श्याम मीरा सिंह-
SIT की जाँच रिपोर्ट को पढ़ रहा हूँ, जिसके आधार पर नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों के लिए क्लीन चिट दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी कल इसी जाँच को सही ठहराया है। इसे हेड करने वाले RK राघवन के इसमें कमेंट्स पढ़के लग रहा है जैसे पूरी ज़िम्मेदारी हो कि कैसे भी मोदी को निर्दोष साबित करना है। ये मेरा निजी मत है, जो मैंने महसूस किया।
किसी किताब, रिपोर्ट को पढ़कर अपना मत ज़ाहिर करना अगर अपराध हो तो माफ़ी। आज इस मामले से जुड़ी तीस्ता सीतलवाड़ और एक आईपीएस अफसर को भी अरेस्ट कर लिया गया है. डर रहता है. आजकल किसी भी बात के लिए मुक़दमे किए जा रहे हैं। अपने ही देश में अपनी बात रखना मुश्किल महसूस होता है.
गोदरा कांड की जाँच में सिटीजन ट्रिब्युनल ने कहा था कि बाहर से आग नहीं लगाई गई बल्कि अंदर से ही लगी है। यूसी बनर्जी समिति ने कहा था कि ये साज़िश नहीं बल्कि एक दुर्घटना की वजह से आग लगी। सिर्फ़ नानावती आयोग ने कहा-ये साज़िश थी। इस नानावती आयोग ने साल 2008 में एक स्थानीय मौलवी को कथित “मास्टरमाइंड” बताया था, साल 2011 में अदालत ने उन्हें निर्दोष पाया था। क़रीब 9 साल बाद जेल में रहने के बाद अदालत ने उन्हें निर्दोष मानते हुए रिहा कर दिया था। नानवती आयोग की नियुक्ति खुद राज्य सरकार ने की थी। और इसपर पक्षपात के आरोप लगे थे। आरोप नरेंद्र मोदी के चहेते होने के भी थे।
सिटिज़न ट्रिब्युनल को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज- VR कृष्णा अय्यर लीड कर रहे थे। इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज पीबी सावंत भी थे। और मुंबई हाईकोर्ट के जज- होस्बेत सुरेश भी थे। इस जाँच में पता चला कि कारसेवक अहमदाबाद से अयोध्या गए तो इन सैंकड़ों कारसेवकों के हाथों में त्रिशूल और लाठियाँ थीं। इन्होने रास्ते भर जिस किसी प्लेटफार्म पर मुस्लिम दिखे वहां वहां खूब आतंक मचाया। रास्ते में मुस्लिम दुकानदारों के साथ मारपीट की। फ़ैज़ाबाद के पास के स्टेशनों पर मुस्लिमों को पीटा, लोहे की रोड़ों से मारा। त्रिशूल भी घोंपे, महिलाओं के बुर्का उतारे और तंग किया। विरोध करने वाले एक मुस्लिम युवक को ट्रेन से भी फेंक दिया था. जबरन जय श्री राम के नारे लगवाए।
इन सब खबरों को गोदरा कांड से ठीक दो दिन पहले अयोध्या और आसपास के जिलों में छपने वाले अख़बार “जन मोर्चा” ने छापा था. इन कारसेवकों पर कोई FIR नहीं हुई, ना रेलवे ने कोई एक्शन लिया था।
गुजरात के गोधरा को लेकर मेरे मन में बचपन से ही एक विक्षोभ था, दुःख था, ये ऐसी चीज़ है जिसे भूलना मुश्किल है। लेकिन जब इसके बारे में पढ़ा तो बहुत से पूर्वाग्रह हटे, उससे पहले की कुछ घटनाओं को जाना। गोधरा के पीड़ितों के लिए दुःख है। लेकिन इसमें और भी बहुत से लोग पीड़ित हैं। दोषियों को तो शायद ही कभी सजा मिले। इस वीडियो को देखिए-