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अधिकारियों के पीछे हटने से ‘खबरें अभी तक’ चैनल की हड़ताल टूटी

आखिरकार, “खबरें अभी तक”चैनल का वही हुआ, जिसका अंदेशा था। दो दिनो तक हड़ताल में शामिल होने के बाद चैनल के अधिकारियों ने दांव खेल दिया। प्रबंधन से कथित सांठ-गांठ कर आउटपुट हेड नितेश सिन्हा, इनपुट हेड मनीष मासूम, आउटपुट डिप्टी हेड पंकज कुमार आदि हड़ताल से पीठ दिखा गए। इससे पूर्व एडिर-इन-चीफ उमेश जोशी प्रबंधन से हिसाब-किताब निपटाकर संस्थान से अलग हो चुके हैं। मजबूरी वश अब बाकी आंदोलनकारियों ने भी समझौते का मूड बना लिया है।

<p>आखिरकार, "खबरें अभी तक"चैनल का वही हुआ, जिसका अंदेशा था। दो दिनो तक हड़ताल में शामिल होने के बाद चैनल के अधिकारियों ने दांव खेल दिया। प्रबंधन से कथित सांठ-गांठ कर आउटपुट हेड नितेश सिन्हा, इनपुट हेड मनीष मासूम, आउटपुट डिप्टी हेड पंकज कुमार आदि हड़ताल से पीठ दिखा गए। इससे पूर्व एडिर-इन-चीफ उमेश जोशी प्रबंधन से हिसाब-किताब निपटाकर संस्थान से अलग हो चुके हैं। मजबूरी वश अब बाकी आंदोलनकारियों ने भी समझौते का मूड बना लिया है।</p>

आखिरकार, “खबरें अभी तक”चैनल का वही हुआ, जिसका अंदेशा था। दो दिनो तक हड़ताल में शामिल होने के बाद चैनल के अधिकारियों ने दांव खेल दिया। प्रबंधन से कथित सांठ-गांठ कर आउटपुट हेड नितेश सिन्हा, इनपुट हेड मनीष मासूम, आउटपुट डिप्टी हेड पंकज कुमार आदि हड़ताल से पीठ दिखा गए। इससे पूर्व एडिर-इन-चीफ उमेश जोशी प्रबंधन से हिसाब-किताब निपटाकर संस्थान से अलग हो चुके हैं। मजबूरी वश अब बाकी आंदोलनकारियों ने भी समझौते का मूड बना लिया है।

पता चला है, जोशी यह कहते हुए आंदोलित मीडिया कर्मियों को धमका गए हैं कि आंदोलन से कुछ नहीं होता है। आंदोलनकारियों ने बताया है कि यही वे लोग हैं, जो अपना परिवार संभालने के लिए पत्रकारों को बदनाम कर रहे हैं। 

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आंदोलित मीडिया कर्मियों ने बताया कि नितेश सिन्हा ने ही आंदोलन में सबसे पहले अपनी चाणक्य नीति अपनाकर पल्ला झाड़ा है। उन्होंने शोशा उड़ा दिया है कि सारा खेल मेरा है तो मुझे मीडिया में जॉब कौन देगा। आंदोलनकारियों का कहना है कि वह इतने ही पाक साफ होते तो आंदोलन को ऐसे धोखा न देते। ईमान-धर्म थोड़ा भी बचा होता तो वह पीठ दिखाकर आंदोलन से भागते नहीं। इससे सिद्ध हो गया है कि उन्होंने प्रबंधन की जानकारी में चुपचाप रची गई रणनीति के तहत आंदोलन को झटका दिया है।

बताया गया है कि इनपुट हेड मनीष मासूम भी अपने परिवार के गुजर-बसर का वास्ता देकर आंदोलन छोड़ गए हैं। आंदोलनकर्मी उनसे पूछ रहे हैं कि जो लोग पुर्नगठन के नाम पर चैनल से निकाले गए हैं, क्या उनके परिवार नहीं? उसी साजिश के तहत पंकज कुमार ने भी आंदोलन से पीछे हटने का फैसला कर लिया। अंदेशा जताया जा रहा है, शायद उन्हें भी खोपचे मालिक से मनीष और नितेश की तरह माल पानी मिल चुका है। अब “खबरें अभी तक” के बाकी बचे कर्मचारियों ने भी न्याय की आस खोकर समझौते का मन बना लिया है। 

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(लेखक संपर्क : फोन-7838576677/9968947221 ईमेल[email protected])

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0 Comments

  1. purana krami

    March 24, 2015 at 12:57 pm

    जो हुआ वह ठीक नही हुआ …मीडिया की यही स्थिति मीडिया से लोगो का विस्वास हटा रही है

  2. दीपक सिंह

    March 24, 2015 at 1:59 pm

    मीडिया की हलात के लिए चाटुकार लोग ही जिम्मेदार है …जो अपने कआम के लिए छोटे कर्मियो को बली चढ़ा देते है..

  3. राज आनंद

    March 24, 2015 at 3:49 pm

    नीतेश सिन्हा एक नंबर का चोट्टा है..यह बहुत घटिया आदमी है..आज खबरें अभी तक की जो हालत हुई है..उसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार वही है…अजगर की तरह दिखेगा सीधा..लेकिन अंदर से एक नंबर का पाजी है..वैसे सुदेश अग्रवाल का दोष इतना ही है कि उन्होंने सबसे पहले दलाल नंबर एक विनोद मेहता को चैनल का पार्टनर बनाया। उसने सब्जबाग दिखाया कि वह सुदेश को बड़ा नेता बना देगा। विनोद ने अजय झा को रखा…जो सौभाग्य से गल्फन्यूज के संवाददाता है। लेकिन अव्वल तो रीढ़हीन आदमी है और टीवी का टी भी नहीं आता। उनको नीतेश सिन्हा ने साध लिया…बिहारवाद के नाम पर…फिर दोनों अपना उल्लू सीधा करते रहे। नीतेश को शब्दों तक का ज्ञान नहीं है। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो चुतिया नंबर एक है। सुदेश अग्रवाल को दो लोगों ने समझाने की कोशिश की तो उन्हें भी लगता था कि ये ही सब सही है। खैर…नीतेश के खिलाफ अभियान चलाना होगा कि मीडिया में उसे कहीं नौकरी न मिले।

  4. ravinder_riaz

    March 24, 2015 at 5:45 pm

    खैर हमें अब ये सब बातें करने का कोई फ़ायदा नहीं है। भारत में शरेआम पत्रकारों का बीच शहर में शोषण किया जा रहा है, ये सरासर गलत है एक दिन इसका अंजाम बड़ा खतरनाक साबित होगा।

  5. kuwar pawan

    March 24, 2015 at 7:39 pm

    क्षेत्रवाद फैलाने और अपने चम्पुओं से तेल लगवाने में नितेश सिन्हा अब्बल था पर उमेश जोशी मनीष मासूम सब इसी रह पर चलते थे।सालो ने योग्यता से नही चमचागिरी से सफलता पायी।ऐसे चमचो और मीडिया को कलंकित करने वालो को कही नौकरी न मिले तभी भड़ास और तमाम मीडिया वालों का मिशन सफल होगा।हम सब संकल्प ले की जसंकल्प ले की इन मीडिया के दलालो की नौकरी कही नहीं लगने देगे।ये जहाँ भी जाए इनका इतिहास वहा हैम सब पहचाये।तभी मीडिया पर लग रहे दागों को धोया जा सकेगा।और मीडिया की सफाई होगी।यशवंत की को इतनी खास क़ब्रेज देने और अडिग रहने के लिए बहुत बहुत आभार और इस लेख के अलावा पिछले लेखो के लेखको को सैल्यूट मिडिया को स्वच्छ करने में उनके योगदान के लिए

  6. santosh

    March 24, 2015 at 8:00 pm

    बेबाक और हकीकत को ब्यान करने के लिए बड़ा जिगर चाहिए।लेखक को भड़ास फोर मीडिया और यशवंत जी को मेरा भी सलाम।कम से कम कोई तो मीडिया वालो की आवाज उठता है।सबकी आवाज उठाने वाले मीडिया पर्सन के हितों के इस आंदोलन में आपकी विजय हो। हम भी आपके साथ है।

  7. yadav

    March 25, 2015 at 12:15 am

    Chor hai sab. Nitesh sinha to topper hai in sab me.

  8. Rajiv Ranjan

    March 25, 2015 at 3:10 am

    मीडिया में 80 परसेंट से जयादा लोग बड़ा ओहदा प्राप्त करने के बाद दलाली करने हे लगते है ये उसी का नमूना है ये |

  9. Rajiv Ranjan

    March 25, 2015 at 3:16 am

    मीडिया में 80 परसेंट से ज्यादा वैसे लोग है जिन्हें मौका मिलते ही दलाली का काम
    शरू कर देते है | ये उसी का नमूना है|

  10. anupam banerjee

    March 25, 2015 at 3:53 am

    Its a shameful example.
    Higher management should back up their counter parts.
    If we want to see tha change we must bring that change in our self first.

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