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कर्मचारियों के रुख से हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान के प्रबंधन में खलबली

वाराणसी : मजीठिया प्रकरण में यूपी सरकार ने जिस हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान को यह कहते हुए छोड़ दिया था कि वहां ज्यादा वेतन मिल रहा है, अब उस अखबार की कुछ इकाइयों के कम॔चारियों के बीच उबाल देख प्रबंधन चिंतित हो उठा है। पहले बरेली में हलचल हुई, फिर गोरखपुर के कम॔चारी लेबर आफिस तक पहुंचे और अब लखनऊ में लगभग चार दज॔न कमंचारियो ने प्रपत्र-2 भरकर श्रम विभाग के प्रमुख सचिव व श्रम आयुक्त को प्रेषित कर दिया है।

<p>वाराणसी : मजीठिया प्रकरण में यूपी सरकार ने जिस हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान को यह कहते हुए छोड़ दिया था कि वहां ज्यादा वेतन मिल रहा है, अब उस अखबार की कुछ इकाइयों के कम॔चारियों के बीच उबाल देख प्रबंधन चिंतित हो उठा है। पहले बरेली में हलचल हुई, फिर गोरखपुर के कम॔चारी लेबर आफिस तक पहुंचे और अब लखनऊ में लगभग चार दज॔न कमंचारियो ने प्रपत्र-2 भरकर श्रम विभाग के प्रमुख सचिव व श्रम आयुक्त को प्रेषित कर दिया है।</p>

वाराणसी : मजीठिया प्रकरण में यूपी सरकार ने जिस हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान को यह कहते हुए छोड़ दिया था कि वहां ज्यादा वेतन मिल रहा है, अब उस अखबार की कुछ इकाइयों के कम॔चारियों के बीच उबाल देख प्रबंधन चिंतित हो उठा है। पहले बरेली में हलचल हुई, फिर गोरखपुर के कम॔चारी लेबर आफिस तक पहुंचे और अब लखनऊ में लगभग चार दज॔न कमंचारियो ने प्रपत्र-2 भरकर श्रम विभाग के प्रमुख सचिव व श्रम आयुक्त को प्रेषित कर दिया है।

साथ ही सीनियर वकील कोलिन गोंजाल्वेस के जरिए सुप्रीम कोट॔ तक शिकायत पहुंचा दी है कि संस्थान वेतन मामले में गलत बयानी कर रहा है। इस बीच एचटी के एचआर हेड राकेश सोमवार को दिल्ली से लखनऊ पहुंचे। समझा जाता है कि मंगलवार को कुछ धमाचौकड़ी होगी। वैसे प्रबंधन को यह अहसास है कि इस समय कर्मचारियों से छेड़छाड़ महंगी पड़ सकती है।

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खबर यह भी मिल रही है कि वाराणसी में भी कुछ बड़े अखबारों के कम॔चारियों ने प्रपत्र-2 भरकर सीधे श्रमायुक्त से शिकायत कर दी है क्योंकि श्रम विभाग की टीमें तो मालिक/मैनेजरों के चेम्बरों से ही चाय-नाश्ता लड़ाकर लौट जा रही हैं। श्रम आयुक्त की हिदायत के बावजूद संबंधित अधिकारी संस्थान में कम॔चारियों से मिलने की जरूरत नहीं महसूस कर रहे हैं।  वैसे देखा जाय तो यूपी के लगभग सभी बड़े अखबारों की हीलाहवाली के बीच श्रम विभाग के आला अधिकारी यह सोचकर सहमे हुए हैं कि चार अक्टूबर को प्रस्तावित अगली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट क्या गति करेगा।

सोमवार को ही वाराणसी में मुलाकात के दौरान क्षेत्रीय उप श्रमायुक्त और उनके मातहतों का दबी जुबान से यही कहना था कि एरियर के पूण॔ भुगतान का दावा करने वाले अमर उजाला ने ही थोड़ी बहुत जानकारी दी है। अन्य किसी का जवाब संतोषजनक नहीं है। क्षेत्रीय अधिकारी इसलिए भी बेचैन हैं कि श्रम आयुक्त रणवीर प्रसाद द्वारा 14, 15,16 सितम्बर को कानपुर मे आहूत अखबारों के मालिकों/सम्पादकों की बैठक में वे क्या रिपोट॔ देंगे।फिलहाल जो कुछ भी हो, लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है।

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लेखक योगेश गुप्त पप्पू वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार हैं और मीडियाकर्मियों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए विख्यात हैं.

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0 Comments

  1. mm

    September 19, 2016 at 6:15 pm

    LC Ranveer Prasad aur unkey Kunbey ne to UP me Malikon/ Directors ki Boli Bolney lagey hain bhai.. Lagta hai Ranveer Pd. ko iss baar 4th Oct. ko Supreme Court me kuchh jyada hi sunney ko milney wali hai, ya unkey sath kuchh aur hi honey wali hai… Lucknow ke DLC, Vijay Singh to ekdam se malikon se bik gaya hai bhai… Logon ko seedhey-2 gumrah ker raha hai….

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