Yashwant Singh : कल मैंने पूछा था- ”मेरे अलावा कोई और भी वीर-जवान है जिसने अब तक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी न ले रखी हो?”
ये सवाल क्यों पूछा, इसका विस्तार से जवाब आज दे रहा हूं. ये जवाब बहुतों का मार्गदर्शन करेगा, ये उम्मीद करता हूं.
पहले कुछ सूचनाएं.
-मैं एक प्रतिष्ठित हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी का एजेंट बन गया हूं.
-कल ही एजेंटी वाला मेरा लागिन एक्टिवेट हुआ और सबसे पहले खुद का हेल्थ इंश्योरेंस कर डाला. पूरे परिवार का चार लाख रुपए का.
-इसके अलावा Umesh जी के कुनबे का भी हेल्थ बीमा कर दिया.
-एजेंट का लागिन एक्टिवेट होने के ही दिन दो-दो बीमा कर देने से हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से मुझे विशेष बधाई संदेश मिला. शायद गिफ्ट शिफ्ट भी देंगे.
चार लाख रुपये की जो फेमिली पालिसी हमने व उमेश जी ने ली है, उसके फीचर्स यूं हैं-
इसमें एलोपैथी के अलावा आयुर्वेद आदि दूसरी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों से इलाज कराना भी कवर है. (हिडन एजेंडा ये है कि अपन तो एजेंट बन गए हैं. साल में कोई रोग दुख न हुआ तो रामदेव के पतंजलि सेंटर जाकर मसाज आदि कराकर बिल थमा देंगे.
इस पालिसी में पूरे परिवार का साल भर में एक बार फुल बाडी चेकअप फ्री है. यानि चार सदस्यों वाला मेरा परिवार साल में एक बार फुल बाडी चेकअप फ्री में करा सकेगा. अस्पताल में भर्ती होने के तीस दिन पहले और अस्पताल से डिस्चार्ज होने के साठ दिन बाद तक के इलाज का खर्च कवर है.
इस कंपनी के नटवर्क में बनारस में बीस से ज्यादा अस्पताल हैं. नोएडा दिल्ली एनसीआर में तो पूछिए मत. जहां मैं रहता हूं नोएडा में, वहां से कुछ किमी बाद जो अस्पताल है, वह कंपनी के नटवर्क अस्पतालों की लिस्ट में है.
हेल्थ कंपनी का एजेंट पैसे कमाने के लिए नहीं बना. मेरे लिए पत्रकारीय करियर के इस मोड़ पर किसी बीमा कंपनी का एजेंट बनने का फैसला करना आसान न था. भारत में ‘सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग’ जबरदस्त तरीके से हर एक के दिलोदिमाग में प्रभावी रहता है. पर अपन हमेशा इससे मुक्त रहे. वही किया जो मन किया. मन ने कहा कि 12 साल से भड़ास चलाते हुए तुमने सैकड़ों पत्रकारों को इलाज के लिए चंदा मांगते देखा, भड़ास पर मदद का अभियान चलाया, पर अब खुद के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का वक्त आ गया है ताकि कभी अपने परिवार में किसी को कुछ हुआ तो चंदा मांगो अभियान न चलाना पड़ जाए.
हेल्थ बीमा लेना आसान है. किसी से ले लो. दर्जनों कंपनियां हैं. सबके लुभावने आफर. सबसे मुश्किल होता है क्लेम दिलाने के लिए लड़ने-भिड़ने वाला. ये वाला काम मैंने अपने हिस्से में लिया है. जिसका जिसका हेल्थ बीमा करूंगा उसको उसको इस बीमा से लाभ लेने, क्लेम की स्थिति आने पर भुगताने कराने के लिए तत्पर रहूंगा.
हम थोड़े अलग किस्म के बीमा एजेंट है इसलिए मैं खुद किसी को हेल्थ बीमा लेने के लिए कनविंस न करूंगा. मैं ऐसे ही कुछ आर्टकिल लिखकर पोस्ट कर दूंगा, शेयर कर दूंगा. जिनको अकल आए, वो मेरे पास आ जाएं. जिन्हें बीमा सीमा टाइप चीजों से एलर्जी है, वो अपनी दुनिया में मस्त रहें. प्रकृति की खूबसूरती इसकी विविधता है. सबके अपने विचार हैं. सबके अपने जीने के तरीके हैं.
मैंने खुद अभी तक कोई हेल्थ इंश्योरेंस न लिया था. कोई बीमा एजेंट ऐसा न मिला जिस पर ये भरोसा कर सकूं कि ये क्लेम दिलाने के वक्त हनुमान जी की तरह गदा लेकर साथ रहेगा. ऐसे में हेल्थ बीमा लेने से पहले मैंने हेल्थ बीमा कंपनी की एजेंटी ले ली ताकि खून पसीने की कमाई यूं ही न जाया कर दूं.
हेल्थ बीमा कंपनी का एजेंट बनकर अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता है. पर अपने पास भड़ास का अच्छा खासा काम है और इससे वक्त बचता नहीं. जो थोड़ा बहुत वक्त बचता है उसमें अपन लोग पार्टी शार्टी गाना साना खाना पकाना कर लेते हैं. सो, मेरे लिए एजेंटी का काम कमाई के लिए बिलकुल नहीं है. ये एक सरोकार है. इस देश में बाकी सारे काम में सोर्स लगाया जा सकता है. लेकिन मेडिकल इमरजेंसी एक ऐसी चीज है जिसमें कोई काम न आता है. आप को धड़ाधड़ पैसे खर्चने ही पड़ते हैं. इसलिए इस काम के प्रति अनदेखी करते रहना काफी नुकसानदायक है.
मेरा कल जन्मदिन है. मैंने खुद को ये तोहफा दिया कि अपने व परिवार को चार चार लाख के हेल्थ इंश्योरेंस से इंश्योर कर दिया. इस बीमा पालिसी की एक और खास बात है. मान लीजिए किसी एक सदस्य ने चार लाख रुपये यूज कर लिए. फिर उसी साल कोई दूसरा सदस्य अस्पताल में चला जाता है. ऐसे में ये कंपनी चार लाख का आटो रिचार्ज देती है. यानि एक अन्य सदस्य को चार लाख खर्च करने का अधिकार मुफ्त में देती है. मतलब चार लाख के बीमा में एक ही साल में अलग अलग फेमिली मेंबर आठ लाख रुपये ले सकते हैं. ये खासियत मुझे सही लगी.
मेरी सदिच्छा है कि हम आप मेडिकल इमरजेंसी के लिए कवर रहें. जो प्रीमियम बनता है, उस पर जीएसटी लगता है. ये हेल्थ बीमा के प्रीमियम पर जीएसटी लेना घना पाप कर्म है. मैं केंद्र सरकार की भर्त्सना करता हूं और कम से कम हेल्थ बीमा के प्रीमियम से जीएसटी हटाने की मांग करता हूं.
मैंने और उमेश जी ने पूरे परिवार का जो बीमा कराया (हम दोनों 41 से 45 वाले उम्र के स्लैब में आते हैं), हम दोनों का प्रीमियम बराबर आया है, 19 हजार 300 रुपये. वे भी हम दो हमारे दो हैं, हम भी हम दो हमारे दो वाले हैं. इस 19 हजार 300 के प्रीमियम में तीन हजार रुपये से ज्यादा जीएसटी है.
हममें से बहुत सारे लोग दारू-बीयर मुर्गा पर किसी एक रोज में हजार से ज्यादा रुपये खर्च देते हैं. पर हमें महीने के ढाई सौ रुपये हेल्थ बीमा के लिए देना महंगा सौदा लगता है. खैर, पहले मैं भी ऐसा ही सोचा करता था. कोरोना काल की अस्पताल की भयानक कहानियों ने प्रेरित किया कि अपना व परिवार का हेल्थ बीमा मस्ट है वरना मुश्किल दिनों में कुत्तों वाला हाल हो जाएगा.
अगर आप पहले से ही कोई हेल्थ बीमा करा चुके हैं तो जब इसके रिनूवल का वक्त आए, उसके ठीक एक महीने पहले मुझसे संपर्क करें. आपका हेल्थ बीमा पोर्ट कराकर मैं अपनी कंपनी में ले आउंगा. इससे आप कम से कम ये तो यकीन कर सकते हैं कि आपको जब जरूरत पड़ेगी तो क्लेम मिलेगा.
मैं जिस हेल्थ बीमा कंपनी से जुड़ा हूं, वो देश की टाप सात हेल्थ बीमा कंपनियों में सबसे शीर्ष पर है. इसका क्लेम रेट शानदार है. इसकी हेल्थ पालिसी पूरे भारत में एक-सी है. कई कंपनियां ग्रामीण व शहरी इलाकों के लिए अलग अलग हेल्थ पालिसी बनाती हैं, अपने फायदे के लिए. ये पब्लिक लिमिटेड कंपनी है. एक बड़ा बैंक इसका पार्टनर है. ये कंपनी केवल हेल्थ इंश्योरेंस ही डील करती है. इसका दूसरा कोई धंधा नहीं है.
अगर आप डायबिटिक हैं, अगर आप हार्ट का आपरेशन करा चुके हैं, अगर आप कैंसर पीड़ित रह चुके हैं तो आपके लिए एक स्पेशल प्लान है जिसमें ये रोग मेंशन रहेंगे और आगे डायबिटीज, हार्ट, कैंसर से दिक्कत में इलाज फ्री रहेगा. 90 साल के बुजुर्ग के लिए भी सीनियर सिटीजन पालिसी है, बिना मेडिकल चेकअप के. मैं अध्ययन करता जा रहा हूं. कई सारी चीजें समझ में आ रही हैं.
जो न्यूली मैरिड कपल हैं उनके लिए जो प्लान है उसमें मैटरनिटी के अलावा न्यूली बार्न बेबी भी 90 दिन की उम्र तक कवर है.
मुझे साल में दस से बारह लोगों का बीमा करना है. दो बीमा कर चुका पहले ही दिन. दो महीने के लिए फुरसत हो गया. कई मित्र लाइन में लगे हैं. उनका भी कर दूंगा. संभव है एक महीने में ही साल भर का न्यूनतम टारगेट निपटा दूं. इसलिए मेरी चिंता न करें आप लोग. मैं मजे और मौज के लिए ये काम कर रहा हूं. कोई भी नया काम सीखने करने में कोई अहंकार आड़े नहीं लाता मैं. मेरे लिए हेल्थ बीमा का काम करना एक पैशन है. इसे पूरा एंजॉय कर रहा हूं, करूंगा.
कल की पोस्ट के जवाब में ये पोस्ट लिख रहा हूं. कल बहुत सारे मित्रों ने बताया है कि उनका हेल्थ बीमा नहीं है. कइयों ने इसे यूजलेस कहा है. कइयों ने बीमा न कराने जैसा वीरता पूर्ण काम को रेखांकित किया. पर एक चीज तो समझ में आया कि इस भीड़ भरे देश की बहुत बड़ी आबादी अब भी रेशनल नहीं है. वह बुनियादी सोच, सहज चिंताओं से बचने की कोशिश करती है. पढ़ाई और स्वास्थ्य, ये दो फील्ड ऐसे हैं जिसे हर व्यक्ति को खुद हैंडल करना होता है. ये दोनों फील्ड पैसे की मांग करते हैं. अच्छी पढ़ाई पर निवेश का रिटर्न व्यक्ति जाब करके दे देता हूं. स्वास्थ्य बीमा पर निवेश का रिटर्न व्यक्ति किसी मेडिकल इमरजेंस की स्थिति में आने पर पा लेता है. अगर मेडिकल इमरजेंसी भी न हुई तो सालाना हेल्थ चेकअप या आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के जरिए क्लेम लिया जा सकता है.
-कल मेरा जन्मदिन है. आज मैं हेल्थ बीमा फील्ड से जुड़ा कार्यकर्ता बन चुका हूं. दोनों के लिए बधाई दीजिए. जिसको कोई सवाल जवाब करना हो वो इनबाक्स में मैसेज कर सकते हैं या कमेंट बाक्स के जरिए जानकारी ले सकते हैं. हां, बस अपील ये है कि खुद को व अपने परिवार को जरूर हेल्थ इंश्योरेंस से कवर रखें. बीमारियां आजकल उम्र देखकर नहीं आतीं. जो खाने भर पैसे न होने का रोना रोते हैं उनसे कहना चाहता हूं कि वे भले खुद का बीमा न कराएं पर अपने बच्चों का जरूर हेल्थ इंश्योरेंस करा दें क्योंकि आप उन्हें कतई खोना न चाहेंगे, आप उनके इलाज के दौरान घर मकान जमीन कतई न बेचकर कंगाल होना चाहेंगे. जितने कम उम्र में हेल्थ बीमा लेंगे, उतना ही कम प्रीमियम pay करना होगा. अगर क्लेम न लेते हैं तो साल दर साल बीमित राशि बढ़ती जाएगी.
जैजै
यशवंत
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.