फ़ोकस न्यूज़ का नाम बदलकर न्यूज़ वर्ल्ड तो हो गया है लेकिन चैनल का कंटेंट कोई छाप नहीं छोड पाया है। विज़न का अदभुत टोटा दिखता है। केवल पचास ख़बरें, सौ ख़बरें से कोई चैनल इतने भीड़ वाले बिज़नेस में कोई जगह नहीं बना सकता । पता नहीं मालिक को दिखता है या नहीं। हाँ, शैलेश और कल्याण की जोड़ी का वश चला तो इसे आगरा-मेरठ का लोकल चैनल होने में देर नहीं लगेगी। फोकस से न्यूज वर्ल्ड बनने की यात्रा के दौरान चैनल से वर्ल्ड तो ज़रूर ग़ायब हो गया है, बड़ी ख़बरों का भी विज़न नहीं। नवीन जिंदल को न्यूज़ नेशन बनाने का सपना बेचकर फ़ोकस आए शैलेश का कोई विज़न ही नहीं है, वर्ल्ड विज़न तो भूल जाईये।
सब जानते हैं न्यूज़ नेशन की सफलता के पीछे सबसे ज़्यादा डिस्ट्रीब्यूशन और बाक़ी सर्वेश तिवारी का हाथ था। इस महीने की सबसे बड़ी ख़बर क्या थी। वही न, दादरी के एक गाँव में एक इंसान को बीफ खाने के आरोप में मार दिया गया। मुज़फ़्फ़रनगर जैसा कांड था। सारे चैनल हफ़्ते दस दिन तक इस ख़बर पर लगे रहे पर न्यूज़ वर्ल्ड के संपादक को पहले तो ख़बर छोटी लगी फिर डर के मारे चलाने को तैयार नहीं हुए। मोदी की अमेरिका यात्रा पर भी घिसा पिटा कवरेज रहा।
एक और ख़बर है जिसने पूरी दुनिया को मथ डाला। कई हफ़्ते संपादकीय से लेकर स्पेशल बनाए गए लेकिन वो खबर शैलेश के संपादकीय विज़न में ख़बर ही नहीं थी। सारे चैनल जिस ख़बर पर लगे रहे वो फ़ोकस न्यूज़ के लिए ख़बर नहीं थी। वो खबर रही आयलान की ख़बर। समुद्र के तट पर पड़े एक तीन साल के बच्चे की तस्वीर ने पूरी दुनिया को मथ दिया था। एक तस्वीर ने सीरिया की युद्ध विभीषिका, आईएस का आंतक और पूरे यूरोप में शरणार्थियों की समस्या को एक झटके में सामने ला दिया। समुद्र में डूबा तीन साल का आयलान इस विभीषिका का चेहरा बन बैठा। वाशिंगटन पोस्ट से लेकर टाईम, एबीपी न्यूज से लेकर आजतक ने इस ख़बर की मार्मिकता पर कई घंटे ख़र्च किए लेकिन संपादकीय विज़न में तंग संपादक को ख़बर समझ में ही नहीं आई। ढीढता तो देखिये, इतनी बड़ी कहानी बनने के बाद में भी इसे चलाना ठीक नहीं समझा। चैनल के लोगों ने बहुत ज़ोर डाला तो एक छोटी स्टोरी बनाने की इजाज़त मिली। स्पेशल तो भूल ही जाईये।
दूसरी मनोरंजक ख़बर बराक ओबामा की थी। पहली बार ओबामा एक सीरियल की शूटिंग के लिए अलास्का गए। सबने स्पेशल किया। महान संपादक को ख़बर समझ ही नहीं आई। सानिया मिर्ज़ा को खेल रत्न मिला। संपादकीय वरिष्ठों ने आधे घंटे का प्रोग्राम बनाने की बात की तो झिड़क दिया। बाद में ख़ुद नवीन जिंदल से झिडकी खाई तब तीन दिन बाद सानिया मिर्ज़ा पर आधे घंटे का प्रोग्राम बनवाने लगे।
ये तीन बानगी बताने के लिए काफ़ी था कि वो चैनल को किस ऊँचाई पर ले जाएंगे। उधार के पीपीटी प्रजटेंशन लेकर और ग़लतियाँ निकालकर वो नवीन जिंदल को थोड़े दिन चूना लगा सकते हैं लेकिन जिस व्यक्ति का न कोई विज़न हो, न परस्पेक्टिव हो, न कोई उपलब्धि, न जिसे पावर सर्किल में कोई जानता हो, वो चैनल को क्या ब्रांड बना पाएंगे, सब जानते हैं।
उपरोक्त विश्लेषण किन्हीं राम सिंह ने मेल आईडी [email protected] के जरिए भड़ास को भेजी है.
shankar
October 14, 2015 at 7:02 am
“हाथी चले बाजार कुत्ते भौंके हजार”…ये कहावत सही है इस बीमार लेख के लिए…ये टिप्पणी बेबुनियाद,बकवास और आपत्तिजनक भी है…मिस्टर राम सिंह तुम जो भी हो लेकिन इतना तय है कि तुम न्यूज वर्ल्ड इंडिया के घोर विरोधी हो..और मानसिक कुंठा के शिकार भी..सामने होते तो शायद तुम्हे अच्छे तरीके से बता पाता कि तुम दरअसल कितना बीमार हो..खैर लोग समझ ही रहे होंगे कि तुम किस लेवल का इंसान हो—
1-12 दिन में ही तुम्हे कैसे पता चल गया कि चैनल नहीं चलेगा…ये काम दर्शकों का है..तुम्हारे जैसे बीमार लोगों का नहीं.
2-जिन खबरों की बात कर रहे हो..सभी खबरें चलती है…खबरों की समझ दर्शकों को है..तुम्हारी नसीहत सुनने वाला कोई नहीं है.
3-तुम्हारी भाषा बहुत ही आपत्तिजनक है…तुम चूना लगाने की बात क्या कर रहे हो…मान-हानि के लिए कानून में कड़ी सजा का प्रावधान है.
4-तुम्हे ये सब लिखने के पैसे मिले होंगे..या फिर अपनी कुंठा को बाहर निकाल दिए होगे…इस बीमार लेख को पढ़ने वाले सभी समझ रहे होंगे.
5-अपनी बीमार और कुंठित सोच से बाहर निकलों और फालतू पोस्ट करने से बचो…जलनशील नहीं अच्छा इंसान बनों .
6- भड़ास 4 मीडिया के कर्ता-धर्ता से अनुरोध है कि ऐसे बीमार लोगों की टिप्पणी को कृपया प्रोत्साहित नहीं करें जिसमें ईर्ष्या और साजिश झलकती हो.
शुक्रिया.