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कोर्ट से बहाल सैकड़ों मीडियाकर्मियों को एचटी प्रबंधन ने खाली मैदान व गोदाम में कराया ज्वाइन (देखें वीडियो)

हिंदुस्तान टाइम्स कर्मचारियों के साथ एक और बड़ा धोखा… सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 272 कर्मचारियों को हिंदुस्तान टाइम्स ने विदाउट प्रोड्यूस अप्वाइंटमेंट लेटर जारी किए हैं जिसमें कर्मचारी को 14 जनवरी से नौकरी पर रखने के लिए जिस स्थान का ऐड्रस (खसरा नंबर 629 कादीपुर विलेज दिल्ली) लिखा है, वहां गोदाम और खाली मैदान है.

नीचे दिया गया वीडियो खसरा नंबर 629 का ही है जहां मीडियाकर्मियों को ज्वाइन कराया गया. हिंदुस्तान टाइम्स लिमिटेड ने कर्मचारियों को गलत जगह का एड्रेस दिया है. अगर ये खाली मैदान हिंदुस्तान टाइम्स लिमिटेड का है तो यहां न कोई फैक्ट्री है और ना ही कर्मचारियों के लिए काम करने के लिए कोई इक्विपमेंट. 272 कर्मचारी इस जगह ज्वाइन करके क्या कार्य करेंगे?

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हिन्दुस्तान टाईम्स दिल्ली से निकाले गये २७२ कर्मचारियों में ज्यादातर को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर हिन्दुस्तान टाईम्स प्रबंधन ने १४ जनवरी को फिर से ज्वाईन करा दिया। मगर इन कर्मचारियों को ज्वाइन कहां कराया गया, यह पढ़ेंगे तो हिन्दुस्तान टाईम्स प्रबंधन की कार्यशैली पर आप चौक जायेंगे। इन कर्मचारियों को हिन्दुस्तान टाईम्स प्रबंधन ने दिल्ली के एक खाली पड़े मैदान और गोदाम में बुलाया व उन्हें ज्वाईन करा दिया।

अब ये कर्मचारी बेचारे डटे हुये हैं मैदान में, कुर्सी लगाकर। यहां ना तो शौचालय की समूचित व्यवस्था है और ना ही सुरक्षा का इंतजाम है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार २७२ कर्मचारियों को हिंदुस्तान टाइम्स ने विदाउट प्रोड्यूस अप्वाइंटमेंट लेटर जारी किया। इसमें कर्मचारियों को १४ जनवरी से नौकरी पर रखने के लिए जिस स्थान का एड्रेस (खसरा नंबर ६२९ कादीपुर विलेज दिल्ली) लिखा है वहां न तो कोई फैक्ट्री है और ना ही कर्मचारियों के लिए काम करने के इक्विपमेंट। ये २७२ कर्मचारी इस जगह जाकर क्या कार्य करेंगे, यह सोचने का सवाल है। यहां खाली पड़ा मैदान है और एक तरफ एक पुराना गोदाम है।

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गौरतलब है कि वर्ष २००४ में हिंदुस्तान टाइम्स ने ३६२ कर्मचरियों को अवैध ढंग से नौकरी से निकाल दिया था। इसके खिलाफ श्रम अदालत का दरवाजा खटखटाया गया। फैसला कर्मचारियों के पक्ष में हुआ। इसके बाद कड़कड़डूमा कोर्ट में लड़ाई चलती रही। कोर्ट ने २३ जनवरी २०१२ को कर्मचरियों के हक में फैसला दिया। लेकिन इस फैसले को हाईकोर्ट में हिंदुस्तान प्रबंधन ने चुनौती दे दी। हाईकोर्ट ने उसे वापस निचली अदालत में भेज दिया।

चूँकि हिंदुस्तान की संपत्तियों का परिक्षेत्र पटियाला कोर्ट है, इसलिए मामला वहाँ पहुँचा और उसने पिछले साल १४ मई को चार हफ्ते के अंदर संघर्ष करने वाले सभी २७२ कर्मचारियों की बहाली का आदेश जारी कर दिया। बाकी लोगों ने इस बीच प्रबंधन से समझौता कर लिया था। मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा जिसके बाद हिन्दुस्तान प्रबंधन के सामने इन कर्मचारियों को ज्वाईन कराने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। इन कर्मचारियों को खाली मैदान में ज्वाईन तो करा दिया गया मगर अब काम क्या ये कर्मचारी करेंगे यह देखना बाकी है। आप भी देखिये यह वीडियो। ज्वाइन कराये गये हिन्दुस्तान टाईम्स के कर्मचारियों की क्या स्थिति है।

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शशिकांत सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
९३२२४११३३५

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