सुरेशचंद्र रोहरा
छत्तीसगढ़
गुरदीप सप्पल होने का अभिप्राय : स्वराज एक्सप्रेस की बंदी और उठते सवाल… आजकल राज्यसभा टीवी को लांच कर के उसे ऊंचाई देने का काम करने वाले देश के वरिष्ठ संपादक, पत्रकार गुरुदीप सप्पल चर्चा में हैं. सौभाग्य से, मुझे भी उनके द्वारा प्रारंभ किए गए “हिंद किसान” बुलेटिन और बाद में ‘स्वराज एक्सप्रेस’ में काम करने का अनुभव है, मौका मिला. सच कहूँ तो मगर मेरा अनुभव कुछ अलग है और मैं साफगोई से यह कहना चाहूंगा कि ऐसा बड़े दिल का, बड़ी विजन का मालिक संपादक- पत्रकार, हिंदुस्तान में दूसरा कोई नहीं है.
मैं आपको अपने अनुभव साझा करते हुए बताना चाहूंगा, की 3 वर्ष पूर्व, अचानक मैंने सोशल मीडिया में “हिंद किसान” का एक बुलेटिन देखा. उसकी बेहतरीन प्रस्तुति और रिपोर्टिंग देखकर मन में यह भाव उठा, क्यों न मैं भी छत्तीसगढ़ कि किसानों की त्रासदी और पीड़ा को हिंद किसान बुलेटिन के माध्यम से प्रस्तुत करूं. सो मैंने प्रयास करके संपर्क करना प्रारंभ किया.आप आश्चर्य कर सकते हैं की प्रारंभ में मेरी कई रिपोर्टिंग को रोक दिया गया और समझाइश दी गई कि कुछ और अच्छा करू.
इस दरमियान मै छत्तीसगढ़ के गांव में रिपोर्टिंग करने निरंतर जा रहा था. मैं डीडी न्यूज़ में प्रसारित आंखों देखी आदि में भी रिपोर्ट कर रहा था. सो मैं ने हिंद किसान के कुछ रिपोर्टिंग पुन: भेजी. पहली रिपोर्टिंग कोरबा जिला के वन विभाग के एक वृक्षा रोपण मे किए गए बड़ी रोपणी, भूभाग में आग के दहकने का था.
मुझे आश्चर्य हुआ कि यह रिपोर्टिंग कुल 2 मिनट की प्रस्तुत की गई थी. जिसे सैकड़ों लोगों ने देखा टिप्पणी की. इसके पश्चात जिला रायपुर के सिमगा के किसानों को बीमा राशि नहीं मिलने की रिपोर्टिंग के साथ-साथ दर्जनों रिपोर्टिंग मेरी “हिंद किसान” में प्रसारित हुई.
मैं आश्चर्यचकित रह गया जब हिंद किसान मुख्यालय, नई दिल्ली से एक दिन मुझे फोन आया और मेरा बैंक डिटेल मांगा गया. और पूछने पर बताया गया कि आपको रिपोर्टिंग के पैसे दिए जाएंगे. मैं चकित था. क्योंकि आज के समय में कोई आपको बुलेटिन के पैसे देगा, यह तो एक चमत्कार ही था. मैंने खुशी खुशी अपना बैंक डिटेल दिल्ली भेज दिया और मन ही मन सोचने लगा कि अधिकतम एक रिपोर्टिंग का रूपया 300 के आसपास मुझे मिलने वाला है.
यह बात मैंने अपने कुछ पत्रकार मित्रों को भी बताई और उन्हें बताते हुए गर्व के साथ कहा कि देखो, एक लघु बुलेटिन ऐसा है जो यूट्यूब पर है फेसबुक पर है. और किस तरह इमानदारी से मुझे रिपोर्टिंग के पैसे मिलने वाले हैं.
मैं अति उत्साहित था. आगे आपको आश्चर्य होगा कि मेरी पांच रिपोर्टिंग जो उस महीने प्रसारित हुई थी. उसका 6000 रूपया अर्थात एक रिपोर्टिंग का 12 सौ रुपए मेरे बैंक अकाउंट में आ गया. मैं आवाक था कि ऐसा भी होता है. हालांकि मैं पूर्व में डीडी न्यूज़ के आंखों देखी क्राइम कानून रिपोर्ट, मैडम नलिनी सिंह के कार्यक्रम से जुड़ा हुआ था. और छत्तीसगढ़ प्रमुख बनाया गया था. मगर वहां भी सिर्फ 1000 रूपए ही प्रति स्टोरी रिपोर्टिंग मिला करता था, जो बाद में सिर्फ500 रूपया हो गया था. इसी दरमियान मेरे देश की धरती, एहसास, गुड न्यूज़ इंडिया आदि अनेक कार्यक्रमों में डीडी न्यूज़ में मैंने रिपोर्टिंग भेजी. पब्लिश हुई, प्रसारित हुई… मगर मुझे मुझे एक रूपया भी पारिश्रमिक नहीं मिला.
ऐसे में जब “हिंद किसान” चैनल से प्रति स्टोरी 12 सो रुपए मिलने लगे, तो मैं यह सोचकर हैरान था कि आखिर इस विशाल हृदय न्यूज़ बुलेटिन चलाने वाली शख्सियत को जानू की आखिर यह कौन है? मुझे पता चला कि किसान चैनल श्री गुरुदीप सप्पल चला रहे हैं. धीरे-धीरे यह भी पता चला कि गुरदीप जी एक नेशनल चैनल पर आरंभ करने जा रहे हैं. बताया गया कि इसमें आपका भविष्य और भी उज्जवल होने की संभावना है.
मगर मैं पत्रकारिता को जिस तरह से जानता हूं. मैंने कभी भी यह नहीं माना कि कोई चैनल अथवा पत्रिका हमें कुछ इतना पैसा दे देगी कि हम सर उठा कर जीविकोपार्जन कर सके. ऐसे में मैं निस्पृह भाव से अपना काम करता रहा. धीरे धीरे हिंद किसान… चैनल स्वराज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय के रूप में प्रारंभ हुआ. लोगों की टीम जुड़ने लगी… बनने लगी. मगर जैसे-जैसे यह अपने ऊंचाई पर आगे बढ़ रहा था लोग जुड़ रहे थे मैं धीरे-धीरे पीछे होता चला गया. क्योंकि नई टीम ने जब काम और मोर्चा संभाला तो रिपोर्टिंग भेजने के बाद भी जिस गंभीरता के साथ उसे देखना और प्रसारित करने की भूमिका निभानी थी वह लापरवाही पूर्ण था. यह कहा जाए कि वहां लापरवाही का आलम था. रिपोर्टिंग भेजने के बाद भी कोई बात नहीं हो पाती और कहा जाता कि शीघ्र ही प्रसारित होगी. मगर रिपोर्ट प्रसारित नहीं हो पाती थी.
धीरे-धीरे मैंने काम समेटना आराम कर दिया .इस बीच यह खबरें आती रहती कि स्वराज एक्सप्रेस निरंतर आगे बढ़ रहा है. देश के मुद्दे और बड़े पत्रकार स्वराज एक्सप्रेस के साथ जुड़ते चले जा रहे हैं. यह भी जानकारी मिली कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह का हाथ स्वराज एक्सप्रेस पर है.
इसी बीच अचानक एक दिन खबर आई स्वराज एक्सप्रेस बंद हो गया है. मैं पुनः एक बार चकित हुआ इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद किसी चैनल का बंद हो जाना आश्चर्यचकित करता है. जबकि हमारे देश में ऐसे ऐसे चैनल भी चल रहे हैं जिनकी कोई जमीन नहीं है. कोई दिशा और सिद्धांत दिखाई नहीं देता. ऐसे में गुरदीप सप्पल जैसे एक अनुभवी पत्रकार संपादक का चैनल बंद हो जाए तो यह चकित करता है. यह भी जानकारी मिली की लोगों को वेतन नहीं मिल पाया. मगर उन्होंने आश्वस्त किया है कि शीघ्र ही वेतन की व्यवस्था की जा रही है.
यहां मुद्दा सिर्फ इस बात का है कि आज गुरदीप सप्पल के खिलाफ अदालत में पत्रकार और वहां काम करने वाले कर्मचारी ही दरवाजा खटखटा रहे हैं और न्याय चाहते हैं. लाख टके का सवाल यह है कि अगर स्वराज एक्सप्रेस बंद हो गया है तो निसंदेह लाखों करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है. ऐसे में कोर्ट का दरवाजा खटखटाना और उन्हें वहां बुलाकर दबाव प्रभाव बनाना मेरी निगाह में तो उचित नहीं है. क्योंकि गुरदीप सप्पल के संपूर्ण कार्य और पत्रकारिता स्वभाव को देखें, तो उन्होंने अपनी ताकत और माददे के साथ बहुत कुछ ईमानदारी से करने का प्रयास किया था. आज वे असफल हो चुके हैं, तो उन्हें परेशान करके अनशन हड़ताल, रिपोर्ट आपको कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से क्या मिलेगा.
लेखक सुरेशचंद्र रोहरा दैनिक लोक सदन, छत्तीसगढ के संपादक हैं.
मेल : [email protected]
मोबाइल : 07747920885
राहुल सिसौदिया
November 30, 2020 at 10:52 pm
सम्मानीय सुरेशचन्द्र रोहरा जी आपको स्वराज एक्सप्रेस में स्टोरी भेजने के आपको तो 6000रु मिल गये तो आप उनका गुणगान कर रहें हो। लेकिन हम लोग क्या करें आज तक एक रुपया भी नही मिला। वैसे अगर सप्पल जी से आपकी बात चीत होती हैं तो कृप्या आप हमारी स्टोरीयो का पैसा दिलाने की कृपा करें।।
राहुल सिसोदिया-मंडला मप्र