कमला गोइन्का फाउण्डेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुन्दर गोइन्का ने वर्ष 2014 के लिए पुरस्कारों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के ‘गोइन्का व्यंग्य साहित्य सारस्वत सम्मान’ से वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. हरि जोशी विभूषित किये जायेंगे। व्यंग्य विधा के लिए ‘स्नेहलता गोइन्का व्यंग्यभूषण पुरस्कार’ सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री यज्ञ शर्मा को उनकी कृति ‘सरकार का घड़ा’ एवं व्यंग्य साहित्य में उनके समग्र योगदान के लिए घोषित किया है। महिला साहित्यकारों के लिए ‘रत्नीदेवी गोइन्का वाग्देवी पुरस्कार’ सुप्रसिद्ध लेखिका श्रीमती ममता कालिया को उनकी कृति ‘दुक्खम सुक्खम’ एवं साहित्य में समग्र योगदान के लिए घोषित किया है।
साथ ही साथ पत्रकारिता के लिए ‘रामनाथ गोइन्का पत्रकार शिरोमणि पुरस्कार’ के लिए सुप्रसिद्ध पत्रकार तथा ‘शुक्रवार’ के संपादक श्री विष्णु नागर को उनके हिन्दी पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए घोषित किया है।
श्री श्यामसुन्दर गोइन्का ने बताया कि अगस्त महीने में मुंबई में आयोजित एक विशेष समारोह में डॉ. हरि जोशी को सम्मानित किया जायेगा। संग-संग श्री यज्ञ शर्मा को रु.1,11,111/- (एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपये) नगद, श्रीमती ममता कालिया को रु.51000/- (इक्यावन हजार रुपये) नगद व श्री विष्णु नागर को रु.51000/- (इक्यावन हजार रुपये) नगद प्रदान कर सम्मानित किय जायेगा। (प्रेस विज्ञप्ति)
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neerja shukla
July 15, 2014 at 11:35 am
हरि जोशी काफी वरिष्ठ और जाने माने व्यंग्यकार हैं। उनके 8 उपन्यास के अलावा कई रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। सरकारी नौकरी में रहते हुए भी वे लगातार लिखते रहे और सही को सही कहा, जिसका खामियाजा भी उन्होंने भुगता। अब सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका लेखन लगातार जारी है। वे हमेशा बिना प्रचार के अपने काम में जुटे रहते हैं लेकिन उनकी पैनी कलम, व्यवस्था पर जोरदार प्रहार करती है। पुरस्कार मिलने की उन्हें बधाई।
SHANKAR JALAN
July 15, 2014 at 11:38 am
SABHI KO SUBH KAMNA
rakesh kanoongo
July 15, 2014 at 12:13 pm
नीरजा जी ने बिलकुल सही कहा। हरि जोशी को 17 सितंबर 1982 को “रिहर्सल जारी है“, व्यंग्य रचना जो कि दैनिक भास्कर में छपी के उपर, मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने निलंबित कर दिया था। इसके अलावा उन्हें 24 दिसंबर 1982 को दैनिक नई दुनिया में छपी व्यंग्य रचना “दांव पर लगी रोटी“ के उपर भी तत्कालीन सरकार ने नतीजा भुगतने की चेतावनी दी थी। इसके अलावा 17 जून 1997 को उनकी एक व्यंग्य रचना, नवभारत टाइम्स में छपी, जिसका शीर्षक था “श्मशान और हाउसिंग बोर्ड का मकान“, जिस पर उन्हें बोर्ड की तरफ से नोटिस दिया गया। कुल मिलाकर, सरकारी नौकरी में रहने के दौरान उन्होंने जो भी व्यंग्य लिखे, और सरकार को सही रास्ता दिखाना चाहा, उस पर शासन ने उन्हें सजा देकर दबाव बनाने की कोशिश की। और खास बात यह है कि तीनों ही कार्रवाइयां कांग्रेस के शासनकाल में हुईं। और शायद कांग्रेस की इन्हीं गतिविधियों के कारण अब कांग्रेस स्वयं उपहास का विषय बन गई है। हरि जोशी के हिंदी से उन्हीं के द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित 17 गद्य, माय स्वीट सेवंटीन, अमेरिका के एक प्रकाशन ने प्रकाशित किए है। उन्हें पुरस्कार मिलने की हार्दिक बधाई। अन्य उपन्यासकारों को भी बधाई।