सागर पुण्डीर-
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की इस छात्रा ने 60 छात्राओं का नहाते हुए वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद 8 छात्राओं ने खुदकुशी की कोशिश की, एक की हालत गंभीर है। मां-बाप ने भेजा था पढ़ाई लिखाई करने, इनको MMS बनाने हैं।
रामचंद्र लठवाल-
मोहाली स्तिथ चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में देर रात छात्रों का हंगामा। एक लड़की द्वारा पैसों के लिए 60 लड़कियों का MMS बनाकर वायरल करने का है मामला। कुछ लड़कियों ने आत्महत्या की कोशिश भी की गई।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी या ऐसी और भी प्राइवेट यूनिवर्सिटी होंगी जिनके नाम से ये कोई सरकारी यूनिवर्सिटी प्रतीत होती हैं ! ये यूनिवर्सिटीस अक्सर दूसरे राज्यों में अपना प्रचार करती हैं ! वहीं से इनको ज्यादा बिजनेस मिलता है।
दूसरे राज्यों के लोग अक्सर जानकारी के अभाव में इनको सरकारी यूनिवर्सिटी मान कर आनलाइन ही एडमिशन और फीस जमा करवा देते हैं ! लेकिन बाद में असलियत पता चलती है तो कुछ भी नही कर पाते !दरअसल ऐसे नाम इनको गलत अलाट किए गए हैं ! जबकि किसी शहर या राज्य के नाम पर केवल सरकारी यूनिवर्सिटी ही होनी चाहिए ! जैसे पंजाब यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, हिमाचल यूनिवर्सिटी, इत्यादि इत्यादि इत्यादि !!!
अभी भी सरकारों द्वारा ऐसे नामों में सुधार कराया जाए तो लोग गुमराह होने से बच सकते हैं !
नरेंद्र नाथ मिश्रा-
कैसे कोई लड़की अपनी ही दोस्ती की वीडियो बनाकर उसे वायरल कर सकती है। कैसी मानसिकता,पागलपन है? किस हद तक मानसिक विकृति पहुंच गयी है। पीड़ित लड़कियों के साथ पूरे समाज,परिवार,दोस्तों सभी के मजबूती से खड़ा होने का समय है। सभी को संबल दे। इसमें न उनकी गलती है न कोई गिल्ट होना चाहिए।
चंड़ीगढ़ की घटना में सरकार,पुलिस,संस्थान से अधिक खुद अपने समाज,अपने परवरिश और अपने आसपास की सोच पर सवाल करना चाहिए। यह उनकी विफलता बाद में,हमारी एक सभ्य समाज के रूप में विफलता अधिक है। किसी के अपराध का गिल्ट पीड़ित में क्यों होना चाहिए? समाज को पहले खुद के अंदर झांकना चाहिए।
बात चड़ीगढ़ की है। जहां एक नामी संस्थान में एक लड़की ने अपनी ही दोस्तों-कॉलेज की दूसरी छात्रों के बाथरूम से 60 से अधिक वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया। इनमें कई लड़कियां यह पता लगने पर बीमार हो गयी है। एक को तो दिल का दौरा तक आ गया।
श्वेता यादव-
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का मामला हैरान करने वाला है. इस मामले ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि एक सभ्य समाज के रूप में हम कहाँ खड़े हैं? एक सवाल आज पैरेंटिंग पर भी हो गया है कि छूट देने के नाम पर कहीं हम अपने बच्चों को गुमराह तो नहीं कर रहे? कहीं ऐसा तो नहीं कि सो काल्ड मार्डन बनने की होड़ में हम, अपना और अगली पीढ़ी का इतना बड़ा नुकसान कर रहे जिसकी भरपाई असम्भव हो जाये?
क्या है मामला?
चंड़ीगढ़ यूनिवर्सिटी में एक लड़की ने अपने हॉस्टल में ही रहने वाली कुछ लड़कियों के नहाते समय का वीडियो बनाया और उन वीडियोज को शिमला में रहने वाले अपने किसी परिचित लड़के को भेज दिया. उस लड़के ने उन वीडियोज को वायरल कर दिया. वीडियो वायरल होने के बाद आठ लड़कियों ने आत्महत्या की कोशिश की, जिसमें एक की हालत गंभीर बनी हुई है. मीडिया की ख़बरों के मुताबिक लगभग साठ लड़कियों का वीडियो वायरल हुआ है. घटना से संबंधित एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें आरोपी लड़की से वार्डन सवाल पूछ रही है कि क्यों भेजा वीडियो? इस सवाल का कोई ठीक जवाब लड़की नहीं दे पा रही है. घटना के संबंध में यूनिवर्सिटी की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. वीडियो के वायरल होने की खबर के बाद छात्रों ने यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, जिसके बाद से वहां पुलिस तैनात की गई है और मीडिया सहित किसी भी बाहरी का प्रवेश यूनिवर्सिटी में वर्जित हो गया है.
इस घटना ने एक साथ बहुत सारे सवाल छोड़ दिए हैं. पूरी घटना में जो बात मुझे सबसे ज्यादा परेशान कर रही है वह, यह कि एक लड़की ने ही बाकी लड़कियों के वीडियो बनाये और उसे किसी को भेज दिया बिना इस बात की परवाह किये कि इसका परिणाम कितना भयानक हो सकता है. बहुत देर तक सोचने के बाद भी मुझे लड़की की मनोदशा समझ में नहीं आई. बात अगर दो-चार लड़कियों की होती तो मैं इस घटना को ऐसे जस्टिफाई करने की कोशिश करती की शायद कुछ मनमुटाव रहा हो लड़कियों से (हालांकि ऐसे शर्मनाक कृत्यों का कोई जस्टिफिकेशन हो ही नहीं सकता) लेकिन साठ लड़कियों का वीडियो? आजकल रोज इस जनरेशन के बच्चों से मिलना होता है. मैं बहुत करीब से इन बच्चों की सारी एक्टिविटी देखती हूँ. हर चीज को लेकर इनका लापरवाह रवैया कई बार मुझे कोफ़्त से भर देता है.
एक सवाल यह भी कि बड़े होने के नाते हम कहाँ चुक रहे हैं आज के बच्चों को सही गलत सीखाने में और फास्ट इंटरनेट के जमाने में हमारा सीखाया कितना असरदार होगा बच्चों पर…. सोच रही हूँ सब बीत जाने के बाद जिस लड़की की गलती से सब कुछ हुआ वह अपने आप को कैसे और कितना संभाल पाएगी? या फिर पता नहीं उसे पछतावा होगा भी या नहीं? क्योंकि उसने जो किया वह कोई बचपना तो था नहीं. उसे भी पता तो रहा ही होगा कि वह क्या कर रही है और उसका अंजाम क्या हो सकता है?
लिखना कुछ और चाहती थी लेकिन घटना से मन इतना खिन्न है कि लिखा ही नहीं जा रहा… शब्द ही नहीं मिल रहे.
पंकज कुमार झा-
सेक्स, सीडी, सम्मान और समाज।
मोहाली में एक दुर्भाग्यजनक घटना घटी है। एक लड़की ने ही 60 से अधिक छात्राओं का नहाते हुए वीडियो रिकॉर्ड कर उसे अपने पुरुष मित्र को दे दिया। उसे वायरल कर दिया गया है। ऐसे मामले मेरे लिए निजी तौर पर भी काफी भावुक करने वाले होते हैं। मुझे स्मरण है, करियर के शुरुआती दौर में ही करीब 20 वर्ष पहले ऐसा ही षड्यंत्र एक उभरती हुई लड़की के साथ हुआ था।
दो दशक पहले का जमाना और कितना ऐसे मामलों में पिछड़ा रहा होगा, आप कल्पना कर सकते हैं। उस दौरान मैंने पूरे रिसर्च के साथ एक आर्टिकल लिखा था। काफी मेहनत कर। आज भी मुझे उस दौरान किये अपने हस्तक्षेप का असीम संतोष है। ऐसा इसलिए कि उस आलेख ने अनेक सकारात्मक काम किए थे तब। बहरहाल।
अगर मोहाली की उन 60 पीड़ित छात्राओं के बारे में बात करें, तो यही कह सकता हूं कि न तो उन लड़कियों के मां-बाप को अपमानित महसूस करना चाहिए न ही लड़कियों को। किसी की इज्जत इस तरह से बिल्कुल खराब नहीं हो सकती। आज का समाज भी बिल्कुल अलग है। वह कम से कम नगरों में अब इतना संकुचित नहीं रहा कि आज की पढ़ी-लिखी बच्चियों को इसके लिए आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़े।
निश्चित ही अपराधी लड़की को कड़ी से कड़ी सजा मिले। उसके पुरुष मित्र को पकड़ कर साजिशों की परतें और उसकी चमड़ी भी उधेड़ दिए जायें। लेकिन पीड़िताओं को किसी तरह का ग्लानि बोध कराए जाने की जरूरत नहीं है। जानता हूं यह कठिन है, लेकिन ऐसा करना होगा। सहज रहना होगा।
प्रिय, बहन-बेटियों-छात्राओं… आपका कुछ भी नहीं बिगड़ा है इससे। आप आराम से आम दिनों की तरह पढ़िए, मस्ती करिये, सपने बुनिए। अपराध जिसने किया है, सजा उसे मिलेगी। अपराधबोध की बिल्कुल जरूरत आपको नहीं है।
प्रिय अभिभावक, आपकी बच्ची समाज की बच्ची है। कुछ भी नुकसान न तो आपके सम्मान का हुआ है, न ही बेटियों का। यह एक अपराध या हादसा है, ऐसा किसी के साथ भी, किसी के घर में भी हो सकता है। हम सब, समाज का हर व्यक्ति बहन-बेटी वाले हैं। हमें पता है बेटियों के इज्जत के बारे में।
आप सभी अपनी-अपनी संतानों को कलेजे से चिपकायें और कहें कि तुम पर गर्व है बिटिया। तुम्हारे साथ हैं हम। जो भी लज्जाजनक चीजें दिखी है वह न तो पहला है और न ही आखिरी। हर मां-बहन का शारीरिक/भौतिक अस्तित्व एक जैसा ही होता है। यह कुछ भी अलग या अनहोनी नहीं है। दंड अपराधियों को मिलना है, तुम्हें नहीं।
तुम तो उड़ चलो बिटिया। पढ़ो, बढ़ो आकाश तलक।
है न समाज!
निधि नित्या-
इस खबर में इस बात ने मुझे अधिक हैरान नहीं किया कि एक लड़की खुद , 60 लड़कियों के वीडियो बनाकर अपने दोस्त को भेज रही थी। बल्कि इस बात ने अधिक हैरान किया कि ये जानते हुए भी की ये उस लड़की के बीमार दिमाग़ का किया धरा काम है बाकी की लड़कियां न सिर्फ डर गयीं बल्कि आत्महत्या जैसा कदम भी उठा रही हैं।
क्यूँ? ऐसा क्या है जो पहले देखा नहीं गया और ऐसा क्या है जिसके दिख जाने के बाद जीवन खत्म करना उचित कदम है ??
इज़्ज़त, मर्यादा , सुचिता आदि शब्दों का कितना भारी असर है लड़कियों के दिमाग में ज़रा सोचिए।
मानती हूँ कि जंगलों से निकलकर समाज बना लेने के बाद इंसान ने सभ्यता के नाम पर बहुत कुछ रचा जिसमें शरीर को ढांक कर रखना भी है। पर क्या यदि किसी दुर्घटना में ये शरीर निर्वस्त्र हो जाय तो? तो क्या यदि किसी कारण इस शरीर से कपड़ा हट जाए तो ? क्या वाकई ये समाज इतना तंगदिल और संकुचित दिमाग का है कि फिर उस लड़की के लिए आत्महत्या ही एकमात्र विकल्प रह जाता है ??
सोचिए ऐसे ही वीडियो यदि लड़कों के वायरल होते तो क्या लड़के भी आत्महत्या करते ?? तो लड़कियों के दिमाग मे आत्महत्या का विचार कैसे आया ?
क्योंकि हमारे समाज में लड़कियों की मान मर्यादा उनके शरीर और कपड़ों से शुरू होती है और उसी पर खत्म भी होती है। इस समाज का आधा जीवन वास्तव में लड़कियों की योनि की शुद्धता और रक्षा और सुचिता बनाए रखने में ख़र्च हो जाता है।
बात बोल्ड और जबर लग सकती है बल्कि है भी। पर सच भी यही है। लड़कियों के शरीर को बचाकर रखने की कंडीशनिंग इतनी जबरदस्त है कि पुरानी फिल्मों में लड़की ” मैं तो अपवित्र हो गयी ” कहकर आत्महत्या करती दिखती थी जिसे सारा समाज न सिर्फ स्वीकार करता था , बल्कि सराहता भी था।
वही सोच , वही कंडीशनिंग उन लड़कियों की भी है , जो शरीर के बेपर्दा हो जाने पर उसे जीवन की अप्रत्याशित दुर्घटना समझकर आगे बढ़ जाने की बजाय मर जाना चुन रही हैं।
मैं हैरान हुए एक पोस्ट पढ़कर जिसमें लिखा था ” किसी भी इज़्ज़तदार घर की लड़की ऐसा होने के बाद आत्महत्या ही करती। संस्कारी लड़की थी , सारे आम बेइज़्ज़त होने से अच्छा उसने मरना चुना “
क्या मतलब था इस पोस्ट का ? क्या लड़कों की आत्महत्या पर भी ऐसी पोस्ट लिखी जाती ? नहीं …
क्योंकि हमारा समाज लड़को के शरीर को उनकी मर्यादा नहीं बल्कि मर्दानगी मानता है। आप अंतर समझ पा रहे हैं ब्रोटअप में ?
बिल्कुल इसी तरह बिंदास और सामान्य तरह से लड़कियों को भी बड़ा किया जाना चाहिए। बड़ा कीजिए अपनी बेटियों को उनके शरीर की कैद से इतर इतने मजबूत विचारों के साथ कि , तन उघर जाने की किसी अनचाही घटना के बाद वे बजाय शर्मिंदा होने के , उसे नज़रंदाज़ करके निकल जाएं । कोई बीमार दिमाग का व्यक्ति उनको , उनके शरीर के नाम पर ब्लैकमेल करके उनका जीवन नष्ट न कर पाए। मुक्त कीजिए अपनी बेटियों को परिवार की मर्यादा जैसे शब्दों की कैद से। उनको साहस के साथ अपने शरीर का आदर करना सिखाइये ।
” शरीर छुपा रहना सभ्यता का तकाज़ा है लेकिन दिख जाना मृत्यु का चयन नहीं “
फिलहाल स्तबध हूँ उस लड़की की मानसिकता पर जिसने इतनी लड़कियों के वीडियो बनाये औऱ दुखी हूं उन लड़कियों के आत्महत्या के फैसले पर जिन्होंने शरीर की मर्यादा के नाम पर जीवन खो दिए।
मेडिकल की पढ़ाई कर रहे इसी उम्र के बच्चों से पूछिए की उनके लिए शरीर का मतलब क्या है ? वे फर्क नहीं करते कि जिस बॉडी पर वे मेडिकल की पढ़ाई सीख रहे हैं वो स्त्री का है या पुरूष का। क्योंकि उनको इसी माइंड सेट के साथ वो शरीर दिए जाते हैं पढ़ाई के दौरान। तो सारा खेल माइंड सेट का है।
तो बाकी बची लड़कियों को हिम्मत दीजिए और ये संदेश उन तक पहुंचाइये कि हम एक समाज के रूप में उन लड़कियों को न अपराधी मानते हैं ना ही शिकार । उनका निर्वस्त्र हो जाना उतना ही सामान्य था जितना किसी पर्दे का उठना और गिरना। उन्हें मज़बूती से इस सबका सामना करके आगे बढ़ जाना चाहिए।
सुनो लड़कियों/ स्त्रियों तुम्हारा शरीर न तुम्हारा मंदिर है , न किसी की मर्यादा, न किसी की इज़्ज़त का तमगा तुमको इस सोच से बाहर आना होगा। तुम्हारा शरीर इस ब्रह्माण्ड का उतना ही सामान्य हिस्सा है जितना कि ये पेड़-पौधे और अन्य जीव-जंतु हैं।
Darshan Desai
September 18, 2022 at 4:49 pm
Ye khabar media news ki website pey kyon hain? Aisi sub khabaron ke liye hum bhadas4media nahi dekhte!!!