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सुख-दुख

21 दिन ही क्यों? Lockdown एक cycle बढ़ाना पड़ेगा!

कोरोना pandemic ने आम जन को बहुत से नए शब्दों से अवगत कराया है किंतु इनका सही अर्थ बहुतों को नहीं पता होगा साथ ही सरकार ने 21 दिन की ही तालाबंदी क्यों की 20 या 23 दिन की क्यों नहीं जैसे विचार भी आते होंगे मन में। तालाबंदी, भीड़ कम करना क्या कोई नई स्ट्रेटजी है Pandemic रोकने की तो यह लेख आपको मदद करेगा इन बातों को समझने में।

Quarantine एवं Isolation ये दो शब्द आपने बहुत सुने हैं एक माह में। मैंने इन दोनों शब्दों का टेक्निकली ग़लत उपयोग बड़े न्यूज़ एंकर, मिनिस्टर यहां तक कि टीवी पर आने वाले चिकित्सक एवं मेरे इर्द गिर्द के चिकित्सकों से भी सुना है ।

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ये दोनों ही प्रक्रियाएं एक सी प्रतीत होते हुए भी परिभाषा में एक दूजे से अलग हैं सर्वथा ।

Quarantine : इसका अर्थ है जबकि कोई व्यक्ति वायरल संक्रमण से ग्रसित होने की संभावना तो हो मगर उसमें कोई लक्षण न हों वायरस संक्रमण के ।
क्योंकि वह संभावित संक्रमित है तो वायरस के सम्पूर्ण इन्क्यूबेशन पीरियड तक उसे सबसे अलग करके रखा जाए । इस बिना लक्षण के संभावित को अलग रखने की प्रक्रिया Quarantine कहलाएगी।

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कोरोना के केस में ..

ज़ैसे : अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट से आने वाले सभी यात्री संभावित होंगे भले ही लक्षण न हों ।

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क्वारंटाइन होम क्वारंटीन भी हो सकता है एवं संस्थागत भी
क्वारंटाइन किये गए ।

अब समझिए, इस व्यक्ति की जांच कोरोना के लिए अभी न तो की गई है न ही तब तक की जाएगी जब तक उसमें लक्षण उत्पन्न न हों। यह व्यक्ति हो सकता है संक्रमित हो अथवा न हो।

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जैसे कनिका कपूर को एयरपोर्ट पर कोई लक्षण न रहे होंगे ,
किंतु फिर भी उन्हें Home Quarantine में रखना आवश्यक था ।

इसी तरह से जांच में पॉजिटिव covid 19 ( लक्षण वालों की ही जांच होगी ) के संपर्क में आने वाले सभी बिना लक्षण के लोगों को Quarantine 14 दिन के लिए करना होगा ।

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जैसे कनिका के संपर्क में आने वाले दुष्यंत home Quarantine में हैं जबकि उन्हें कोई लक्षण नहीं थे। जिससे वे यदि संभावित हों तो औरों को न फैलाएं ।

Isolation : अब यदि Quarantine में रह रहीं कनिका को सर्दी , बुख़ार , खांसी होने लगता है तो उन्हें जहां रखा जाएगा उसे Isolation कहेंगे। Isolation में रख उनकी जांच भी की जाएगी । जैसे कि SGPGI लखनऊ में किया जा रहा है ।

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अतः कम शब्दों में समझें तो Quarantine बिना लक्षण के संभावित exposed को किया जाएगा जबकि Isolation लक्षणों वाले संभावित अथवा तय (confirmed) case को किया जाएगा ।

अब यदि कनिका के सम्पर्क में आये लोगों में से कोई Quarantine के दौरान फोन कर बताता है कि उसे खांसी , बुखार हुआ है तो उसे भी Quarantine की ज़गह Isolation में रख जांच की जाएगी।

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14 दिन ही क्यों :

Isolatation या Qarantine 14 दिन ही क्यों समझने के लिए आपको एक और शब्द Incubation period भी समझना होगा ।

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हर वायरस, बैक्टेरिया का incubation पीरियड अलग अलग होता है।

कोरोना का incubation period 4 से 14 दिन है। मतलब मानव शरीर में प्रवेश के बाद यह वायरस करोड़ों कॉपी बना कर चौथे या 14th दिन तक कभी भी लक्षण उत्पन्न कर सकता है ।

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हमें समय मिलने एवं दूसरे देशों के अनुभव मिलने से वायरस की यह बेहद अहम प्रॉपर्टी अब हमें पता है। चीन को तो 2 से 3 हफ्ते यही आंकलन में लग गए होंगे।

जैसे 1918 की महामारी Spanish फ्लू तो 12 घंटे में ही लक्षण शुरू कर देता था।

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इन्क्यूबेशन पीरियड के समय व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ महसूस करेगा और दिखेगा । इन्क्यूबेशन पीरियड के दौरान व्यक्ति संक्रामक हो तो सकता है लेकिन संक्रमण फैलाने का खतरा कम होगा क्योंकि उसके भीतर वायरस कॉलोनी अभी कम है और वह खांस नहीं रहा है ।

तो समझे आप इस इन्क्यूबेशन पीरियड की वजह से ही
पूरे 14 दिन Quarantine या confirm case का Isolation किया जाता है ।

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अच्छा लक्षण उत्पन्न होने पर Isolation में रखे गए व्यक्ति की जांच रिपोर्ट ( सामान्यतः 2 दिन में आती है ) सामान्य आने पर उसे दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया जा सकता है। और ज़ल्दी डिस्चार्ज भी । किंतु क्योंकि Quarantine में जांच भेजी ही नहीं गयी अतः उन व्यक्तियों को 14 दिन गुज़ारने होंगे।

Lockdown 21 दिन ही क्यों :

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पी एम की घोषणा के वक्त यदि किसी को वायरस है तो वह घोषणा के 14 दिन बाद तक लक्षण दिखा देगा । जैसे जो लोग आज Quarantine में रखे गए या ट्रेवल करके आये या Positive के संपर्क में आये।

लक्षण उत्पन्न होने के बाद 7 दिन वायरस और शरीर में लड़ाई होगी।लगभग 97 प्रतिशत केस में शरीर जीतेगा 3 में वायरस शरीर को मार देगा। और उस शरीर एवं उसमें मौजूद वायरस को सारी Precautions रख अंतिम क्रिया कर दी जाएगी । इस तरह फैसला कुल 21 दिन में हो जाएगा । और वायरस बिना किसी नए शरीर में गए ख़त्म ।

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जो कल की घोषणा से पहले से संक्रमित हैं उनका फैसला 21 दिन के पहले ही हो जाएगा ।

अतः ये संक्रमित यदि अब एक भी नए व्यक्ति को संक्रमित न कर पाएं तो वायरस को बॉडी मिलेगी ही नहीं आगे बढ़ने को।

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इस वज़ह से Lockdown किसी भी तरह आंशिक न हो कर पूर्ण होना चाहिए ।

साथ ही Isolation में रखे गए मरीजों के सीधे संपर्क में रहने वाले चिकित्सक, नर्स, आया, स्वीपर सभी को बेहद अच्छे PEP kit वगैरह मिलने चाहिए । क्योंकि उनमें से एक भी संक्रमित हुआ तो पूरी यूनिट Quarantine हो जाएगी और ये सिलसिला और आगे बढ़ जाएगा ।

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क्योंकि सम्पूर्ण लॉक डाउन संभव नहीं होगा व्यवहारिक रूप से अतः इसे एक Cycle के लिए और बढ़ाने की आवश्यकता भी हो सकती है ।

एवं Droplet इम्फेक्शन्स का इतिहास देखते हुए हमें सूर्य देव और गर्मी से मदद मिली तो हम और भी भाग्यशाली होंगे।

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अब बात आती है कि क्या ये स्ट्रेटेजी पहली बार है ? क्यों विश्व स्वास्थ्य संगठन डर रहा है ?

इसके लिए आपको 1918 में जाना होगा ।

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Spanish फ्लू जो कि H1N1 वायरस था और संभावित रूप से सुअर से एक फ्रांस के निकट एक आर्मी कैम्प में 1917 में आया था । और धीमा पड़ गया था ।

लेकिन 1918 में प्रथम विश्व युद्ध की तैयारियों में मग्न असंख्य सैनिकों के खचाखच भरे बैरक इस वायरस को मिल गए थे। और इसने सैनिकों के माध्यम से पूरी दुनिया मे खूब
इंसानी पार्टी उड़ाई । 5 करोड़ लोग उस समय खत्म हो गए थे । जो कि प्रथम विश्व युद्ध और नागासाकी की कुल संख्या से अधिक थे। आज की विश्व जनसंख्या में यह क़रीब 20 करोड़ माना जायेगा । विश्व की 3 प्रतिशत जनसंख्या खत्म हो गयी थी।

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Pandemic रोकने भीड़ न होने देने का पहला सबक Public health professional को वहीं से मिला था।
स्पेनिश फ्लू 2 वर्ष तक चला था , हुआ लगभग सभी को हुआ था बस 3 प्रतिशत मर गए थे ।

कोरोना का case fatality rate स्पेनिश फ्लू जैसा ही है ।

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अलग अलग देशों में मृत्यु दर अलग अलग क्यों :

स्वास्थ्य सुविधाओं , बुजुर्गों, डायबिटिक की संख्या इत्यादि कारक के अतिरिक्त एक गणितीय कारक भी हो सकता है ।

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समझाता हूँ …

कुछ देश बिना लक्षणों वालों की भी जांच कर रहे हैं जैसे कोरिया, चीन वहीं भारत USA मात्र Contact या travel हिस्ट्री के साथ लक्षणों के होने पर ही जांच कर रहे हैं ।

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ऐसे में कोरोना से मृत्यु कॉमन Nuerator है किंतु Denominator दोनों स्थिति में अलग है ।

ज़ाहिर है बिना लक्षणों के जांच पॉजिटिव आने पर भी हो सकता है उनमें हल्की बीमारी हो और उनका मृत्यु दर कम दिखेगा बनिस्पत लक्षणों के साथ जांच करने वालों के।
क्योंकि बहुत से केस हल्के फुल्के बुखार ,खांसी के बाद स्वतः ही ठीक हो चुके होंगे।

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डॉ अव्यक्त अग्रवाल की एफबी वॉल से।

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