समस्तीपुर जिले का, सुर्खियों में रहने वाला, शिक्षण संस्थान ‘गुरूकुल’ उत्तर बिहार में स्थापित अखबारों को विज्ञापन देकर सींचने के लिए मशहूर है. गुरूकुल द्वारा एक वित्तीय वर्ष में विज्ञापनबाजी के पीछे दो से तीन करोड़ रूपये खर्च किये जाते हैं. विज्ञापन के भारी बजट के कारण ही ‘गुरूकुल’ मीडिया हाउसों के लिए ‘हॉट केक’ बना रहता है. इस शिक्षण संस्थान में तकरीबन 10 हजार छात्र-छात्राएं प्रतिदिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने आते हैं. इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को नियंत्रित करने के दौरान प्रबंधन से जुड़े कर्मियों द्वारा बल प्रयोग किये जाने को लेकर हाल के दिनों में उपजे विवाद से इन दिनों मीडिया मंडी में हलचल मची है.
बिहार का एक लीडिंग अख़बार जिसे पूर्व में ‘गुरूकुल’ से करोड़ों का बिजनेस मिलता था इन दिनों हाथ धोकर इस संस्थान के पीछे पड़ा गया है. बिहार की अख़बार मंडी में बादशाह की हैसियत रखनेवाले बैनर के विज्ञापन के लिए किसी संस्थान को घेरने की कार्यप्रणाली को लेकर लोग हैरत में है. मुख्य मुद्दा यह है कि गुरूकुल का विज्ञापन पाने हेतु सभी प्रमुख अखबार के ब्यूरो प्रमुखों में होड़ लगी रहती है. जिले में दूसरे और तीसरे पायदान पर रहनेवाले अखबारों को गुरूकुल प्रबंधन द्वारा विज्ञापन देकर संतुलित रखा जाता है लेकिन लीडिंग अखबार को विज्ञापन से वंचित कर दिये जाने से वहां खलबली मची है.
लीडिंग अखबार को समस्तीपुर कार्यालय के लिए एक कुशल टीम लीडर नहीं मिल पाने के कारण न सिर्फ विज्ञापन बल्कि समाचार के स्तर में भी गिरावट आती जा रही है लेकिन मुजफ्फरपुर यूनिट की टीम द्वारा इसे नजरअंदाज कर अपनी-अपनी नौकरी बचाने की मानसिकता से कर्तव्यों का निर्वहन किया जा रहा है. लीडिंग अखबार को मुजफ्फरपुर यूनिट की इस उदासीनता के चलते न सिर्फ व्यवसायिक हानि हो रही बल्कि अन्य अखबार की तुलना में कमजोर प्रदर्शन के चलते पाठकों का भी इस अखबार से मोहभंग होता जा रहा है.
बता दें कि पिछले वर्ष विज्ञापन के लिए ‘दैनिक जागरण’ के स्थानीय नेतृत्व के ब्लैकमेलर वाली माससिकता और कार्यप्रणाली को लेकर अखबार की काफी फजीहत हुई थी। लेकिन जागरण प्रबंधन ने मामले को गंभीरतापूर्वक लिया और सकारात्मक कदम उठाते हुए दोषियों पर कार्रवाई करते हुए अपनी इज्जत बचाई थी. इसी का परिणाम है कि जागरण ग्रुप पर इन दिनों गुरूकुल प्रबंधन की विज्ञापनरूपी कृपा बरस रही है. इसी तरह प्रभात खबर पर भी कृपा बनी है लेकिन जागरण से थोड़ी कम. दूसरे और तीसरे पायदान के अखबारों की हो रही खिदमत के बीच एक नंबर की लोकप्रियता वाला अखबार मूकदर्शक होकर तमाशाबीन बना हुआ है.
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
रवि यादव
September 12, 2014 at 4:59 pm
समस्तीपुर के मीडिया जगत में कुछ भी हुआ तो मीडिया पर कब्जा जमाए उच्च वर्ग के लोग अकेला यादव पत्रकार मंगलम जी का नाम घसीट कर उन्हे बदनाम करने की कोशिश से बाज नहीं आते, लग रहा है अब उन्हे मुजफ्फपुर से भी हटाने की साजिश चल रही है गुरुकुल से उनका कैसा संबंध था समस्तीपुर जानता है जब वे समस्तीपुर में प्रभारी थे तो उन्हे हटाने के लिए गुरुकुल ने उच्च वर्ग पत्रकारों की गोलबंदी की थी। जिसमें एक मुसलिम पत्रकार भी शामिल था। उनको हटाने के लिए गुरुकुल ने काफी रुपये खर्च किए थे। लेकिन हिन्दुस्तान प्रबंधन इस बात को समझ नहीं पाया।
कंजनी
September 10, 2014 at 1:47 pm
अखबार को सहायता करने में गुरुकुल हमेशा से आगे रहा है। शहर में चर्चा है कि समस्तीपुर ब्यूरो चीफ बदले तो गुरुकुल हिन्दुस्तान को फिर से विज्ञापन देगा।
मदन
September 10, 2014 at 2:16 pm
गुरुकुल का निर्णय सही है जो अखबार शहर में तीसरे नंबर पर आ गया है उसे विज्ञापन देकर क्या फायदा
Salin
September 11, 2014 at 7:39 am
jo na karawe manglam ji….
amrita
September 11, 2014 at 10:05 am
bearo chief ke liye kayi log hai katar me …….katar me khare log phaila rahe hai…bharam…….manglam the to unki shikayat…..ab brajmohan hai …to unki shikayat….shatish aye to unhe hatwaya……..a bhai ye sab chalta hi rahata hai……
santosh
September 15, 2014 at 12:57 am
kuch bhi ho nuksan to Hindustan ka ho rha h
Student Union
September 16, 2014 at 8:35 am
तेल लगाये जा, तेल लगाये जा गरुकुल के गुण गाये जा. जय गुरुकुल टाइम्स, जय गुरुकुल एक्सप्रेस. जय हो पैसा जय हो पैसे की ताकत.
sunil bharti
February 17, 2015 at 2:38 pm
guruku bigyapan dekar media
ko karidta hai taki gurukul ka koi burai na kare ,aur jatibad jadya hota hai gurukul ke god me baitha hai samstipur ke media