डॉ अरविंद सिंह-
० क्या केजरीवाल सरकार के कानून से ऊपर है फोर्टिस
० विधायक Somnath Bharti के प्रयास के बाद भी मरीज को क्यों नहीं कर रहा है डिसचार्ज
० ईडब्ल्यूएस में इलाज करने से कैसे कर सकता है इन्कार..
० भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय कहा सो रहा है.?
क्या गरीब होना गुनाह है. क्या बेबस और मजबूर होना गुनाह है. क्या स्वाभिमानी और ईमानदार होना भी गुनाह है. अगर नहीं तो फिर यह हकीकत कैसे बनता जा रहा है. मेरे परिचित और भाई समान युवा उपेन्द्र सिंह अपनी गरीबी के हिन्द महासागर को काटने के लिए आजमगढ़ के औझौली से कोई तीन दशक पहले दिल्ली जाता है. छोटे मोटे काम करके जीवन में ईमानदारी से चलने की कोशिश करता है.

घर और परिवार की जिम्मेदारियों ने उसे हमेशा संघर्ष का हमराही बनाए रखा. पिछले दिनों जब अपने बेटे के इलाज के लिए एम्स गया तो उनसे मुलाकात हुई. कोरोना ने उनकी आर्थिक कमर ऐसी तोड़ी की घर से निकलना मुश्किल हो गया. काम धंधे बंद से हो गयें. उनकी आंखों में आंसू थे.
उन्हें पेट में पथरी हो गई थी, पैसे इतने नहीं जुट पाए की इलाज और आपरेशन हो सके. लिहाज होम्योपैथिक दवाएं लेते रहे. जो मदद दे सकते दिया. बावजूद आराम नहीं मिला.और अचानक भीतर ही भीतर पीलिया बढ़ती गयी और एक दिन16 मार्च को सीरीयस कंडीशन हो गई.
आगे पीछे कोई भी नहीं, मुंह से आवाज़ निकलना और आंखों से दिखना बंद हो गया. पत्नी दो मासूम बच्चों के साथ रोते हुए लेकर सफदरजंग हास्पिटल पहुंची, चिकित्सकों ने इलाज शुरू नहीं किया, लिहाजा तबियत और सीरीयस होती चली गई. इतनी की बचना मुश्किल होने लगा. फिर क्या ऐसी स्थिति में पत्नी ने बसंतकुंज स्थिति फोर्टिस हास्पिटल लेकर पहुंची.
उसे नहीं मालूम था कि यह सबसे मंहगा हास्पिटल है, उसे तो अपने पति की जान बचानी थी. भर्ती हुआ, अचानक से मेरे पास उपेन्द्र के नंबर से काल आती है, उठाया तो उधर से उनकी पत्नी रोए जा रहीं हैं, थोड़ी देर बाद बोली ‘भैया ! इनकी जान बचा लीजिए. बहुत सीरीयस कंडीशन हैं. मैं गांव की जमीन बेचकर पैसे दे दूंगी.’
हमने उनको दिलासा दिया घबराइए नहीं हम सब साथ हैं. सब ठीक हो जाएगा. यह ख़बर Aman Kumar Tyagi को दी. उनसे भी अपील की गयी कुछ मदद कराएं. हमने सोशल मीडिया पर उपेन्द्र जी की जान बचाने के लिए कैंपेन चलायी, अपील की.मित्रों और सहयोगियों ने उनके खातें में अपनी क्षमता अनुसार मदद भेजनी शुरू कर दी.
उधर हास्पिटल का मीटर चलता जा रहा था. एक लाख किसी प्रकार जमा हुआ. लेकिन उपेन्द्र की तबियत में सुधार होना शुरू हो चुका था. लोगों की प्रार्थनाओं ने काम करना शुरू कर दिया था.
प्रतिदिन हास्पिटल के स्टाफ पैसे जमा करने का दबाव देता रहा. इस बीच इतने पैसे नहीं आ पाएं कि उसे हास्पिटल का बिल दिया जा सके. लिहाजा हमने आम आदमी पार्टी के महरौली क्षेत्र के विधायक नरेश यादव से होली के दिन बात की.. उन्होंने कहा- ‘हम क्या कर सकते हैं. ऐसे केस तो रोज आते हैं और वह प्राईवेट हास्पिटल है’.
फिर हमने मालवीय नगर के विधायक सोमनाथ भारती का मोबाइल नंबर मांगा. क्योंकि वे उपेन्द्र सिंह को और मुझे थोड़ा बहुत जानते थे. उनसे दूरभाष पर संपर्क किया. उन्होंने कहा देखते हैं डिटेल्स भेज दें..
मैंने डिटेल्स भेजा. इधर हास्पिटल अपना पैसे का मीटर चलाते ही जा रहा था. विधायक जी से निवेदन किया- कि आप दिल्ली सरकार के अधीन वाले हास्पिटल में नि:शुल्क इलाज करा दीजिये. यहा इतने पैसे कहाँ से दे पाएंगे.
उन्होंने आधा दर्जन बार फोर्टिस हास्पिटल को फोन किया होगा.और बताया कि- हमने बोल दिया है आप जो जमा कर दिए हैं. आगे और पैसे मत देना, डिसचार्ज कराकर लोकनायक हास्पिटल में ले जाइए. हमने बात कर लिया है. इधर हास्पिटल ने दो लाख सत्तर हजार का बिल पकड़ाए जा रहा है. एक लाख जमा करने के बाद भी.
इधर पत्नी बोले जा रही है कि हमारे पति को डिसचार्ज कर दीजिए हम इतने पैसे नहीं दे पाएंगे. बावजूद वह छोड़ने को तैयार नहीं, हास्पिटल का एक ही डिमांड- पूरे पैसे पेमेंट करके मरीज ले जाइए. बिना दिए हम जाने नहीं देंगे. जब पत्नी ने बोला कि- हम इतने पैसे तत्काल कहा से देगें. इस पर उन्हें हास्पिटल में रोकने की कोशिश की गयी कि बिना पैसे दिए आप भी बाहर नहीं जा सकती हैं. किसी तरह वह बहाने बना कर बाहर निकली और पूरी घटना बतायीं.
मैंने तभी परसो रात में विधायक जी को फोन मिलाया लेकिन बात नहीं हो सकी. रातभर जागता रहा और सोचते रहा अब क्या किया जाए. फिर कल सुबह 9:00 बजे विधायक को पूरी घटना बताया कि आपके बात करने के बाद भी कैसे हास्पिटल बत्तमीजी कर रहा है. यह तो एक तरह से बंधक बना कर रखने की कोशिश है.
आप की दिल्ली में सरकार है और कोई प्राइवेट हास्पिटल इस तरह से विधायक के कहने के बाद भी गुंडागर्दी करेगा. और केजरीवाल सरकार शांत रहेगी.
गरमागरम हुई बातों में विधायक ने कहा, आप क्या चाहते हैं- हमने कहा मरीज को छुट्टी मिले. उसका खर्च सरकार वहन करे. बोले ठीक है- कल सुबह किसी को मेरी आफिस भेज दीजिये. मैंने उनकी पत्नी को किसी के साथ बेजा- बेचारे विधायक जी ने अपने स्वास्थ्य निदेशालय को सिफारिश पत्र लिखा, फोन किया. उसके बाद उसे लेकर, स्वास्थ्य निदेशालय पहुंचे, जहाँ कल देर शाम EWS पेसेंट का नि: शुल्क इलाज का सरकारी पत्र जारी हुआ.
और फोर्टिस हास्पिटल को मेल गया कि 16 मार्च से लेकर अबतक डिसचार्ज होने तक पूरा इलाज सरकारी खर्चे पर करें.
बावजूद हास्पिटल की गुंडई इतनी की बोला- इसको मैं नहीं मानता हूँ. आप को पैसे जमा करना ही होगा.
और मीटर बढ़ता ही जा रहा. अभी तीन लाख से ऊपर जा पहुँचा है. सवाल यह है कि- एक गरीब आदमी का यही दोष है कि वह गरीब क्यों है? क्या दिल्ली सरकार के कानून से ऊपर है फोर्टिस हास्पिटल का कानून. क्या दिल्ली सरकार का कानून फोर्टिस हास्पिटल पर लागू नहीं होता है. आखिर वह एक पेशेंट को बंधक जैसी परिस्थितियों में कैसे बना कर रख सकता है. इस गुडंई से आखिर कैसे निपटा जाए मित्रों!.. कोई बताएगा!!






Comments on “मदद की अपील : क्या फोर्टिस हास्पिटल किसी पेशेंट को पैसे के लिए बंधक बना सकता है?”
निजी/कॉर्पोरेट अस्पतालों की यही स्थिति सभी जगह है.इन परिस्थितियों में आर्थिक रूप से कमजोर आम आदमी की बेबसी शब्दों में बयां नहीं हो सकती.जिन साथियों के संज्ञान में ऐसे मामले आएं, यथासंभव सहयोग जरूर करें.छोटी सी कोशिश बड़ी राहत दे सकती है.
संगठन ऐसे मामलों में पहल करें.
उपेंद्र के पास पाई नहीं है, किसी तरह एक लाख जमा करा दिया गया था। पीलिया हुआ था जिसके लिए अस्पताल ने अंधाधुंध बिल बना दिया है। कहां से देगा?