाने में असफल रहे हैं तो कैसे बाकी अखबारकर्मियों को नया वेतनमान दिलवा पाएंगे। जरा जोशी जी का इतिहास भी जान लें तो अच्छा रहेगा। जोशी जी के नेतृत्व में ही यूएनआई के कर्मचारियों का कबाड़ा हुआ। प्रबंधन से समझौता कर उन्होंने ही कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात किया है। अब अगर अखबार कर्मियों के लिए ये संघर्ष करेंगे तो आगे क्या होगा भगवान ही जाने।

3- एचटी का हाल क्या किया आपने सिन्हा साहब

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसी तरह आईजेयू के एसएन सिन्हा की भूमिका हिंदुस्तान टाइम्स के यूनियन को गर्त में डालने की रही है जिसकी वजह से वहां 400 कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। सिन्हा जी ने प्रबंधन के साथ समझौता कर न सिर्फ कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात किया था बल्कि उन्हें सड़क पर लाकर छोड़ दिया था और खुद माल बनाकर चलते बने। आईजेयू के ही मदन सिंह की प्रबंधन से दोस्ती किसी से छिपी नहीं।एक बार भी आईजेयू ने मजीठिया का मामला अब तक क्यों नहीं उठाया।

4- एक्सप्रेस के नायडू नेतागिरी का सवाल है भैया

Advertisement. Scroll to continue reading.

कॉन्फेडरेशन अब ऐसे लोगों को साथ लेकर लड़ाई लड़ने चला है जिनका इतिहास ही दागदार रहा है। इनमें इंडियन एक्सप्रेस के नायडू और नंदू की जोड़ी भी शामिल है जो अब इंडियन एक्सप्रेस के यूनियन में किसी पद पर हैं ही नहीं। उन्हें कर्मचारियों ने दो साल पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया था। मगर वे अब तक अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पाए हैं। मगर नेतागिरी के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा।

5- टाइम्स ऑफ इंडिया के रूपचंद भाई

Advertisement. Scroll to continue reading.

आपने तो भाई सुप्रीम कोर्ट से केस ही वापस लेने की कोशिश की। और आप तो वैसे भी टाइम्स के कर्मचारियों की लड़ाई नहीं लड़ पांएगे। कारण सभी लागे जानते हैं।

कुल मिलाकर कर कहा जाए तो इस बैठक में जो नेता फैसला ले रहे थे और नीतियां बना रहे थे उनमें से ज्यादातर मजीठिया वेतनमान लागू नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना के मामलों में न तो कोई सहयोग कर रहे हैं और न ही कोई काम। अब जब सुप्रीम कोर्ट का रुख लगभग तय हो गया है तो ये नेता अपनी नेतागिरी फिर से चमकाने में जुट गए हैं। इनमें से कई नेता ऐसे हैं जो सालों से कुंडली मारकर विभिन्न यूनियनों में पद पर बने हुए हैं और कर्मचारियों को बेवकूफ बना रहे हैं।
ये सारे सवाल कॉन्फेडरेशन की बैठक पर आईएफडब्ल्यूजे की ओर से जारी बयान पर किए गए हैं। यह विज्ञप्ति भी नीचे है। जरा इसे भी पढ़ें…

Advertisement. Scroll to continue reading.

Shrikant Singh
[email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. Kashinath Matale

    July 29, 2016 at 11:20 am

    Dear Shrikant Singh jee, Namaskar,
    Bhai Aapne bahot hi achhe aur dil ko chhu lene wale sawal uthaye hai.
    Sawal ka jawab to milna hi chahiye.
    Shrikant Bhai sahab aap konse news paper ya news agency me ho? Jaisa ki mai The Hitavada Nagpur me hu.
    Mai Union se 1984 se juda hu. Jab jab bhi wage board ya aur bhi ladhai baat aati hai, gine chune log hi maidan me aate hai.
    Contract employee to ladhane ki liye sath me rahte hi nahi, ve kahte the ki wage board hamere liye hai hi nahi. Yeh unki mansthiti hai, Aur jab majitia wage board ki baat aayi to isme humara kya fayda hai. Hamare kya hai.? Lekin Nagpur se ek bhi contract employee ladhne ke liye tayar nahi hua hai. Permanent employee bhi ghabrate hai. Hamare sath kuchh log hai jinhone proper implentation ke liye ALC me case kiya hai.
    New Wage Board ki demand to honi hi chahiye. Govt ne 7th Pay Commission implement kiya hai. To apni bhi demand banti hai. Aur ladhai ke liye har vakt tayar rahana chahiye. [email protected]
    Thanks !!!

  2. sanjib

    July 29, 2016 at 8:43 pm

    Inka Jawab to Workers hi denge Shrikant sab na ki ye sabhi “Bikey hue Kshadm aur Maukaparast Neta”. Kyonki aapney jitney bhi netaon ke naam likhe hain, inme jyadatar “Malikon se Bikey” hue hain aur apni “Roti Senk” rahey hain…. Kissi tarah Neta Baney rahey, Iski Jugaad me lagey hain…

  3. dinesh

    July 30, 2016 at 2:30 am

    इन सारे सवालों के उनके पास कोई जवाब नहीं हैं। वाकई में अब मजीठिया की लड़ाई जीत के करीब पहुंचने वाली है तो यह लोग अपनी नेतागिरी चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। यही क्या एन ए जे यू आई हो या कोई और सब मौका परस्त हैं।

  4. rk

    July 30, 2016 at 3:05 pm

    bhai shrikantji

    doosro ki kamia ginana jo ki hai nahin, agar kuch karna hai to sabse sahyog maango, jin logo ke baare mein aap baat kar rahe ho inhi logon ne is mukam tak pahuchaya hai ki aap aaj wage board ke baare mein baat bhi kar rahe ho, kuch bhi likhne se pahle sab jankari lena jaroori hai, allegation lagana hamesha aasaan hai.

  5. ramesh negi

    August 1, 2016 at 8:30 am

    abe ek chaprasi ko neta banaoge to esa hi hoga dusro pe mat bolo

  6. sanjib

    August 8, 2016 at 9:11 pm

    Bhai Negi sab, “Chaprasi” to ab unn sabhi Swanamdhnya Badey Netaon se mujhe Jyada ooper aur “Badaa” dikh raha hai, jisne Akele apney Dum per Iss Majithia ki Ladai Ladi aur Lad rahey hain. Aur ab Jeet ke Kagaar par hai… Aap kis Chaprasi ki baat kerte ho? Aapki soch to uss Chaprasi se bhi jyada “Galeech” hai.

  7. Kashinath Matale

    August 9, 2016 at 11:51 am

    Dear all the Brothers,
    We are fighting each other, but at this time all the employers come together for only one agenda, to not to pay the salary as per Majithia Wage Board.
    So We all come together for justice. All are matured employees. So don’t fight among us. Fight against the employers for yourself justice. Some of us not also fight for own.
    So, Isko, usko gali mat do.
    United We Stand !!!
    Divide We Fall !!!

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement