बाकी राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ भी सूखे की चपेट में है. कई अन्य तरह की समस्याएं भी हैं. जल जंगल जमीन के मामले बहुत सारे हैं. पर छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री साहब को इस दौरान भी मीडियाकर्मियों को नज़राना देने में गुरेज़ नहीं है. किसान बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने शुक्रवार को अपने बंगले में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने की सूचना जारी कराई, जिसके बाद राजधानी की मीडियाकर्मियों की फौज मंत्री जी के बंगले में निर्धारित समय में इकट्ठा भी हो गई.
प्रदेश के कई सामयिक, राजनीतिक मसलों पर मंत्री रामसेवक जवाब देते रहे. प्रेस कांफ्रेंस ख़त्म होने के बाद जैसे ही पत्रकार बंगले से बाहर निकलने वाले थे, मंत्री के सहायक और ‘परिचय वाले’ कुछ वरिष्ठ पत्रकार बाकी पत्रकारों को थोड़ा रुकने की बात कहते रहे. इसके बाद गृहमंत्री के आदेश पर पीसी में मौजूद करीब चार दर्जन पत्रकारों को मंहगे सफारी-सूट का नज़राना दिया गया, पत्रकारों ने भी हँसते मुस्कुराते ‘गिफ्ट’ ग्रहण किया और चलते बने.
गृहमंत्री की इस आवभगत का अर्थ छत्तीसगढ़ के कुछ पत्रकार समझ ही नहीं रहे हैं. सामान्यतः होली, दीपावली, या कोई विशेष पर्व, त्यौहारों में तो पत्रकारों को ‘मिठाई’ खिलाने की परम्परा चली आ रही थी. पर गृहमंत्री रामसेवक पैकरा का पत्रकारों का ये ‘सेवकाना’ अंदाज़ पत्रकारिता को जीने वाले कई लोगों को रास नहीं आ रहा है. सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि जिस प्रदेश में सूखे के संकट से लोग त्रस्त हैं, वहां भला मीडियाकर्मियों के लिए तोहफे की ज़रूरत ही क्या थी? महंगे सफारी-सूट के लिए मंत्री जी ने ऐसे में किस फंड से पैसे खर्च किये होंगे? कई मंत्री भी अपने काबिल गृहमंत्री के इस व्यवहार से आश्चर्यचकित हैं और अपनी ब्रांडिंग पीआर के लिए उनसे सीख सबक ले रहे हैं.
ashish
July 28, 2016 at 12:03 pm
होली दीपावली में तो सुआ नाचने जाते है लेकिन आम जनता की समस्या यहाँ के पत्रकारों को दिखलाई ही नहीं दे रही है सब लिफाफा पत्रकार बनते जा रहे है …………:D:)