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सुख-दुख

हिंडनबर्ग के सीईओ भारत में होते तो जेल में होते, ईडी-सीबीआई जाँच कर रही होती, मीडिया वाले खलनायक बताते!

गिरीश मालवीय-

अडानी के साम्राज्य के आगे हिंडनबर्ग की औकात कुछ भी नही है या यूं कहे कि अडानी एक हाथी है तो उनके सामने हिंडनबर्ग एक चींटी की औकात रखते है लेकिन हम जानते है कि छोटी सी चींटी जब विशालकाय हाथी की सूंड में घुस जाती है तो हाथी भी त्राहिमाम कर उठता है.

आप भी सोचेंगे कि आखिर उसे ताकत कहा से मिल रही है ? दरअसल उसे ताकत मिल रही है अमेरिका के कानून से…… इसी कानून की ताकत के सहारे ही वो आज अडानी को खुला चेलेंज कर रहा है कि अगर तुम सही हो तो आ जाओ अमेरिका के कोर्ट मे !!!

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कौन सच कह रहा है और कौन झूठ सब फैसला हो जायेगा?

कल हिंडनबर्ग ने अपने बयान में कहा, “अदानी ने हमारे द्वारा उठाए गए एक भी मुद्दे पर संज्ञान नही लिया है. हमने अपनी रिपोर्ट में 88 सवाल पूछे थे. अब तक अदानी ने एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया है.” अदानी ग्रुप द्वारा क़ानूनी कार्रवाई की बात के जवाब में हिंडनबर्ग ने कहा, “क़ानूनी कार्रवाई का हम स्वागत करेंगे. हम अपनी रिपोर्ट पर क़ायम हैं और हमारा मानना है कि हमारे ख़िलाफ़ उठाया गया कोई भी कानूनी कदम ‘अयोग्य’ साबित होगा.”

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अंत में हिंडन बर्ग ने चेलेंज देते हुए कहा कि “अगर अदानी गंभीर हैं तो उन्हें हमारे ख़िलाफ़ अमेरिका में केस फ़ाइल करना चाहिए जहां हमारे दफ़्तर हैं. हमारे पास उन दस्तावेज़ों की लंबी सूची है जिनकी मांग हम ‘लीगल डिस्कवरी प्रोसेस’ में करेंगे.”

ये अमेरिका के कानून की ताक़त ही है कि दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी की हिम्मत नही हो रही है कि वो अमेरिकी कोर्ट में हिंडनबर्ग जैसी मामूली कम्पनी की चुनौती का जवाब पेश कर पाए……

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हम अच्छी तरह से जानते है कि हिंडनबर्ग के मुख्य कार्यकारी नेट एंडरसन अगर भारत में होते तो अब तक किसी जेल मे पड़े सड़ रहे होते उनकी कम्पनी की जांच ed और सीबीआई कर रही होती भारत का बिका हुआ मीडिया उन्हे सबसे बड़ा खलनायक साबित कर चुका होता ……

अमेरिकी निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने कोई पहली बार किसी कम्पनी के खिलाफ़ ऐसी रिपोर्ट पेश नही की है 2017 के बाद से फॉरेंसिक फाइनेंशल रिसर्च में विशेषज्ञता रखने वाली हिंडनबर्ग ने करीब 16 बड़ी बड़ी कंपनियों में कथित गड़बड़ी को लेकर खुलासा किया है हिंडनबर्ग का कहना है कि हम असामान्य सूत्रों से मिली ऐसी जानकारियों के आधार पर शोध करने में यकीन करते हैं जिन्हें खोजना मुश्किल होता है.”

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एक समय एलन मस्क के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी माने जाने वाले इलेक्ट्रिक ट्रक कंपनी निकोला के संस्थापक ट्रेवर मिल्टन को हिंडनबर्ग ने अपनी ऐसी ही रिपोर्ट से अर्श से फर्श पर ला पटका था आज भी आपराधिक और प्रतिभूति धोखाधड़ी के आरोप में दोषी पाए ट्रेवर मिल्टन इससे उबर नहीं पाए हैं

इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग भी एक विशेष मकसद से रखा गया है. वेबसाइट के मुताबिक यह एक ऐसी त्रासदी पर आधारित है जिसे पूरी तरह से टाला जा सकता था. 6 मई 1937 लगभग सौ लोगों को लेकर जा रहा हिंडनबर्ग नाम का एक हाइड्रोजन गैस से भरा बैलून अमेरिका के न्यू जर्सी में मैनचेस्टर कस्बे में हादसे का शिकार हो गया था. इस घटना में 37 लोगों की मौत हो गई थी.

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कम्पनी की वेब साइट पर about us में कम्पनी के संचालकों ने लिखा है कि हम हिंडनबर्ग को पूरी तरह से मानव निर्मित, पूरी तरह से परिहार्य आपदा के प्रतीक के रूप में देखते हैं। ब्रह्मांड में सबसे ज्वलनशील तत्व से भरे एक गुब्बारे पर लगभग 100 लोगों को लादा गया था।…..”हम इसी तरह की मानव निर्मित आपदाओं को मार्केट में आते हुए देखते हैं और इससे पहले कि वे भोले भाले अंजान लोगो को अपना शिकार बनाए हम उन्हे एक्सपोज करने का लक्ष्य रखते हैं।”

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