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हिन्‍दुस्‍तान की बजाते रहो

दिल्ली : शुक्रवार 13 मार्च 2015 हिन्‍दुस्‍तान का एस्‍टेट फीचर परिशिष्‍ट का पेज-4, 18 अक्‍तूबर 2013 के हिन्‍दुस्‍तान एस्‍टेट से हूबहू लिया गया है। श्री विजय मिश्र पेज इंचार्ज हैं तो श्री राजीव रंजन श्रीवास्‍तव उनके दो-दो साल बासी-तिवासी कंटेंट सप्लायर।

दिल्ली : शुक्रवार 13 मार्च 2015 हिन्‍दुस्‍तान का एस्‍टेट फीचर परिशिष्‍ट का पेज-4, 18 अक्‍तूबर 2013 के हिन्‍दुस्‍तान एस्‍टेट से हूबहू लिया गया है। श्री विजय मिश्र पेज इंचार्ज हैं तो श्री राजीव रंजन श्रीवास्‍तव उनके दो-दो साल बासी-तिवासी कंटेंट सप्लायर।

दिल्‍ली का प्रतिष्ठित सामचारपत्र हिन्‍दुस्‍तान जब से नोएडा स्‍थानतंरित हुआ है तब से सुर्खियां बटोर रहा है। पिछले दिनों शुक्रवार 13 मार्च 2015 हिन्‍दुस्‍तान का एस्‍टेट फीचर परिशिष्‍ट बाजार में आया। इसमें कोई ताजुब्‍ब की बात न्‍हीं है। ताजुब्‍ब इस बात का है कि 2013 में अक्‍तूबर माह में आज का पेज संख्‍या-4 हूबहू छपा है। मैटर फोटो वही हैं जो 2 साल पहले छपी थी। ताजुब्‍ब तब होता है जब लेखक नीरज भूषण पूरे परिशिष्‍ट में वैसा ही लेख 2 साल बाद भी लिख रहा है।

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सप्‍लीमेंट इंचार्ज श्रीमान विजय मिश्र के बारे में एक बात मशहूर है। साहब जिस दिन 4 पेज का फीचर छोड़ते हैं, ठीक उसी दिन ऑफिस में विराजमान होते हैं, बाकी दिन मौज। अब आप सोच रहे होंगे कि भला एक ही दिन में 4 पेज के सप्‍लीमेंट का प्रोडक्‍शन कैसे संभव है, जिसमें लगभग 20 से 25 लेख से अधिक होते हैं। यह मेहरबानी करते हैं श्रीमान राजीव रंजन श्रीवास्‍तव। यही आज से दो वर्ष पहले तक इस परिशिष्‍ट के इंचार्ज थे। साहब राजीव के पास 2 साल पुराने लेख फोटो के साथ सुरक्षित हैं। और विजय मिश्र और राजीव रंजन की गहरी दोस्‍ती है। अब आप समझ ही गए होंगे कि कैसे 2015 में भी 2013 के लेख पूरे पेज सहित छप रहे हैं।

यकिन न हो तो इस ताजा उदाहरण को किसी भी लाइब्रेरी में जांच लें। करना बस इतना है कि मार्च 2015 के हिन्‍दुस्‍तान एस्‍टेट दिन शुक्रवार और अक्‍तूबर 2013 दिन शुक्रवार से मिलान करना है। दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। श्री विजय मिश्र ऑफिस में बुधवार के अलावा आते नहीं तो श्री राजीव रंजन श्रीवास्‍तव दोपहर 3 बजे के बाद आता हैं और 5 बजे ऑफिस से रफूचक्‍कर।

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हिन्‍दुस्‍तान में छपे रहे बहुते लेखों में आपने नीरज भूषण, प्रीति शर्मा, राजेश प्रसाद, परितोष राज  आदि नाम पढ़े होंगे। ये सभी एक हैं श्री राजीव रंजन श्रीवास्‍तव। गजबे है कि साहब अनेक नाम से अपने ही ऑफिस में फ्रीलांस कर कंपनी को चूना लगा रहे हैं। वहीं हिन्‍दुस्‍तान एस्‍टेट के लिए श्री विजय मिश्र के नेतृत्‍व में बाकी जो कुछ करते हैं सो अलग। इन दोनों को क्‍यों अभयदान मिला है, यह जांच का विषय है। आखिर क्‍यों मैनेजमेंट कानों में तेल डाल कर सोया हुआ है।

(एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित)

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0 Comments

  1. rashmi

    March 15, 2015 at 5:56 am

    par bhaiya innam inhin ko milta hai.ek maahan sampadak ne aath page repeate kar diye aur ab bhee maze loot rahe hain.

  2. Parvinder

    March 16, 2015 at 1:24 am

    Main hindustan ki last 6 years se reader hu. Aur maine apna makaan bhi vijay mishra aur hindustan estate mein publish other article ko padh kar hi buy kiya tha. Vijay ji ke article MANDE BAAZAAR MEIN PROFIT KAISE KAMAYEIN ko padhkar maine property mein invest kiya aur down market mein atleast 10 lakh profit gain kiya. Agar article galti se repeat bhi ho jaaye to readers ka hi fayda hai. Vijay ji is great journalist of real estate. Salute to him

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