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सुख-दुख

चार माह तक Z सुरक्षा में घूमने वाला गुजराती फ्रॉड गिरफ़्तार तो हो गया लेकिन असली कहानी कौन बताए…

पंकज चतुर्वेदी-

किरण पटेल की कश्मीर में गिरफ्तारी महज खुफिया या सुरक्षा लापरवाही नहीं हैं, यह एक साजिश है और लगता है कि ख़ुफ़िया एजेंसी के “यूज एंड थ्रो ” के साथ साथ इसमें भी अदानी एंगल है .
किरण पटेल पुत्र जदेश भाई पटेल, निवासी अहमदाबाद की गिरफ्तारी हुई तीन मार्च को और उसे उजागर नहीं किया गया . जब उसकी रिमांड बढ़ने की बात आई और वकील अदालत में आया तो 15 दिन बाद गिरफ्तारी की बात कही गई .
किरण पटेल के साथ आये गुजरात के दो लोग – अमित हीतेश पांड्या और जय सितापरा व् गुजरात के त्रिलोक सिंह को बुलाया और उन्हें छोड़ दिया- इसकी चर्चा भी नहीं हुई .

किरण पटेल की धोखा धड़ी की हिस्ट्री है , उस पर 7 अगस्त २०१९ को रावतपुरा बड़ोदा में मुकदमा क्रमांक ००६४/19 दर्ज हुआ जिसकी धारा है – ११४, २९४, ४०६, ४२०, ५०७ . नरोदा पाटिया थाने में २४ फरवरी २०१७ को केस दर्ज हुआ और इसमें भी दफा ४२० के साथ ४०६, १२० बी है . अरावली के बयाद थाने में 22 अगस्त २०१८ को दर्ज केस में फिर से दफा ४२० ,४०६ और १२० बी है .

गिरफ्तार किरण की पत्नी मालिनी डाक्टर है और उनका दावा है कि उसके पति को सरकार ने दक्षिणी कश्मीर में सेब के बागान खरीदने के लिए पार्टियों को चिन्हित करने हेतु अधिकृत किया था . जब पटेल ने कुछ ताक़तवर नातों और ब्यूरोक्रेट को खरीदारों की लिस्ट से हटा दिया तो उसके खिलाफ एक लॉबी काम करने लगी , समझना होगा कि हिमाचल में सेब पर कब्ज़ा करने के बाद अदानी समूह की निगाहें कश्मीर के सेब बागान पर है. धारा ३७० हटने के बाद वहां की जमीनें खरीदने में मिली छूट का फायदा ऐसे ही व्यापारिक घरानों को मिला है .

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किरण पटेल पहली बार 27 अक्तूबर को कश्मीर गया था, वह बारामुला. शोपिय, पुलवामा के साथ साथ भारतीय सेना की अंतिम चौकी उडी भी गया , जान लें किसी को विशेष सुरक्षा प्रदान करने और गाड़ियों का काफिला देने के लिए राज्य के मुख्य सचिव तक फाइल जाती है , आश्चर्यजनक तरीके से किरण पटेल की फाइल कहीं नहीं गई .

मामला बहुत गड़बड़ है , ठीक उसी समय दिल्ली में भी एक साल से चल रहे एक ऐसे ट्रेनिगं सेंटर पर छापा पड़ा जहां विजिलेंस और सीक्रेट मिशन की ट्रेनिंग चल रही थी, कई युवा वहां थे जिन्हें कोई वेतन भी दे रहा था.

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रामजी तिवारी- चार महीने एक आदमी सभी को चकमा देता रहा। जेड सुरक्षा मे घूमता रहा। आश्चर्य जनक तो है ही, देश की सुरक्षा के लिए भयानक भी है।


नवनीत चतुर्वेदी-

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इंसान चाहे कितना भी बड़ा शातिर ठग हो वो इतना बड़ा कांड करने की जुर्रत नहीं कर सकता क्यूंकि सरकार के किसी भी मंत्रालय में कौन कौन अधिकारी है उनका नाम लिस्ट सब वेबसाइट पर रहता है, PMO का भी वेबसाइट अपडेट रहता है. अतः यह कहना मूर्खता होगी कि किरण भाई पटेल आए औऱ कश्मीर सरकार ने उनका विजिटिंग कार्ड देख कर उन्हें Z सुरक्षा गाडी होटल प्रोटोकॉल सब दे डाला होगा.

यदि पुलिस अधीक्षक अपने स्तर पर एक कांस्टेबल भी सिक्योरिटी में बतौर गनर देता है तो उसके भी कागज तैयार होते हैं औऱ कई जगह mark होता है वो कागज. यहां तो Z सुरक्षा दे दी गई औऱ अमित शाह जी के गृह मंत्रालय को महीनों तक खबर न लगे, असम्भव है नामुमकिन है.

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किरण भाई पटेल को शर्तिया जेम्स बांड या किसी अन्य सरकारी एजेंसी ने यहां किसी खास एजेंडे के तहत प्लांट किया होगा,, पिछले 5-7 सालों में मेरी जानकारी अनुसार हरेक मुख्यमंत्री ऑफिस में निजी स्टॉफ व राजनीतिक नियुक्तियां बतौर एडवाइजर निदेशक इत्यादि designation के साथ की जा रही है, यही स्थिति पीएमओ व अन्य कई मंत्रालय में देखी जा सकती है.

किरण भाई पटेल को किसी खास मकसद से वहां प्लांट किया गया होगा, औऱ अब काम निकलने के बाद या भांडा फूटने के बाद उसको बलि का बकरा बना दिया होगा.

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Note.. मैने आज twitter पर किरण पटेल की कई videos देखें, उनमें बंदे का बॉडी लैंग्वेज गजब कॉन्फिडेंस वाला नजर आया,, यदि गलती से भी हम बिना टिकट ट्रैन में घुस जाए तो अंदर बैठते हुए भी घबराहट होती है, बिना टिकट यात्री हर समय डरा सहमा TT से नजरें चुराए रहता है.. लेकिन यहां पटेल साहब का कॉन्फिडेंस लेवल वाकई उच्च स्तर का था.. मेरी अपनी राय मुताबिक इस बेचारे बंदे को अब बलि का बकरा एजेंसीज ने बना डाला है.. वैलेंटाइन डे तक इसने कश्मीर में सेलिब्रेट किया है इसके साथ जो इसकी बीवी/गर्लफ्रेंड जो भी होगी उसके चेहरे पर भी सब कुछ सामान्य नजर आ रहा था. इस कहानी के पीछे का सत्य आना बहुत जरुरी है.


मूल खबर-

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PMO का अफसर बता कश्मीर में Z सिक्योरिटी और 5 स्टार सुविधा पाने वाले किरण पटेल फ्राड हैं?


संजय कुमार सिंह-

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किरण पटेल के ठग होने पर भी यकीन करना मुश्किल है… किरण पटेल के विजिटिंग कार्ड, सोशल मीडिया पर पोस्ट और तस्वीरों से नहीं लगता है कि वह ठग होगा। सरकारी अंदाज में अशोक स्तंभ के साथ छपे उसके कार्ड पर दो मोबाइल नंबर और विज्ञान भवन के पास मीना बाग में आवास का पता अगर गलत नहीं है तो यह पीएचडी धारी ठग नहीं भी हो सकता है। किसलिए प्लांट किया गया था और योजना (उसकी या प्लांट करने वाले की) क्या थी यह शायद कभी पता ही नहीं चले। वैसे भी, सरकार की प्राथमिकता राहुल गांधी से माफी मंगवाना है। जय जय।

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