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छोटे समाचार संस्थानों के लिये ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म नेटवर्क नि:शुल्क ‘एडवायसरी सेवा’ शुरू कर रहा!

भारत सहित एशिया के अन्य देशों के लिए ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म नेटवर्क (जीआईजेएन) एक निशुल्क ‘एडवायसरी सेवा’ प्रारम्भ कर रहा है। इसके तहत जीआईजेएन ‘जनहित और निगरानी’ (watchdog) की करने वाली पत्रकारिता करने वाले छोटे या मझोले स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को विशेष मदद करेगा। जीआईजेएन इसमें आपके संस्थान का विशेषज्ञों द्वारा निशुल्क आकलन करवाने में मदद से लेकर संचालन में पाँच महीनों तक सहयोग करेगा।

इसमें एशिया से तीन संस्थानों का चयन प्रतिस्पर्धी आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। चयनित संस्थानों के लिए एक ‘मेंटोर’ (mentor) दिया जाएगा। यह मेंटोर सबसे पहले संस्थान की न्यूज़रूम संरचना, खोजी और डेटा पत्रकारिता, डिजिटल प्रसार, नेतृत्व आदि का आकलन कर के रणनीति बनाने में सहयोग करेगा। समय-समय पर संस्था की आवश्यकतानुसार मेंटोर, विषय विशेषज्ञ और कंसलटेंट उपलब्ध कराएगा।

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चयन के लिए जीआईजेएन ने कुछ आवश्यक योग्यताएँ निर्धारित की हैं। आवेदन करने वाले मीडिया संस्थान आंशिक या पूर्ण रूप से जनहित की निगरानी करने वाले पत्रकार संगठन होना चाहिए। उन्हें प्रमाण स्वरूप पिछले एक साल के दौरान की गई तीन ‘जनहित की निगरानी’ वाली खबरों की लिंक उपलब्ध कराना होगी।

इस एडवायसरी सेवा को प्राप्त करने हेतू आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2021 है। अधिक जानकारी के लिए ईमेल करें : [email protected]

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लिंक:

https://advisory.gijn.org/advisory-home-page/assessments-for-asian-newsrooms/

ज्ञात हो कि ग्लोबल इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म नेटवर्क दुनिया के खोजी मीडिया संगठनों का अंतर्राष्ट्रीय संघ है। इसका मुख्य उद्देश्य वाच-डॉग यानि निगरानी की भूमिका निभा रहे इनवेस्टिगेटिव और डेटा जर्नलिज़्म करने वाले पत्रकारों का प्रशिक्षण और उनके बीच जानकारी का सहजता से आदान-प्रदान सुनिश्चित करना है।

भारत में दीपक तिवारी पिछले कुछ महीनों से gijn.org (Twitter : @gijnHin) का कार्य देख रहे हैं। जीआईजेएन ने एशिया के निगरानी मीडिया के लिए एक निशुल्क परामर्श सेवा आरम्भ की है। इसमें तीन संस्थानों का चयन किया जाना है। इसके अतिरिक्त खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र जीआईजेएन का मूल कार्य है। ज़्यादा जानकारी वेबसाइट से मिल जाएगी।

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इससे जुड़कर देश में विशेषतौर पर हिंदी पत्रकारिता में इस विधा को विकसित करने में सहयोग किया जा सकता है।

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