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केदारधाम के आस पास नरकंकाल का मिलना हरीश रावत के मुंह पर कालिख

बड़े दुःख और शर्म की बात है कि एक तरफ तो उत्तराखंड की मौजूदा सरकार और उसके मुखिया 2013 की केदार घाटी आपदा से बाखूबी निपटने के बड़े बड़े दावे करते नहीं अघाते वहीँ दूसरी तरफ तीन वर्ष पूर्व घटी सदी की सबसे भयानक त्रासदी के बाद राज्य सरकार और उसके भ्रष्ट बड़बोले अधिकारियों और नेताओं के अपनी पीठ ठोकने वाले तमाम दावों के बावजूद केदारनाथ के रास्तों में इस दर्दनाक हादसे में मौत को गले लगा चुके दुर्भाग्यजनक यात्रियों और क्षेत्रीय लोगों के करीब बासठ नरकंकाल मिले हैं जो सीधे सीधे उत्तराखंड के मौजूदा हुक्मरानों की झूट और काली करतूतों की पोल खोलता है.

<p>बड़े दुःख और शर्म की बात है कि एक तरफ तो उत्तराखंड की मौजूदा सरकार और उसके मुखिया 2013 की केदार घाटी आपदा से बाखूबी निपटने के बड़े बड़े दावे करते नहीं अघाते वहीँ दूसरी तरफ तीन वर्ष पूर्व घटी सदी की सबसे भयानक त्रासदी के बाद राज्य सरकार और उसके भ्रष्ट बड़बोले अधिकारियों और नेताओं के अपनी पीठ ठोकने वाले तमाम दावों के बावजूद केदारनाथ के रास्तों में इस दर्दनाक हादसे में मौत को गले लगा चुके दुर्भाग्यजनक यात्रियों और क्षेत्रीय लोगों के करीब बासठ नरकंकाल मिले हैं जो सीधे सीधे उत्तराखंड के मौजूदा हुक्मरानों की झूट और काली करतूतों की पोल खोलता है.</p>

बड़े दुःख और शर्म की बात है कि एक तरफ तो उत्तराखंड की मौजूदा सरकार और उसके मुखिया 2013 की केदार घाटी आपदा से बाखूबी निपटने के बड़े बड़े दावे करते नहीं अघाते वहीँ दूसरी तरफ तीन वर्ष पूर्व घटी सदी की सबसे भयानक त्रासदी के बाद राज्य सरकार और उसके भ्रष्ट बड़बोले अधिकारियों और नेताओं के अपनी पीठ ठोकने वाले तमाम दावों के बावजूद केदारनाथ के रास्तों में इस दर्दनाक हादसे में मौत को गले लगा चुके दुर्भाग्यजनक यात्रियों और क्षेत्रीय लोगों के करीब बासठ नरकंकाल मिले हैं जो सीधे सीधे उत्तराखंड के मौजूदा हुक्मरानों की झूट और काली करतूतों की पोल खोलता है.

ये पहला मौका नहीं है जब केदारनाथ जाने के रास्ते पर ये नरकंकाल मिल रहे हैं बल्कि इससे पहले भी बीच बीच में दो चार नरकंकाल मिलते रहे हैं. लेकिन हद तो तब हो गयी जब इतनी बड़ी संख्या में नरकंकाल मिलने के बाद भी उत्तराखंड की सरकार किसी प्रकार की शर्म महसूस नहीं कर रही है और न ही उसे इस बात की कोई शर्म है कि तीन वर्ष पहले घटी इस भीषण आपदा, जिसमें दस हज़ार से ज्यादा लोग हताहत हुए, उत्तराखंड सरकार ने जंगलों, या अन्य क्षेत्रों में घूम रहे पीड़ितों को ढूंढने की कोई कोशिश नहीं की जो सम्भवतः बाद में भूख, जंगली जानवरों के हमलों या अन्य कारणों से मरे होंगे और अब उनके कंकाल मिल रहे हैं.

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सरकार हमेशा झूठे दावे करती रही कि वह आपदा पीड़ितों की ढूंढने में लगी है. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में नरकंकालों का मिलना जिनकी संख्या आगे सैकड़ों और हज़ारों तक पहुँच सकती है, उत्तराखंड की मौजूदा सरकार और उसके निकम्मे मंत्रियों, अधिकारियों और ख़ास नेताओं की पोल खोलती है जिन्होंने आपदा राहत के नाम पर प्रदेश की जनता और उत्तराखंड आपदा के शिकार परिवारों को सिर्फ और सिर्फ मूर्ख बनाया है। बावजूद इस हकीकत के कि राज्य सरकार को आपदा राहत के नाम पर अभी तक सैकड़ों करोड़ रुपये मिल चुके हैं. गौरतलब है कि अभी तक मिले बासठ नरकंकाल त्रिजुगीनारायण मंदिर और केदारनाथधाम के बीच के सत्ताईस मील के लम्बे और अत्यधिक कठिन रास्ते पर मिले हैं. कहा जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर नरकंकाल क्षेत्रीय दुकानदारों या यात्रियों के हो सकते हैं क्योंकि इतने कठिन रास्तों पर बाहरी यात्री कम ही सफर करते हैं. हो सकता है कि इन क्षेत्रीय यात्रियों से उत्साहित होकर अन्य प्रदेशों के तीर्थ यात्री भी उनके साथ केदारधाम की ओर बढे हों पर बाद में आपदा के शिकार होकर मलबे के नीचे दब गए हों.

इतनी बड़ी तादाद में मिल रहे इन नरकंकालों से प्रदेश की राजनीती में भूचाल सा आ गया है. जहाँ एक ओर प्रदेश की जनता इन नरकंकालों के मिलने से दुखी है वहीँ दूसरी तरफ भाजपा को चार महीनों बाद संपन्न होने जा रहे चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के खिलाफ एक बेहतरीन मुद्दा हाथ लग चुका है. दोनों दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. गौरतलब है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार पहले ही भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद, अक्षमता, माफियाओं को संरक्षण देने, मुख्यमंत्री के स्टिंग में संलिप्त होने और पूंजीपतियों को किसानों की जमीनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के महंगे स्कूलों के लिए सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने, बिगड़ती कानून व्यवस्था और अन्य एंटी इंकमबेंसी फैक्टर्स के चलते बैकफुट पर है। अब केदारघाटी में मिल रहे नरकंकालों के मद्देनजर भाजपा को उत्तराखंड के सत्तारूढ़ दल पर हमला करने का एक और सुनहरा मौका मिल गया है.

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इससे पहले भी उत्तराखंड आपदा के शिकार लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार द्वारा आवंटित किये गए सवा सौ करोड़ रुपयों में बरती गयी धांधली और भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश की मौजूदा सरकार को कठघरे में खड़ा किया गया था और उसकी सार्वजनिक तौर पर खासी किरकिरी हुई थी. अब ये नरकंकाल का भूत. इस पर कुछ ख़ास चैनलों का आंकलन कि प्रदेश में आने वाले चुनाव में भाजपा सरकार बनाने जा रही है, के चलते हरीश रावत सरकार जरूर सकते में दिखाई दे रही है.

सुनील नेगी
अध्यक्ष
उत्तराखंड पत्रकार फोरम
[email protected]

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0 Comments

  1. asif khan

    October 19, 2016 at 6:20 am

    1. How is this government responsible for the Skeletons as these people died during Vijay Bahuguna as CM of the state!!!!?
    2. Suppose these Skeletons were found earlier what would have changed??
    3. Why the people of Uttarakhand feeling sad as it is not proved which state these died people belonged to??
    4. It was Narendra Modi who had said that he saved 15000 people, then the question arises who these people are???
    5. Did Vijay Bahuguna not tried to search these people when he was CM??
    6. If these ministers and government officials are incompetent then who are competent???

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