Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

गुजरात फाइल्‍स : अफसरों की जुबानी-मोदी अमि‍त शाह की काली कहानी

कुछ सालों पहले तक उत्तर प्रदेश पूरे देश का नेतृत्व किया करता था। लेकिन लगता है कि देश को सात-सात प्रधानमंत्री देने वाले इस सूबे की राजनीति अब बंजर हो गई है। इसकी जमीन अब नेता नहीं पिछलग्गू पैदा कर रही है। ऐसे में सूबे को नेता आयातित करने पड़ रहे हैं। इस कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर उनके शागिर्द अमित शाह और स्मृति ईरानी तक की लंबी फेहरिस्त है। स्तरीय नेतृत्व हो तो एकबारगी कोई बात नहीं है। लेकिन चीज आयातित हो और वह भी खोटा। तो सोचना जरूर पड़ता है। यहां तो तड़ीपार से लेकर दंगों के सरदार और फर्जी डिग्रीधारी सूबे को रौंद रहे हैं। इस नये नेतृत्व की हकीकत क्या है। इसकी कुछ बानगी पत्रकार राना अयूब की गुजरात दंगों और दूसरे गैर कानूनी कामों पर खोजी पुस्तक ‘गुजरात फाइल्स’ में मौजूद है। 

कुछ सालों पहले तक उत्तर प्रदेश पूरे देश का नेतृत्व किया करता था। लेकिन लगता है कि देश को सात-सात प्रधानमंत्री देने वाले इस सूबे की राजनीति अब बंजर हो गई है। इसकी जमीन अब नेता नहीं पिछलग्गू पैदा कर रही है। ऐसे में सूबे को नेता आयातित करने पड़ रहे हैं। इस कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर उनके शागिर्द अमित शाह और स्मृति ईरानी तक की लंबी फेहरिस्त है। स्तरीय नेतृत्व हो तो एकबारगी कोई बात नहीं है। लेकिन चीज आयातित हो और वह भी खोटा। तो सोचना जरूर पड़ता है। यहां तो तड़ीपार से लेकर दंगों के सरदार और फर्जी डिग्रीधारी सूबे को रौंद रहे हैं। इस नये नेतृत्व की हकीकत क्या है। इसकी कुछ बानगी पत्रकार राना अयूब की गुजरात दंगों और दूसरे गैर कानूनी कामों पर खोजी पुस्तक ‘गुजरात फाइल्स’ में मौजूद है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

मोदी जी और अमित शाह से जुड़े इसके कुछ अशों को उसी रूप में देने की हम कोशिश कर रहे हैं जिसमें गुजरात के आला अफसरों के इनके बारे में विचार हैं। इसको पढ़ने के बाद आपके लिए इस ‘आयातित नेतृत्व’ के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचना आसान हो जाएगा। बातचीत के कुछ अंशः

जी एल सिंघल, पूर्व एटीएस चीफ, गुजरात

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः ऐसी क्या चीज है जिसके चलते गुजरात पुलिस हमेशा चर्चे में रहती है? खासकर विवादों को लेकर?

उत्तरः यह एक हास्यास्पद स्थिति है। अगर कोई शख्स अपनी शिकायत लेकर हमारे पास आता है और हम उसे संतुष्ट कर देते हैं तो उससे सरकार नाराज हो जाती है। और अगर हम सरकार को खुश करते हैं तो शिकायतकर्ता नाराज हो जाता है। ऐसे में हम क्या करें? पुलिस के सिर पर हमेशा तलवार लटकी रहती है। एनकाउंटर में शामिल ज्यादातर अफसर दलित और पिछड़ी जाति से थे। राजनीतिक व्यवस्था ने इनमें से ज्यादातर का पहले इस्तेमाल किया और फिर फेंक दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः मेरा मतलब है कि आप सभी वंजारा, पांडियन, अमीन, परमार और ज्यादातर दूसरे अफसर निचली जाति से हैं। सभी ने सरकार के इशारे पर काम किया। जिसमें आप भी शामिल हैं। ऐसे में ये इस्तेमाल कर फेंक देने जैसा नहीं है?

उत्तरः ओह हां, हम सभी। सरकार ऐसा नहीं सोचती है। वो सोचते हैं कि हम उनके आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। और बने ही हैं उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए। प्रत्येक सरकारी नौकर जो भी काम करता है वो सरकार के लिए करता है। और उसके बाद समाज और सरकार दोनों उसे भूल जाते हैं। वंजारा ने क्या नहीं किया। लेकिन अब कोई उसके साथ खड़ा नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः लेकिन ये अमित शाह के साथ क्या चक्कर है। मैंने आपके अफसरों के बारे में भी सुना………मेरा मतलब है कि वहां अफसर-राजनीतिक गठजोड़ जैसी कुछ बात है। खास कर एनकाउंटरों के मामले में। मुझे ऐसा बहुत सारे दूसरे मंत्रियों से मिलने के बाद महसूस हुआ।

उत्तरः देखिये, यहां तक कि मुख्यमंत्री भी। सभी मंत्रालय और जितने मंत्री हैं। सब रबर की मुहरें हैं। सभी निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा लिए जाते हैं। जो भी फैसले मंत्री लेते हैं उसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री से इजाजत लेनी पड़ती है। सीएम कभी सीधे सीन में नहीं आते हैं। वो नौकरशाहों को आदेश देते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः उस हिसाब से तो आपके मामले में अगर अमित शाह गिरफ्तार हुए तो सीएम को भी होना चाहिए था?

उत्तरः हां, ये मुख्यमंत्री मोदी जैसा कि अभी आप बोल रही थीं अवसरवादी है। अपना काम निकाल लिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः अपना गंदा काम

उत्तर- हां

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः लेकिन सर आप लोगों ने जो किया वो सब सरकार और राजनीतिक ताकतों के इशारे पर किया। फिर वो क्यों जिम्मेदार नहीं हैं?

उत्तरः व्यवस्था के साथ रहना है तो लोगों को समझौता करना पड़ता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जीएल सिंघल के बाद राना अयूब की मुलाकात गुजरात एटीएस के पूर्व डायरेक्टर जनरल राजन प्रियदर्शी से हुई। वो बेहद ईमानदार और अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले नौकरशाह के तौर पर जाने जाते रहे हैं। दलित समुदाय से आने के चलते व्यवस्था में उन्हें अतिरिक्त परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। लेकिन वो अपने पद की गरिमा को हमेशा बनाए रखे। शायद यही वजह है कि वह सरकार के किसी गलत काम का हिस्सा नहीं बने। नतीजतन किसी भी गलत मामले में कानून के शिकंजे में नहीं आए। बातचीत के कुछ अंशः

राजन प्रियदर्शी, पूर्व डायरेक्टर जनरल, एटीएस गुजरात

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः आपके मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में बहुत लोकप्रिय हैं?

उत्तरः हां, वो सबको मूर्ख बना लेते हैं और लोग भी मूर्ख बन जाते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः यहां कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं न? शायद ही कोई अफसर ठीक हो?

उत्तरः बहुत कम ही ऐसे हैं। ये शख्स मुख्यमंत्री पूरे राज्य में मुसलमानों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः जब से मैं यहां आई हूं प्रत्येक व्यक्ति सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की बात कर रहा है?

उत्तरः पूरा देश उस एनकाउंटर की बात कर रहा है। मंत्री के इशारे पर सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति की हत्या की गई थी। मंत्री अमित शाह वह कभी भी मानवाधिकारों में विश्वास नहीं करता था। वह हम लोगों को बताया करता था कि ‘मैं मानवाधिकार आयोगों में विश्वास नहीं करता हूं’। अब देखिये, अदालत ने भी उसे जमानत दे दी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः तो आपने उनके (अमित शाह) मातहत कभी काम नहीं किया?

उत्तरः किया था। जब मैं एटीएस का चीफ था।……….एक दिन उसने मुझे अपने बंग्ले पर बुलाया। जब मैं पहुंचा तो उसने कहा ‘अच्छा, आपने एक बंदे को गिरफ्तार किया है ना, जो अभी आया है एटीएस में, उसको मार डालने का है।’ मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई। तब उसने कहा कि ‘ देखो मार डालो, ऐसे आदमी को जीने का कोई हक नहीं है’। उसके बाद मैं सीधे अपने दफ्तर आया और अपने मातहतों की बैठक बुलाई। मुझे इस बात का डर था कि अमित शाह उनमें से किसी को सीधे आदेश देकर उसे मरवा डालेगा। इसलिए मैंने उन्हें बताया कि मुझे गिरफ्तार शख्स को मारने का आदेश दिया गया है। लेकिन कोई उसे छूएगा भी नहीं। उससे केवल पूंछताछ करनी है। मुझसे कहा गया था। लेकिन मैं उस काम को नहीं कर रहा हूं। इसलिए आप लोग भी ऐसा नहीं करेंगे। आपको पता है जब मैं राजकोट का आईजीपी था तब जूनागढ़ के पास सांप्रदायिक दंगे हुए। मैंने कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। गृहमंत्री (तब गोर्धन झड़पिया थे) ने मुझे फोन किया और पूछा राजनजी आप कहां हैं? मैंने कहा सर मैं जूनागढ़ में हूं। उसके बाद उन्होंने कहा कि अच्छा तीन नाम लिखिए और इन तीनों को गिरफ्तार कर लीजिए। मैंने कहा कि ये तीनों मेरे साथ बैठे हुए हैं और तीनों मुसलमान हैं और इन्हीं की वजह से हालात सामान्य हुए हैं। यही लोग हैं जिन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों को एक दूसरे के करीब लाने का काम किया है। और फिर दंगा खत्म हुआ है। उसके बाद उन्होंने कहा कि देखो सीएम साहिब का आदेश है। तब यही शख्स नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री था। मैंने कहा कि सर मैं ऐसा नहीं कर सकता। भले ही यह सीएम का आदेश ही क्यों न हो। क्योंकि ये तीनों निर्दोष हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः तो क्या यहां की पुलिस मुस्लिम विरोधी है?

उत्तरः नहीं, वास्तव में ये नेता हैं। ऐसे में अगर कोई अफसर उनकी बात नहीं सुनता है तो ये उसे किनारे लगा देते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः वो व्यक्ति जिसको अमित शाह खत्म करने की बात कहे थे क्या वो मुस्लिम था?

उत्तरः नहीं, नहीं, वो उसको किसी व्यवसायिक लॉबी के दबाव में खत्म कराना चाहते थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अशोक नरायन गुजरात के गृह सचिव रहे हैं। 2002 के दंगों के दौरान सूबे के गृह सचिव वही थे। नरायन रिटायर होने के बाद अब गांधीनगर में रहते हैं। वह एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं। साहित्य और धर्मशास्त्र पर उनकी अच्छी पकड़ है। एक कवि होने के साथ ऊर्दू की शेरो-शायरी में भी रुचि रखते हैं। उन्होंने दो किताबें भी लिखी हैं। राना अयूब की अशोक नरायन से दिसंबर 2010 में मुलाकात हुई। इसके साथ ही उन्होंने गुजरात के पूर्व आईबी चीफ जीसी रैगर से भी मुलाकात की थी। पेश है दो विभागों के सबसे बड़े अफसरों से बातचीत के कुछ अंशः

अशोक नरायन, पूर्व गृहसचिव, गुजरात

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः मुख्यमंत्री को इतना हमले का निशाना क्यों बनाया गया? ऐसा इसलिए तो नहीं हुआ क्योंकि वो बीजेपी से जुड़े हुए थे?

उत्तरः नहीं, क्योंकि दंगों के दौरान उन्होंने वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) को सहयोग दिया था। उन्होंने ऐसा हिंदू वोट हासिल करने के लिए किया था। जैसा हुआ भी। जो वो चाहते थे वैसा उन्होंने किया और वही हुआ भी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः क्या उनकी भूमिका पक्षपातपूर्ण नहीं थी? (गोधरा कांड के संदर्भ में)

उत्तरः वो गोधरा की घटना के लिए माफी मांग सकते थे। वो दंगों के लिए माफी मांग सकते थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः मुझे बताया गया कि मोदी ने एक पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाई थी उन्होंने उकसाने का काम किया था। जैसे कि गोधरा से लाशों को अहमदाबाद लाना। और इसी तरह के कुछ दूसरे फैसले।

उत्तरःमैंने एक बयान दिया था जिसमें मैंने कहा था कि वही एक शख्स हैं जिन्होंने गोधरा ट्रेन कांड की लाशों को अहमदाबाद लाने का फैसला लिया था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः इसका मतलब है, फिर सरकार आप के खिलाफ हो गई होगी?

उत्तरः देखिए, शवों को अहमदाबाद लाना आग में घी का काम किया। लेकिन वही शख्स हैं जिन्होंने ये फैसला लिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः राहुल शर्मा का क्या मामला है?

उत्तरः वो विद्रोहियों में से एक हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः क्या मतलब?

उत्तरः उन्होंने किसी की सहायता नहीं की। वो केवल दंगों को नियंत्रित करना चाहते थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः क्या उन्हें भी किनारे लगा दिया गया?

उत्तरः उनका तबादला कर दिया गया। तबादले के खिलाफ डीजीपी के विरोध, चक्रवर्ती के विरोध और इन दोनों की राय से मेरी सहमति के बावजूद ऐसा किया गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः सिर्फ इसलिए क्योंकि वो मुख्यमंत्री के खिलाफ गए थे?

उत्तरः निश्चित तौर पर।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः एनकाउंटरों के बारे में आप का क्या कहना है?

उत्तरः एनकाउंटर धार्मिक आधार पर कम राजनीतिक ज्यादा होते हैं। अब सोहराबुद्दीन मामले को लीजिए। वो नेताओं के इशारे पर मारा गया था। उसके चलते अमित शाह जेल में हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जी सी रैगर, पूर्व इंटेलिजेंस हेड, गुजरात

प्रश्नः यहां एनकाउंटरों का क्या मामला है? उस समय आप कहां थे?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः मैं कई लोगों में से एक था। एक अपराधी (सोहराबुद्दीन) एक फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया। इसमें सबसे मूर्खतापूर्ण बात ये रही कि उन्होंने उसकी पत्नी को भी मार दिया।

प्रश्नः इसमें कोई मंत्री भी शामिल था?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः गृहमंत्री अमित शाह।

प्रश्नः उनके मातहत काम करना बड़ा मुश्किल भरा रहा होगा?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः हम उनसे सहमत नहीं थे। हम उनके आदेशों का पालन करने से इनकार कर देते थे। यही वजह है कि एनकाउंटर मामलों में गिरफ्तारी से हम बच गए। यह शख्स (सीएम) बहुत चालाक है। वो हर चीज जानता है। लेकिन एक निश्चित दूरी बनाए रखता है। इसलिए वह इसमें (सोहराबुद्दीन मामले में) नहीं पकड़ा गया।

प्रश्नः मोदी जी से पहले एक मुख्यमंत्री थे केशुभाई पटेल। वो कैसे थे?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः मोदी जी की तुलना में वो संत थे। मेरा मतलब है कि केशुभाई जानबूझ कर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहेंगे। उसका जो भी धर्म हो। कोई मुस्लिम है इसलिए उसे परेशान किया जाएगा। ऐसा नहीं था।

प्रश्नः वास्तव में मैं पीसी पांडे से भी मिली।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः ओह, वो पुलिस कमिश्नर थे।

प्रश्नः अच्छा, तो आप दोनों दंगे के दौरान एक साथ काम कर रहे थे?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः हां, हमें करना पड़ा। मैं आईबी चीफ था।

प्रश्नः दूसरे जिन ज्यादातर अफसरों से मैं मिली उनका कहना था कि पांडे पर सीएम बहुत भरोसा करते हैं। और दंगों के दौरान अपने सारे काम उन्हीं के जरिये कराये थे?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः अब, आपको दंगों के बारे में हर चीज पता ही है। (हंसते हुए) ‘आप जानती हैं ये हरेन पांड्या मामला एक ज्वालामुखी की तरह है। एक बार सच्चाई सामने आने का मतलब है कि मोदी जी को घर जाना पड़ेगा। वो जेल में होंगे’।

हरेन पांड्या हत्याकांड का सच…. तब के गुजरात के डीजीपी के चक्रवर्ती और मुख्यमंत्री के चहते अफसर पीसी पांडे से राना अयूब की बातचीत के कुछ अंशः

Advertisement. Scroll to continue reading.

के चक्रवर्ती, पूर्व डीजीपी गुजरात

प्रश्नः क्या वो (सीएम मोदी) सत्ता का भूखा है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः हां

प्रश्नः तो क्या प्रत्येक चीज और हर व्यक्ति पर विवाद है वो दंगे हों या कि एनकाउंटर?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः हां, हां। एक गृहमंत्री भी गिरफ्तार हुआ था।

प्रश्नः सभी अफसर उसे नापसंद करते थे?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः हां, हां। प्रत्येक व्यक्ति उससे नफरत करता था। अमित शाह को बचाने के लिए पूरा संगठित प्रयास किया जा रहा था। इस काम में नरेंद्र मोदी के साथ तब के राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने 27 सितंबर 2013 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखा था- “अपनी गिरती लोकप्रियता के चलते कांग्रेस की रणनीति बिल्कुल साफ है। कांग्रेस बीजेपी और नरेंद्र मोदी से राजनीतिक तौर पर नहीं लड़ सकती है। उसको हार सामने दिख रही है। खुफिया एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल के जरिये वो गलत तरीके से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तब के गृहमंत्री अमित शाह और दूसरे बीजेपी नेताओं को गलत तरीके से फंसाने की कोशिश कर रही है।”

पीसी पांडे, 2002 में पुलिस कमिश्नर, अहमदाबाद, मौजूदा समय में डीजीपी, गुजरात

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः लेकिन देखिये, मोदी को मोदी दंगों ने बनाया। यह सही बात है ना?

उत्तरः हां, उसके पहले मोदी को कौन जानता था? मोदी कौन था? वो दिल्ली से आए। उसके पहले हिमाचल में थे। वो हरियाणा और हिमाचल जैसे मामूली प्रदेशों के प्रभारी थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः यह उनके लिए ट्रंप कार्ड जैसा था। सही कहा ना?

उत्तरः बिल्कुल ठीक बात….अगर दंगे नहीं होते वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं जाने जाते। उसने उन्हें मदद पहुंचाई। भले नकारात्मक ही सही। कम से कम उन्हें जाना जाने लगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रश्नः तो आप इस शख्स को पसंद करते हैं?

उत्तरः मेरा मतलब है हां, इस बात को देखते हुए कि 2002 के दंगों के दौरान मैं उनके साथ था। इसलिए ये ओके है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

वाई ए शेख, हरेन पांड्या हत्या मामले में मुख्य जांच अधिकारी

प्रश्नःये हरेन पांड्या मामला है क्या?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः आप जानती हैं ये हरेन पांड्या मामला एक ज्वालामुखी की तरह है। एक बार सच्चाई सामने आने का मतलब है कि मोदी जी को घर जाना पड़ेगा। वो जेल में होंगे।

प्रश्नः इसका मतलब है कि सीबीआई ने अपनी जांच नहीं की?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः उसने केवल मामले को रफा-दफा किया। उसने गुजरात पुलिस अफसरों के पूरे सिद्धांत पर मुहर लगा दी। सीबीआई अफसर सुशील गुप्ता ने गुजरात पुलिस की नकली कहानी पर मुहर लगा दी। गुप्ता ने सीबीआई से इस्तीफा दे दिया। अब वो सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे हैं। वो रिलायंस के वेतनभोगी हैं। उनसे पूछिए उन्होंने क्यों सीबीआई से इस्तीफा दिया। वो सुप्रीम कोर्ट में बैठते हैं। उनसे मिलिए।

प्रश्नः क्या ये एक राजनीतिक हत्या है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः प्रत्येक व्यक्ति शामिल था। आडवानी के इशारे पर मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। क्योंकि वो नरेंद्र मोदी के संरक्षक थे। इसलिए उन्हें पाक-साफ साबित करने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल किया गया। मेरा मतलब है कि लोग स्थानीय पुलिस की कहानी पर विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन सीबीआई की कहानी पर भरोसा कर लेंगे।

प्रश्नः उसमें किसकी भूमिका थी? बारोट या वंजारा?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः सभी तीनों की। बारोट कहीं और था और चुदसामा को डेपुटेशन पर ले आया गया था। उन्हें चुदसामा मिल गया था। इस एनकाउंटर में पोरबंदर कनेक्शन भी है। ये एक ब्लाइंड केस है।

प्रश्नः सीबीआई ने इसको क्यों हाथ में लिया?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उत्तरः सीबीआई ने इस केस में मोदी को बचाने का काम किया।

साभारः गुजरात फाइल्स

Advertisement. Scroll to continue reading.

अनुवाद- महेंद्र मि‍श्र

Advertisement. Scroll to continue reading.
6 Comments

6 Comments

  1. dilshan

    July 13, 2016 at 8:11 pm

    Mishra saheb ka anuwad padhney ke baad mujhe bhi ab kissi Ubhartey Shakhsh par ek “File” taiyyar kerney ka shaukh ho gaya hai.
    Rana Ayyub saheb ne kitna sach likha hai, ye samajh se parey hai. Itney saalon baad unka Ye file ab “Prakat” hua hai, wo bhi UP chunav se pahle, thodi si election ki boo aa rahi hai. Rana sab ne Gujrat Dangon ke baarey me khub masala taiyyar kiya, lekin ye bhi to jatey-2 bataa dete ki Akhir ye Dangaa hua kyon? Dangey se pahley “Zindaa Logon ko Train me Jala diya gaya”, thoda unka bhi zikra ker dete to unki lekhni me painapan aa jata.

  2. रामलाल

    July 14, 2016 at 3:44 am

    मोदी अगर मुर्ख बनाता है तो साले कांग्रेसियों ने 70 साल में क्या किया। कम से कम मोदी ने देश का मान तो बढ़ाया। बाकियों ने तो रग ही मारी देश की

  3. S CHAUHAN

    July 14, 2016 at 4:02 am

    सच्चाई

  4. vinay hindustani

    July 14, 2016 at 5:16 pm

    बोतल में बंद गुजरात दंगों के जिन्न को दोबारा ढक्कन खोलकर गुजरात फाइल्स के रूप में निकालकर राणा अय्यूब ने शायद नमक हलाली की है। करना भी चाहिए नमक की कीमत जरूर अदा करनी चाहिए। न मालूम कितना और कितनी कीमत का नमक होगा? खैर, गुजरात दंगों के नाम पर इस देश में बहुतों ने मोटा माल काटा है, इस बात को हर कोई समझता है, हमारे भड़ास४मीडिया के यशपाल बाबू भी बखूबी जानते होंगे। एंटी-मोदी एजेंडे के साथ कितनों ने न जाने कितना ही फंड इकट्ठा कर लिया। तीस्ता का मामला सुप्रीम में चल ही रहा है, जिसमें दंगा पीड़ितों की सहायता राशि को सफाई से हजम करने का आरोप है उन पर। बात राणा अय्यूब की। बड़ा सवाल, क्या वाकई इस विषय पर लिखने में उन्हें करीब चौदह साल लग गए? या फिर टाइम लाइन में कुछ खास बात है? सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्लीन चिट मिलने के बावजूद इस एंटी-मोदी जमात के सपनों में अभी भी मोदी का ही जलवा है। ताज्जुब है शीर्ष अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद भी यह जमात अभी भी मोदी को कटघरे में खड़ा करना चाहती है। सत्य को लेकर इन पत्रकारों, लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की इतनी शिद्दत काश पिछले सत्तर सालों में भी नजर आती? मोदी की हुकूमत का इन्हें अब भी भरोसा नहीं है। गाहे-बगाहे मोदी की भद्द पिटने का मौका तलाशते हैं। खैर, इनकी रोजी-रोटी शायद इसी से चलती होगी। जनता सब जानती है। राणा अय्यूब जैसों के चेहरे का नक़ाब उतर चुका है।

  5. श्रीराम

    September 19, 2018 at 1:00 pm

    मुझे लगता है अगर मोदी जी का हाथ होता ना तो गुजरात आतंकवादी मुक्त राज्य होता पर ऐसा नही है उन्होंने तो शायद बचाया था । और ये उतने सीधे नही जितना मीडिया दिखाता है सब से ज्यादा दंगे फसाद ये ही फैलाते है दूसरे देशों में देखो कैसा गंद मचा रखा है। गोधरा में इन्होंने हमारे भाई लोगो को जला कर मार दिया शर्म आती है इनकी सोच पर।

  6. Sukh Vir Singh

    March 23, 2022 at 10:20 pm

    I want book pleas sand in hindi

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement