प्रभात रंजन-
कल समाजवादी पार्टी के नेता का वह वीडियो वायरल था जिसमें वह ‘how can you रोक’ कहते हुए दिखाई देते हैं।
हिंदी बोलना, धोती कुरता पहनना पिछड़ापन है अंग्रेजी बोलना आधुनिकता. यह मानसिकता है जिसके कारण हम ऐसे लोगों का मजाक उड़ाते हैं जो अंग्रेजी नहीं बोलते या बोल पाते है कहिये. यह प्रवृत्ति सबसे अधिक हिंदी पट्टी के लोगों में पाई जाती है.
80 के दशक में हम कपिल देव पर हँसते थे. भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल देने वाले उस महान खिलाड़ी के अंग्रेजी बोलने के लहजे का खूब मजाक उड़ाया जाता था. उनकी इस कमी का फायदा उठाकर रैपिडेक्स इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स वालों ने उनको अपने विज्ञापन का हिस्सा बनाया. बाद में ‘यही है राइट चॉइस बेबी अहा’ के विज्ञापन में कपिल देव जिस तरह इस वाक्य को बोलते थे उससे हम हिंदी वाले शर्म के बारे मुँह छिपाने लगते और हिंदी का मजाक उड़ाने वाले और मजाक उड़ाते।
कहने का मतलब यह है कि कपिल देव अपने खेल के अलावा अपनी टूटी-फूटी अंग्रेज़ी के लिए भी जाने जाते थे। अभी हाल में ही रवि शास्त्री की किताब पढ़ रहा था तो उसने भी लिखा है कि कपिल देव को अंग्रेज़ी बोलना नहीं आता था लेकिन वे बोलते अंग्रेज़ी ही थे!
बाद में मुड़े-चुड़े धोती कुरता वाले चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री बने जो अंग्रेजी धाराप्रवाह बोलते तो थे लेकिन भोजपुरी लहजे में. उनसे एक बड़े टीवी पत्रकार ने इंटरव्यू में पूछ लिया था कि जब आप इस तरह के कपड़े पहन कर सार्वजनिक स्थानों पर जाते हैं तो क्या आपको नहीं लगता कि इससे भारत की छवि खराब होती है.
चंद्रशेखर जी ने जवाब दिया था कि आप अपने देश के प्रधानमंत्री से ऐसे सवाल पूछकर बड़े पत्रकार नहीं बन जायेंगे.
हिंदी हीन भावना और अंग्रेजी मतलब उच्च संस्कार- यह मानसिकता के अलावा और कुछ नहीं है. हिंदी का विस्तार हो रहा है लेकिन हमारी मानसिकता न जाने कब बदलेगी?