कृष्ण कांत-
दिल्ली के जहांगीरपुरी में बिना किसी पूर्व सूचना के बुलडोजर चलाया गया। कल्पना ये थी कि मुसलमान दंगाई हैं और उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जाएगा। बुलडोजर आया और तमाम मकान तोड़ दिये गये।
एक गुप्ता जी चिल्लाते रहे कि मेरे पास पक्के कागज हैं। डीडीए से अलॉट की हुई पक्की दुकान है। फिर भी बुलडोजर चल गया। ऑनएयर अपने नाम के साथ मोदी लगा लेने वाली एंकरानी पहुंची तो सोनू चिल्ला रहा था कि मैडम मैं तो हिंदू हूं। मैडम ने ऑनएयर ही फरमाया, अब यहां से चलना पड़ेगा। सुमित भी कागज लेकर बदहवास इधर उधर दौड़ रहा था कि मेरे पास कागज हैं, कोई सुनवाई नहीं हुई।
जो कल मुसलमानों के कागज मांग रहे थे, आज उनके अपने पक्के कागज काम नहीं आए। आखिरकार सोनू को कहना पड़ा कि मैडम यहां तो हम सब हिंदू मुसलमान मिलजुल कर रहते हैं। मैडम चली गईं। बुलडोजर आ गया। बुलडोजर के कान नहीं होते। बुलडोजर के हृदय नहीं होता। बुलडोजर मनुष्य नहीं है। बुलडोजर पर झूमने वालों से कह दो कि बुलडोजर सिर्फ ध्वंस करता है। बुलडोजर मशीन है, जैसे चाकू मशीन है। चाहो तो सब्जी काटो, चाहो तो अपनी नाक काट लो।
भारत की सरकारें अपनी नाक काटने पर आमादा हैं। इस बच्चे को देखिए। यह भारत का नागरिक है। जिस उम्र में इसे स्कूल में होना था, यह अपने मां बाप के साथ चाय की दुकान पर था। इसकी दुकान तोड़ दी गई। यह मलबे से बचा हुआ सामान और कमाए हुए सिक्के चुन रहा है। इसके नाजुक दिमाग पर क्या असर होगा? यह बड़ा होगा और जब सरकार का मतलब समझेगा तब क्या इस दिन को भी याद करेगा? क्या यह कभी सोचेगा कि जिस देश का प्रधानमंत्री अपने को चायवाला बताते हुए झूठे किस्से सुनाता है, उसी के नियंत्रण वाली केंद्रीय पुलिस ने उसकी चाय की गुमटी तोड़ डाली?
एक तरफ भीड़ है जिसके हाथ में झंडा और पत्थर है। एक तरफ सरकार है जिसके पास उन्मादी बुलडोजर है। सरकार ने कानून को दरकिनार कर दिया है। कानून का शासन नहीं है तो बुलडोजर चलाने वाला अपराधी कैसे नहीं है?
भारत दुनिया का एक महान और सबसे बड़ा लोकतंत्र रहा है। आज वह सबसे निकृष्ट देश बनने की ओर अग्रसर है। इस ‘बुलडोजर न्याय’ का विरोध कीजिए, वरना चौपट राजाओं की इस अंधेर नगरी में कल गुप्ता जी की जगह आप होंगे।
सत्येंद्र पीएस-
अभी जहांगीरपुरी दिल्ली में तोड़फोड़ का एक वीडियो देखा। एक युवा बोल रहा है कि मेरा नाम सोनू है, हम हिंदू हैं मैडम। हम लोग यहां मिल जुलकर रहते हैं, हमारी दुकान तोड़ी जा रही है, रोजगार छीन लिया गया।
अवैध कंस्ट्रक्शन और बुलडोजर कांड पर पोस्ट डाली थी तो एक सज्जन ने पूछा कि आप यह किस आंकड़े के आधार पर कह सकते हैं कि जिनकी दुकानें तोड़ी जा रही हैं, रोजगार छिन रहा है उनमें 70% हिन्दू हैं?
भाई इतनी उम्र हो गई। सार्वजनिक जीवन में हूँ। लोगों को सड़कों पर रोते बिलखते देखा है। एक गरीब आदमी का ठेला तोड़ दिया जाए, जूस की दुकान तोड़ दी जाए, उनका दर्द नजदीकी से देखा है। फील किया है, क्योंकि वह भी अपने लोग हैं,भारतीय हैं। इसलिए जानता हूँ।
आप भी फील करें। आंख और दिमाग खुला रखें। समझ में आएगा कि इस आर्थिक तबाही का कितना नुकसान होता है। वह ठेलेवाला कितना संघर्ष करता है, मामूली मुनाफे पर काम करता है। उसे तबाह करेंगे तो ठेले पर खरीदारी करने वाले हर व्यक्ति पर बोझ बढ़ेगा और ऐसे सेठ आपको लूटेंगे जो 20 रुपये में एक लीटर पानी बेच देते हैं। नफरत का खेल समझिये। इसमें बड़ी तबाही है। बड़ी अशांति है।
भारत का जब इतिहास लिखा जाएगा तो Narendra Modi का नाम एक अद्भुत राजनेता के रूप में आएगा। यह शायद इतिहास के पहले व्यक्ति हैं जिनके भेजे में सत्ता के सिवा कुछ नहीं होता। ये लैट्रिन पेशाब करने जैसी मनुष्य की सामान्य क्रिया का भी खूबसूरती से राजनीतिक इस्तेमाल कर सकते हैं, उस मसले को हिन्दू मुस्लिम मसला बना सकते हैं, उसे राष्ट्रवाद से जोड़ सकते हैं। राजनीतिक फायदे के मुताबिक उसके माध्यम से धार्मिक ध्रुवीकरण करा सकते हैं।
बुलडोजर कांड में भी यही हो रहा है। भारत के 90% लोग सरकारी कागजों में अवैध निर्माण पर रहते हैं। यहां शहरों को आवास विकास और विकास प्राधिकरण ने नहीं, गली के छोटे मोटे बिल्डरों और प्रोपर्टी डीलरों ने विकसित किए हैं। पिछले 30 साल में यह बेतहाशा बढ़ा। 90% में से बेचारे 80% तो जानते भी नहीं हैं कि वह देश के अवैध लोग हैं। 90% तो पूरी तरह अवैध हैं और जिन लोगों ने विकास प्राधिकरण से मैप बनाकर मकान बनाया है, उन लोगों ने भी मकान में कुछ न कुछ हेरफेर करके उसे अवैध कर रखा है।
यानी सरकार जहाँ चाहे, जब चाहे, जिसे भी चाहे, अवैध घोषित करके उसके ऊपर बुलडोजर चला सकती है। सरकार अपनी सुविधा व जरूरतों के मुताबिक किसी को भी अवैध कहकर फेंक देती है। कच्चे निर्माण वाले सबसे कमजोर होते हैं इसलिए वे सबसे ज्यादा फेंके जाते हैं। यह हर सरकार में होता रहा है और अभी भी हो रहा है।
पहले इस तरह के निर्माण ढहाए जाने पर लोग दुखी होते थे, हाय हाय करते थे कि जिन्हें उजाड़ दिया गया, उन्हें कुछ मुआवजा, कुछ राहत दे दी जाए। लोगों की रोती हुई तस्वीरें आती थीं और सरकार के खिलाफ भावना बनती थी कि 200 लोगों या 500 लोगों को सरकार ने बेघर कर दिया। अब यह सब घटनाएं लोगों को खुशी दे रही है कि सरकार ने बहुत अच्छा किया। मुआवजा और राहत देने की तो बात ही भूल जाएं।
अगर आंकड़े पर जाएं तो आप भाजपा सरकार के कार्यकाल के आंकड़े उठाकर देख लें। मुझे यकीन है कि इस एनक्रोचमेंट हटाने में कहीं हिन्दू मुस्लिम नहीं हुआ होगा, मुआवजा भी नियमानुसार मिल रहा होगा। पहले की सरकारों की तुलना में ज्यादा तोड़फोड़ भी नहीं हुई होगी। और आबादी के मुताबिक 70% से ज्यादा हिंदुओं के ही मकान दुकान तोड़े जा रहे होंगे।
बदलाव सिर्फ मानसिकता और खुशी से जुड़ा हुआ है। अब लोगों के उजाड़े जाने, उनका धंधा रोजगार नष्ट होने से शेष जनता खुश है और भाजपा का वोट बैंक मजबूत हो रहा है।
Shahzad Babloo
April 20, 2022 at 6:49 pm
ये ही सब कुछ चंद लोगों को खुश करने के लिए किया जा रहा है बाद में उसको हिन्दू मुस्लिम कर दिया जाता है
Aamir Kirmani
April 21, 2022 at 6:55 pm
हरदोई में भी नगर पालिका की तरफ से हिंदुस्तान अखबार में एक नोटिस प्रकाशित हुआ है, जिसमे पूर्व राज्यसभा सांसद, मंत्री और आधा दर्जन बार विधायक रहे नरेश अग्रवाल और उनके पुत्र यूपी सरकार में आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल के मोहल्ले में तालाब की ज़मीन पर कुछ अवैध अतिक्रमण हटाए जाने की नोटिस दी गई है। नोटिस में सभी एक दर्जन नाम मुस्लिम हैं। देखने वाली बार यह होगी कि कथित रूप से किया गया अतिक्रमण ये लोग खुद ही हटाते हैं या फिर बाबा का बुलडोजर इन मकानों चलेगा या फिर ये लोग राहत मांगने कोर्ट की शरण में जाएंगे।
आमिर किरमानी, पत्रकार, हरदोई
मोबाइल 9415175786