लाल बहादुर सिंह-
गाँधी जी को महिषासुर बना दिया! जिस व्यक्ति ने हमारी आज़ादी के लिए अनगिनत यातनाएं सही, उनके साथ यह व्यवहार क्या कोई भी सच्चा देशभक्त, संवेदनशील भारतीय स्वीकार करेगा?
जरा ठहर कर सोचिए, यह हमें कहाँ पहुंचा दिया गया! इस विचार और राजनीति को नकारिये, वरना यह देश को तबाह कर देगी!
Peri Maheshwari-
This is violative at so many levels. This is a Durga Pandal of Hindu Mahasabha where Goddess Durga was seen as killing Mahishasura which looks like Mahatma Gandhi. When complained, the cowards said it wasn’t intentional and was just a coincidence and removed it. How did we fall to such depths? India never deserved a Mahatma nor the freedom he fought for all of us.
दीपक कबीर-
कल पीढ़ियों से ही उत्तर प्रदेश में रह रहे एक बंगाली दंपति मिले।
उनको कुछ निर्माण शुरू करना था तो मुझसे बोले ..कल से हमारी दुर्गा पूजा भी शुरू हो रही हैं..षष्टी है न..
मैने कहां , कल से ?? मगर नवरात्र यानी दुर्गा पूजा तो चल ही रही है..
उन्होंने कहा ,नहीं नवरात्र अलग होती है हमारी दुर्गा पूजा अलग..
अरे ये कैसे, पूजा तो देवी यानी दुर्गा जी की ही होती है न..
वो बोले ,हां..लेकिन हमारी चार दिन ही होती है, इस तरफ के लोग व्रत भी रखते हैं, हमारे यहां तो मांस, मुर्गा, मटन मछली सब खाया जाता है..हम लोग बंगाली हैं, हमारी दुर्गा पूजा होती है नवरात्र नहीं..
मैने हंस के कहा..रहते यहां हैं, संभल कर रहिए..आपकी कल्चरल डाईवार्सिटी के चक्कर में कोई सिरफिरा लिंचिग ना कर दे ,माहौल बदल चुका है…कोई नहीं समझेगा कि आप भी उन्हीं के वोटर हो… 🙂
अब बताइए…कौन बेवकूफ इस देश को एक रंग से रंगना चाहता है…
उधर बंगाल में ..कमबख्तों ने गांधी जयंती के दिन महिषासुर की जगह देवी से गांधी जी का ही मर्दन करवा दिया..
मां दुर्गा के मुंह पर गोडसे का मुखौटा लगाना जल्दी में भूल गया मगर ये तो बहस छिड़ ही गई कि गोडसे मां दुर्गा का अवतार था, पर ये सवाल लोगों के मन में क्यों नहीं उठते कि मां दुर्गा …एक बुजुर्ग हिंदू गांधी जी को क्यों मारेंगी..वैसे भी वो मरने वाले थे और मर के तो ऊपर उनके ही पास पहुंचते न ??
बहरहाल इस वध आयोजन के ज़िम्मेदार पर अब तक कोई विरोध कोई FIR कोई सजा तक नहीं..
नए हिंदुस्तान का “मज़ा लीजिए”
शैलेश श्रीवास्तव
October 5, 2022 at 2:10 pm
ये तो सिर्फ एक शुरुवात है , अभी आगे आने वाले दिनों में इतिहास की बहुत सारी परते खुलेंगी और न जाने कितने रहस्य से पर्दा उठेगा, जिन लोगो को आज कहा जाता है कि आजादी मिली बिना खड़ग बिना ढाल वह सच्चाई भी सामने आएगी , अब ये नया युग है , दूरदर्शन और आकाशवाणी का नही जो चाहा थोप दिया गया, आज प्रत्येक व्यक्ति पत्रकार की भूमिका में नजर आ रहा है। वह स्वतंत्र है