: टीवी चैनलों के ऑफिसों में फीड चोरों की चांदी… : बाहर बैठे लोग चुरा रहे हैं फीड… : कुछ चैनलों के अंदर बैठे लोग साथ में गोपनीय रूप से चला रहे है न्यूज़ एजेंसी : आजकल कई चैनलों की FTP कभी भी अनलॉक हो जाती है .. इस FTP से आप वर्ल्ड में कहीं भी नेट चलाकर विसुअल कॉपी कर सकते है .. पर बीच बीच में लॉक भी हो जाती है .. इस लॉक और अनलॉक में ही बड़ा खेल छिपा है. और ये खेल लम्बे वक्त से जारी है. दरअसल कुछ लोगों को जब उस चैनल की ftp से किसी विसुअल की जरूरत होती है तो एक फोन या मैसेज पर उस चैनल की ftp अनलॉक हो जाती है और एक दो घंटे में फिर लॉक. तब तक चोर उस ftp से वीडियो फीड चुरा लेते हैं.
इस धंधे में स्ट्रिंगर से लेकर चैनलों में कई पदों पर बैठे लोग भी शामिल हैं. इसका अंदाजा बाहरी दिल्ली के कई स्ट्रिंगरों को लम्बे वक्त से था पर कुछ घटनाओं से पुख्ता हो गया. बाहरी दिल्ली में अधिकतर प्रतिष्ठित चैनलों के स्ट्रिंगर ने एक स्ट्रिंगर का बाईकाट कर दिया. वो उनका पर्सनल मामला था. अब एक स्ट्रिंगर अकेला तो दूसरी तरफ 15 स्ट्रिंगर मिलकर काम पर लगे थे. अब दौर चला एक दूसरे की खबरें मिस करवाने का.. चुपचाप खबरें करके एक दूसरे की खबरें मिस करवाओ.. कुछ स्ट्रिंगरस ने नरेला में एक बंधक बनाकर रेप की खबर कवर की और जिसे सेंडस्पेस आदि किसी पर अपलोड नहीं किया गया. सिर्फ एक ही लेपटोप से चैनलों की ftp पर डायरेक्ट अपलोड की गई… इसके बाद दूसरी खबर अचानक से मिली जिसमें बदमाश महिला पर रिवाल्वर ताने था और पास से गुजर रहे स्ट्रिंगरस ने बड़े कैमरे से वीडियो बना लिए और एक्सक्ल्यूसिव का प्लान बनाया.. और दोनों खबरों में मकसद दिल्ली आज तक की खबर मिस करवाना था. पर थोड़ी देर बाद दोनों खबरें दिल्ली आज तक पर चल रही थीं..
इससे पहले मंगोलपुरी में मेंटल लड़की से रेप की खबर और झंगोला अलीपुर रेप की खबर मिस करवानी चाही पर सभी खबरों में दूसरे रिपोर्टरों के सेम वही विसुअल चल रहे थे.. इससे साफ़ था विसुअल चोरी हुए हैं और आपस में भी गद्दारी नहीं क्योंकि एक ही लेपटोप में विसुअल थे, वे भी सबके सामने .. फिर सूत्रों से पता चला कि एक निजी चैनल का स्ट्रिंगर दो चैनलों को छोडकर सभी चैनल से फीड वापिस मंगवाने का दावा करता है.. उसने एक पंजाब बेस्ड चैनल की पूरी दिल्ली की 35 हजार में जिम्मेदारी ली… पर पूरी दिल्ली की खबरें मात्र 35 हजार में कैसे दे पाता .. फिर सूत्रों से पता चला कि उस स्ट्रिंगर ने एक निजी चैनल में आईटी (IT) व अन्य डिपार्टमेंट में सेटिंग की और सात हजार की सेलरी फिक्स कर दी. इस स्ट्रिंगर के इशारे पर जब कभी फीड की जरूरत हो ftp अनलॉक करवा लेता है और फिर फीड उतरते ही ftp लॉक कर दी जाती है.. दूसरी कुछ एजेंसी से टाईअप कर कई चैनल में सेटिंग कर ये खेल जारी है.. कई चैनल की ftp अनलॉक होती है तो कई जगहों से फीड सेंडस्पेस से वापिस भेजी जाती है .. कई बार फीड पेनड्राइव से चैनलों से बाहर आ जाती है.. (कई बड़े चैनलों में पेन ड्राइव पोर्ट नहीं इसलिए वहां ऐसा नहीं हो पाता)
आजकल कुछ स्ट्रिंगरस ने कैमरामेन नहीं रखे हैं और खुद केवल एकाध खबर पर ही निकलते हैं. सिर्फ एक ऑफिस बनाकर चैनलों में सेटिंग कर फीड चोरी कर अच्छा काम जमाए हैं… साथ ही ऐसे लोग फील्ड में ऑफिस से आने वाले सीनियर रिपोर्टर की जमकर सेवा करते हैं .. शराब कबाब से लेकर.. दूसरी किस्म की शबाब जैसी दूसरी सेवाएं भी प्रदान करवा देते है .. छुट्टी के दिन सीनियर्स एरिया में स्ट्रिंगर के पास घूमने .. वाटर पार्क में स्ट्रिंगर की सिफारिश पर नहाने यहां तक की कुछ सीनियर रिपोर्टरस को फ्री में लद्दाख, कुल्लू मनाली जैसे टूर भी स्ट्रिंगर खुद जाकर अपने खर्चे पर करवा देते हैं फिर इसके बदले ये सीनियर्स इनको फीड मुहैया करवाना किसी भी जांच से बचाने का काम करते हैं … सूत्रों की माने तो कुछ क्राइम हेड के पास तक भी कुछ चैनलों के स्ट्रिंगर फील्ड में आये रिपोर्टर के हाथ अंग्रेजी शराब भेजते हैं और फिर वे स्ट्रिंगर उन क्राइम हेड की छत्रछाया में कुछ करें, कोई रोक नही .. कोई फीड चाहिए वही उपलब्ध ..
साथ ही जब मंथन हुआ तो बात सामने आई की कुछ स्ट्रिंगर को कुछ चैनलों में बैठे अधिकारी वीडियो फीड किसी न्यूज़ एजेंसी में भी देने को कहते है और तर्क होता है कि एजेंसी उनके मित्र की है पर वास्तव में चैनल अधिकारी का न्यूज़ एजेंसी में हिस्सा होता है और वो खुद भी चैनलों से उस दौरान फीड चोरी करवाते हैं जब कोई खबर उक्त एजेंसी से छूट जाती है.. अब टीवी कम्पनियों में कुछ चैनल तो बिना स्ट्रिंगर के या नाममात्र के स्ट्रिंगर के चल रहे हैं क्योकि वे आराम से दूसरों की फीड चुरा लेते हैं. मेहनत करने वाले पत्रकार इस फर्जीवाड़े से मायूस हैं.
कुछ सुझाव…
1- अंदर के कर्मचारियों पर सख्त नजर .
2- चैनल के बिजनेस डिपार्टमेंट का फील्ड रिपोर्टर से मिलना और बिजनेस डिपार्टमेंट का फील्ड रिपोर्टर का अंदर आईटी और फीड रूम में परिचय से दूसरी बनाना
3- आईटी के लोगो को ऑफिस टाइम में केवल लैंड लाइन नम्बर यूज करने को मिले, मोबाइल जमा करवाकर ड्यूटी ली जाए.
4- कई रीजनल चैनल में आईटी और फीड रूम के लोग चैनल की मेल आईडी तक खोल लेते हैं. बार-बार पासवर्ड बदला जाए.
5- CCTV आईटी और असाइनमेंट के कर्मचारियों की स्क्रीन पर भी फॉक्स करें ताकि देखा जा सके की कर्मचारी ने कुछ लाइन से हटकर तो नहीं किया..
6- क्राइम हेड तक फील्ड रिपोर्टर्स या स्ट्रिंगरस से शराब पहुंचने से रोकें.
7- फील्ड रिपोर्टर्स या स्ट्रिंगरस से अंदर के लोगों के गिफ्ट लेने पर रोक लगायें.
8- पिछले कुछ सालों में किसी फील्ड रिपोर्टर्स या स्ट्रिंगरस के साथ उनके (स्ट्रिंगरस) खर्च पर गये रिपोर्टर्स या स्टाफ की जांच करें.
9- चैनल के कम्प्यूटर सिस्टम्स बिना पेन ड्राइव पोर्ट के हों.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Comments on “न्यूज चैनलों में चल रहा है फीड चोरी का संगठित खेल…”
फीड चोरी नहीं करेगे नहीं तो क्या करेगे .. रिपोर्टर से खबर लेगे तो पैसे जो देने पड़ जायेगे ..
ये फीड चोरी का धंधा तो सालों से चल रहा है और चैनल में बैठे रिपोर्टर अपने आप को स्टिंगरों का माईबाप समझते है जो स्टिंगर इन से सेटिंग कर ले और मोका बेमौका इन की देवतों की तरह सेवा पूजा चढ़ावा आदी करता रहे उस के वारे नारे वरना छुटी।
बहुत शर्मनाक है अगर ऐसा है तो । चैनलो को भी चाहिए की अपने नाम की प्रतिस्ठा को बनाये रखने के लिए ऐसी हरकतों में जो भी शामिल हैं उन की तुरन्त पहचान करके तुरन्त कार्यवाही करे ।