कृष्ण कल्पित-
कृष्ण के आकर्षण से कोई नहीं बच पाया । कृष्ण अब वैश्विक देवता (Global God) है । कृष्ण की लोकप्रियता विश्व में निरन्तर बढ़ती जा रही है । दुनिया का शायद ही कोई देश हो जहाँ कृष्ण का मंदिर और कृष्ण-समुदाय न हो । पूरी दुनिया से जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाये जाने की ख़बरें आ रही हैं.
यह सृष्टि जैसे कृष्ण की बाँसुरी की टेर में बंध गई हो !
कृष्ण की तुलना में राम भारत के बाहर विदेशों में कहीं नज़र नहीं आते । थाईलैंड, बाली, सुमात्रा और कम्बोडिया वगैरह को छोड़ दीजिये जहाँ से ये देवता और इन देवताओं के काल्पनिक क़िस्से-कहानियाँ भारत-भूमि पर आये ।
राम और राममंदिर अब केवल राजनीतिक प्रश्न है, आध्यात्मिक नहीं – भारत के सुप्रीम-कोर्ट में जिसका एक अतियथार्थवादी (Surrealistic) मुक़दमा चल रहा था ( इस मुक़दमे का फैसला आ चुका है और अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तेज़ी से हो रहा है ) । अब मंदिर बनने की कगार पर है । दिलचस्प बात यह कि राम के वंशज होने का दावा करने वाले जयपुर के पूर्व राजपरिवार की कई पीढ़ियों के वारिस बाहर से यानी गोद लाये जाते रहे हैं । ख़ैर, इस बात को छोड़िए ।
इसी तरह भारत का बौद्ध-धर्म, भारत से खदेड़ा जाकर दुनिया भर में फैला और जैन-धर्म सिर्फ़ भारत में महदूद रहा, जबकि महावीर के अनुयायी और धनिक जैन समुदाय पूरी दुनिया में बिखरा हुआ है । गांधी की अहिंसा के विचार को समूची दुनिया जानती है लेकिन यह विचित्र बात कि अहिंसा को परम-धर्म मानने वाले महावीर को दुनिया नहीं जानती ।
कौन-सा विचार, कौन-सा महामानव, कौन-सा धर्म दुनिया को आकर्षित करता है इस बारे में निश्चित कुछ नहीं कहा जा सकता । ख़ुद को राम का कुत्ता कहने वाले कबीर की कविताई और विचार धीरे-धीरे दुनिया को अपनी और खींच रहे हैं लेकिन ‘रामचरित मानस’ लिखने वाले तुलसीदास आज उत्तरभारत, जिसे गोबर-पट्टी भी कहा जाता है – तक सिकुड़ कर रह गये हैं ।
ख़ैर । आप सभी को कृष्ण नाम के इस वैश्विक-देवता (Global God) के जन्मदिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ !