हमेशा विवादों में रहने वाली लोक सभा tv ने एक बार फिर नया कारनामा कर दिखाया है। ताजा मामला लोकसभा tv मेँ नियुक्तियों को लेकर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों का है। इस मामले मेँ लोकसभा tv की सीईओ सीमा गुप्ता और वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव का नाम भी सामने आ रहा है। आरोप है कि एक अनाधिकृत इंटरव्यू पैनल बनाकर लोकसभा टीवी में भर्ती में भ्रष्टाचार का ये खेल रचा गया। जिस इंटरव्यू के आधार पर सीमा गुप्ता ने लोगों को नियुक्त किया है, वो इंटरव्यू ही नियमों के खिलाफ था। बताया जा रहा है कि एंकर, प्रोड्यूसर, मार्केटिंग और तकनीकी विभागों में मोटी तनख्वाह पर जिन लोगों को नियुक्त किया गया है, उनकी नियुक्ति पहले से फिक्स थी। इसके लिए सारी तैयारियां पहले ही कर ली गयी थीं।
चयनित होने वाले उम्मीदवार पहले से ही अपने आकाओं के संपर्क में थे। लगातार फोन पर उनकी बातें हो रही थीं, जिसके कॉल रिकॉर्ड्स भी मौजूद हैं। नियुक्त होने वाले उम्मीदवार राहुल देव और सीमा गुप्ता को पहले से जानते थे। इसलिए उन्हें नियुक्त करने के लिए ही विज्ञापन जारी करने, निरस्त करने, साक्षात्कार की तिथियों में बदलाव से लेकर इंटरव्यू करवाने तक का पूरा खेल इस तरह रचा गया, जिससे अन्य उम्मीदवारों को ज़्यादा से ज़्यादा परेशानी हो और भयानक गर्मी में थक हार कर अधिकांश उम्मीदवार घर लौट जाएं। पूरा ड्रामा कुछ इसतरह रचा गया… सबसे पहले वॉक इन के लिए विज्ञापन जारी किया गया, फिर उम्मीदवारों के पहुँचने पर उसे निरस्त कर दिया गया। कुछ दिन बाद फिर वाक् इन इंटरव्यू का विज्ञापन जारी किया गया और रातों रात अचानक इंटरव्यू के एक दिन पहले साक्षात्कार की तिथि में बदलाव कर दिया गया।
इसके बाद दूसरे दिन से उम्मीदवारों को घंटों डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन के नाम पर प्रताड़ित और बेइज़्ज़त किया गया, जबकि फिक्सिंग के ज़रिये आए उम्मीदवारों को इस प्रक्रिया से पूरी छूट मिलना, एक ही दिन में सैकड़ों उम्मीदवारों का इंटरव्यू लेना, किसी तरह की परीक्षा का आयोजन ना किया जाना, इंटरव्यू को ही चयन का आधार बना लेना, नियमों को ताक पर रखकर सीमा गुप्ता और राहुल देव (जो लोकसभा टीवी से सम्बद्ध नहीं हैं) का इंटरव्यू पैनल में खुद ही बैठ जाना, ये सारी बातें साफ़ करती हैं कि लोकसभा टीवी ने बीते दिनों साक्षात्कार के नाम पर ड्रामा रचा और बड़ी सफाई के साथ उन लोगों को नियुक्तिपत्र दे दिए जिनका चयन पहले से ही फिक्स था।
आरटीआई से मिली जानकारी से ये साफ़ है कि बीते दिनों लोकसभा टीवी मेँ हुई नियुक्तियों मेँ भारी भ्रष्टाचार किया गया था। आरोप है कि भर्ती के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। जिसके बाद से लोकसभा टीवी के दफ्तर में आरटीआई आने का सिलसिला जारी है। आरटीआई में जो जानकारियां माँगी जा रही हैं, उनसे लोकसभा टीवी के आला अधिकारी सकते में हैं। ज़्यादातर आरटीआई को टालने और बहाना बनाने की कोशिश हो रही है। सीईओ सीमा ग्रुप की नियुक्ति पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि खुद सीमा गुप्ता ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाई है। अपने अनुभव और योग्यता को प्रमाणित करने वाले कोई दस्तावेज़ उन्होंने जमा नहीं कराए हैं। गौरतलब है कि लोकसभा टीवी की सीईओ बनने से पहले सीमा गुप्ता का नाम भारतीय मीडिया में अनजान था। ना ही कोई उल्लेखनीय उपलब्धि, पुस्तक लेखन, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार उनके नाम दर्ज हुआ था। इसके पहले भारतीय टीवी पत्रकारिता में किसी योगदान या कार्यक्रम में भी सीमा गुप्ता का ज़िक्र नहीं सुना गया। बावजूद इसके किस जुगाड़ तकनीक के सहारे वो लोकसभा टीवी की सीईओ बनी, ये सवाल भी पूछा जा रहा है।
लोकसभा टीवी में इस ताज़ा भर्ती घोटाले के बाद पत्रकारों में भारी आक्रोश है। पत्रकार ये सवाल कर रहे हैं कि जब सब कुछ पहले से ही फिक्स था तो साक्षात्कार आयोजित करने का ड्रामा क्यों किया गया? उम्मीदवारों ने इस मामले पर rti के ज़रिए जो जानकारी हासिल की है उससे कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैँ। बताया जाता है कि जिन लोगों को एंकरिंग के लिए चुना गया है उनमें से अधिकांश के पास किसी भी राष्ट्रीय स्तर के समाचार चैनल मेँ न्यूज़ या समसामयिक विषयों पर एंकरिंग का कोई अनुभव तक नहीँ है। जबकि तमाम बड़े राष्ट्रीय चैनलों के योग्य और अनुभवी पत्रकारों को सीमा गुप्ता और राहुल देव के इस इंटरव्यू पैनल ने सिरे से खारिज कर दिया। चयनित लोगों के पास ना तो अपने अनुभव के दावे को प्रमाणित करने के दस्तावेज़ हैं, ना ही सैलरी का कोई सर्टिफिकेट, फिर भी इन्हें मुंह माँगी तनख्वाह पर नियुक्त कर लिया गया है। इतना ही नौकरी के लिए जारी विज्ञापन में भी ना तो पदों का उललेख किया गया ना ही वेतन के बारे में कोई जानकारी दी गयी। पूरी तरह नियमों के खिलाफ ये विज्ञापन इस तरह जारी किया गया कि पहले से फिक्स अपने लोगों को मोटी तनख्वाह दिलाने में किसी तरह की कोई दिक्कत सामने ना आए।
इसी तरह जिन लोगों को प्रोड्यूसर के रूप मेँ चयनित किया गया है उनके बारे में भी आरटीआई में चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं… उनमें से अधिकाँश बी या सी ग्रेड चैनलों से निकाले गए बेरोज़गार लोग हैं। फिक्सिंग के ज़रिये चयनित उम्मीदवारों की योग्यता और अनुभव के प्रमाणपत्र भी लोकसभा टीवी ने लेना उचित नहीं समझा, जबकि अधिकाँश लोग आरटीआई लगने के बाद फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने की जुगाड़ में लगे हैं। इतना ही नहीं मार्केटिंग और तकनीकी विभाग के लिए चुने गए उम्मीदवारों के मामले मेँ भी कुछ ऐसा ही घोटाला किया गया है। अनुभवी और योग्य उम्मीदवार को दरकिनार करते हुए तमाम ऐसे नाकाबिल उम्मीदवार को अपॉइंटमेंट लेटर दे दिए गए हैँ जिनकी लिस्ट पहले ही बन चुकी थी। लेकिन आक्रोशित पत्रकार इस बार इस मामले को भूलने के मूड में नहीं हैं। क्योंकि दूरदर्शन, राज्यसभा टीवी और अब लोकसभा टीवी.. मीडिया में लगातार सामने आ रहे भर्ती घोटाले कईं होनहार पत्रकारों के भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं। जहां एक तरफ योग्य पत्रकार नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं, वहीं जुगाड़ तकनीक के सहारे फिक्सिंग कर फर्जी लोग उनका हक़ छीन रहे हैं।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
ajay kaushik
October 3, 2015 at 7:56 pm
उम्मीद है अब स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार पहल करेंगे और लोकसभा टीवी में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल को बंद करवाएंगे और सारी नियुक्तियां रद्द करवाकर फर्जी दस्तावेज पर नौकरी पानेवाले और नौकरी देनेवालों पर एफआईआर कर जेल भेजवाएंगे। लोकसभा टीवी, राज्यसभा टीवी और दूरदर्शन में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है और इससे मोदी सरकार की बहुत बदनामी हो रही है।
Insaf
October 3, 2015 at 9:20 pm
Rajysabha tv me bhi farji niyuktiyan huyi hai. Lok sabha aur Rajya sabha tv dono ki niyuktiyan radd kar priksha lekar phir se niyuktiyan honi chahiye.
anita arya
October 4, 2015 at 3:27 am
राज्यसभा टीवी, लोकसभा टीवी और दूरदर्शन में हुई फर्जी नियुक्तियों को तत्काल निरस्त कर व्याप्सम की तर्ज पर सीबीआई जांच करवाई जाए तो एक बहुत बड़े घोटाले की परतें खुलेंगी। फर्जी तरीके से फिक्सिंग के ज़रिये नियुक्ति पाने वाले उम्मीदवारों और इन्हें नियुक्त करने वाले अफसरों और नेताओं को मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाना चाहिए। व्यापम में तो परीक्षा आयोजित होने के बाबजूद इतना बड़ा घोटाला कर दिया गया, लेकिन ये लोग तो व्यापम के भी अब्बा निकले, ना कोई परीक्षा, ना कोई निष्पक्षता या पारदर्शिता, बस विज्ञापन निकाला जब मर्ज़ी हुई, और फिक्सिंग के ज़रिये लिस्ट तैयार कर अपने लोगों को मुंह माँगी तनख्वाह पर नौकरी बाँट दी। शेष पत्रकारों को इंटरव्यू का झुनझुना पकड़ाकर बहला दिया। ये लोग अपराधी हैं इन्हें कड़ी सजा होनी चाहिए ताकि आगे से कोई पत्रकारों के साथ नौकरी के नाम पर छल ना करे।
dharmendra sharma
October 4, 2015 at 3:49 am
एक तरफ जहां चैनल नेताओं और अन्य लोगों के स्टिंग कर भ्रष्टाचार उजागर कर अपनी वाहवाही करते वहीं खुद इन चैनलों में भर्ती के नाम पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं…दूसरों के भ्रष्टाचार को उजागर करो लेकिन खुद का भ्रष्टाचार , ब्रष्टाचार नहीं है….अब खुद पीएम नरेन्द्र मोदी जी को इसमे पहल कर इनकी भर्तियां रद्द करनी चाहिए और फिर से नये सिरे से भर्तियां होनी चाहिए..अगर बिना योग्यता वाले लोग एसे ही सिलेक्ट हो गये तो इन चैनलों का भगवान ही मालिक है।
Anuj lstv
October 4, 2015 at 7:07 am
पूर्व पत्रकार राहुल देव इस साक्षात्कार पैनल में बैठने के लिए खास तौर पर बुलाए गए थे।ज़ाहिर है फिक्सिंग करने वाले उम्मीदवारों को इससे काफी सुविधा हई। जिन लोगों को चयन करना था उनका इंटरव्यू तो शुआती घंटे में ही निपटा दिया गया था। बाकी सारे कड़ी धूप और झुलसाती गर्मी में कईं दिनों तक अपने नंबर का इंतज़ार करते रहे। इंटरव्यू पैनल भी पायरी तरह से फ़र्ज़ी था जिसमें केवल दो लोग खुद सीमा गुप्ता और राहुल देव बाहरी होकर भी बैठाए गए थे। लोकसभा सचिवालय का कोई अफसर पैनल में नहीं रखा गया था। इस तरह खुले आम नियमों को टाक पर रखकर अपने लोगों को फ़र्ज़ी तरीके से नियुक्त करवा लिया सीईओ सीमा गुप्ता ने।
विवेक
October 4, 2015 at 7:20 am
ना कोई परीक्षा ना कोई योग्यता, बस इंटरव्यू देने आए और बंद कमरे में हो गया फिक्सिंग का सारा खेल। और बेचारे योग्य और अनुभवी उम्मीदवार बाहर कड़ी गर्मी में झुलसते रह गए। इधर कुछ मिनट के इंटरव्यू का ड्रामा बाहर बैठे दिग्गज पत्रकारों के सालों के अनुभव पर भारी पड़ गया, और इधर आपने सी ग्रेड चैनलों के नाकाबिल लोगों को लोकसभा टीवी की कमान सौंप दी। गजब का कारनामा किया है आपने सीमा जी। अपने विवेकाधिकार का बखूबी इस्तेमाल किया आपने बंद कमरे में हुए इंटरव्यू के ज़रिये बेहद काबिल लोग चुने हैं। आपकी निष्पक्षता की मिसाल नहीं दी जा सकती। आपको भी साधुवाद इस कारनामें शरीक होने के लिए, राहुल देव जी। आप जैसे लोगों के डैम पर ही तो सच और पत्रकारिता गौरवान्वित हैं। श्रद्धांजलि।
सौर
October 4, 2015 at 10:33 am
सीमा गुप्ता तो लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की भी नहीं सुनती। वो तो खुद को लोकसभा अध्यक्ष से भी बड़ा मानती हैं। ये बात लोकसभा टीवी में सबको पता है वो लोकसभा टीवी की मालकिन हैं और यहाँ सबकुछ उनकी मर्ज़ी से ही होता है। बेचारे बग्गा साहब भी उनके आगे कुछ नहीं बोल सकते। जहां तक जुगाड़ का सवाल है तो ये बात भी लोकसभा टीवी में सब जानते हैं कि वो आरएसएस की पैरवी से ही नियुक्त की गयी हैं। उनके पिता आरएसएस के बड़े प्रचारक रहे हैं। इसलिए वो सुमित्रा महाजन के आदेश को भी दरकिनारकर देती हैं।
abhilash lstv
October 4, 2015 at 10:40 am
लोकसभा टीवी की सच्चाई शायद आपको नहीं पता…यहाँ सारी नियुक्तियां कोटे से होती आई हैं, सीमा गुप्ता ने अगर अपने कोटे से अपने कुछ लोगों की नियुक्ति कर दी तो इतना हल्ला क्यों हो रहा है? कुछ कोटा लोकसभा सचिवालय के अफसरों का होता है, कुछ नेताओं का इस बार सीईओ के कोटे से ज़्यादा नियुक्तियां कर दी सीमा गुप्ता ने तो क्या गुनाह किया?