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सियासत

मेरा जन्मदिन: हैप्पी बर्थडे टू मी

मेरे जन्मदिन (26 जून) पर कुछ मित्रों ने बधाइयाँ दीं मैं उन सभी का आभारी हूँ। पापड़ बेलकर जीवन जीते हुए कितने वसन्त बीत गए इसका खुलासा तो नहीं करूँगा, फिर भी आगामी वसन्त में जीवन के इस नए वर्ष में देखने हेतु पापड़ बेलने के लिए तैयार हूँ। ईश्वर को भी धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूँगा, यदि उसने पैदा न किया होता तो यह स्थिति उत्पन्न ही न होती। बधाई देने वालों के औपचारिक प्रेम भाव को देखकर मुझे कुछ फिल्मी तराने याद आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह मुझे ही याद आते होंगे, मेरी उम्र के जितने भी लोग हैं और घर के किसी कोने में झिलंगही खटिया पर सोये परिवार के लिए भार स्वरूप होंगे वे भी इस तरह के गीत-गानों को जरूर याद करते होंगे-

<p>मेरे जन्मदिन (26 जून) पर कुछ मित्रों ने बधाइयाँ दीं मैं उन सभी का आभारी हूँ। पापड़ बेलकर जीवन जीते हुए कितने वसन्त बीत गए इसका खुलासा तो नहीं करूँगा, फिर भी आगामी वसन्त में जीवन के इस नए वर्ष में देखने हेतु पापड़ बेलने के लिए तैयार हूँ। ईश्वर को भी धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूँगा, यदि उसने पैदा न किया होता तो यह स्थिति उत्पन्न ही न होती। बधाई देने वालों के औपचारिक प्रेम भाव को देखकर मुझे कुछ फिल्मी तराने याद आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह मुझे ही याद आते होंगे, मेरी उम्र के जितने भी लोग हैं और घर के किसी कोने में झिलंगही खटिया पर सोये परिवार के लिए भार स्वरूप होंगे वे भी इस तरह के गीत-गानों को जरूर याद करते होंगे-</p>

मेरे जन्मदिन (26 जून) पर कुछ मित्रों ने बधाइयाँ दीं मैं उन सभी का आभारी हूँ। पापड़ बेलकर जीवन जीते हुए कितने वसन्त बीत गए इसका खुलासा तो नहीं करूँगा, फिर भी आगामी वसन्त में जीवन के इस नए वर्ष में देखने हेतु पापड़ बेलने के लिए तैयार हूँ। ईश्वर को भी धन्यवाद ज्ञापित करना चाहूँगा, यदि उसने पैदा न किया होता तो यह स्थिति उत्पन्न ही न होती।

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बधाई देने वालों के औपचारिक प्रेम भाव को देखकर मुझे कुछ फिल्मी तराने याद आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह मुझे ही याद आते होंगे, मेरी उम्र के जितने भी लोग हैं और घर के किसी कोने में झिलंगही खटिया पर सोये परिवार के लिए भार स्वरूप होंगे वे भी इस तरह के गीत-गानों को जरूर याद करते होंगे-

दुनिया में गर आए हैं, तो जीना ही पड़ेगा।
जीवन है अगर जहर, तो पीना ही पड़ेगा।।

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दोस्तों! मैं परिस्थितियों का मारा जरूर हूँ, फिर भी आत्महत्या नहीं करूँगा, क्योंकि इससे बड़ा कोई अपराध नहीं होता है। ऐसा करने वाले को ईश्वर भी माफ नहीं करता। मैं ईश्वर से डरता हूँ। मैं पापड़ बेलते हुए जीवन काट रहा हूँ, मुझे किसी से कोई गिला-शिकवा नहीं।

‘जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-ओ-शाम। ये रस्ता कट जाएगा मितरा…।’

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रीता ने मुझे फेसबुक के माध्यम से बधाई दी। इसके लिए उसका धन्यवाद! यहाँ बताना चाहूँगा कि साहबजादे ने 28 जून को अपना 39वाँ जन्मोत्सव वैदिक रीति-रिवाज से धूम-धाम से मनाया। मैंने उन्हें बजरिए एसएमएस बधाई और आशीर्वाद दिया। वह व्यस्त रहते हैं साथ ही उनके साथ पूरा-परिवार व्यस्त रहता है। किसी ने मेरे जन्मदिन पर मुझे विश नहीं किया, इसका हमें कोई मलाल नहीं है। एक बात और कुछ दिन पूर्व मैंने अपनी पौत्रियों से कहा था कि मेरा जन्मदिन 26 जून को है, परिणाम यह हुआ कि बड़ी पौत्री ने कहा दादा जी हैप्पी बर्थडे टू यू। यह तब सम्भव हुआ जब मैंने उसे रिमाइण्ड कराया।

शायद यह पहला अवसर है जब मुझे मेरा जन्मदिन सेलीब्रेट करने का विचार आया। इसके पूर्व मैंने कभी अपने जन्मदिन पर हैप्पी बर्थडे या तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हो पचास हजार कहलवाना पसन्द नहीं किया था। क्योंकि मैं जानता रहा हूँ कि जितना दिन जीऊँगा उतने दिन पापड़ ही बेलने पड़ेंगे। बहरहाल! मुझे खुशी है कि कम से कम दो लोगों को मेरा जन्मदिन याद रहा और इन लोगों ने हैप्पी बर्थडे कहा।

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लेखक डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी वरिष्ठ पत्रकार और व्यंगकार हैं।

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1 Comment

1 Comment

  1. Vikramsingh

    August 24, 2019 at 11:42 am

    My happy birthday

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