इंडिया टी. वी. के उत्तर प्रदेश के स्ट्रिंगर भुखमरी की कगार पर पहुँच गए हैं… कोई सुनने वाला नहीं है… मैं इंडिया टीवी का काफी पुराना स्ट्रिंगर हूं. मैं १० सालों से इस चैनल में काम कर रहा हूं, वो भी ईमानदारी से. इधर ६ महीनों से इंडिया टीवी के स्ट्रिंगर की हालत काफी ख़राब है. इंडिया टीवी के अधिकतर असाइनमेंट के शिफ्ट इंचार्ज को निकाल दिया गया है. उसके बाद से उत्तर प्रदेश के स्ट्रिंगरों से खबर ही नहीं ली जाती.
स्ट्रिंगर सभी खबरों को, जो चैनल के हिसाब से की जाती हैं, शूट करके मेल करता है, आफिस के वाट्स ग्रुप में डालता है, लेकिन जवाब आता है सिर्फ ‘NO’. कभी कभी तो बड़ी बड़ी खबरें भी नहीं लेते. चैनल के हालत ये है कि 6 महीने से एक भी खबर नहीं ली गई.
इस बारे में अगर किसी शिफ्ट इंचार्ज से पूछा गया तो वो कोई जवाब न देकर फोन न करने को कहते हैं .अब तो स्ट्रिंगरों को आफिस के नंबर पर फोन भी नहीं आता. अगर कभी चैनल को किसी चीज की ज़रूरत पड़ी तो शिफ्ट इंचार्ज अपने पर्सनल मोबाइल से फोन करते है. यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश की ब्यूरो चीफ रूचि कुमार भी स्ट्रिंगरों को कोई सही जवाब नहीं देती हैं.
चैनल से निकाले जाने के डर के कारण कोई भी स्ट्रिंगर कुछ भी नहीं बोल रहा. सिर्फ शिफ्ट इंचार्ज से अपनी बात कह रहा. लेकिन शिफ्ट इंचार्ज भी स्ट्रिंगर को नौकर की तरह ट्रीट कर रहे हैं. स्ट्रिंगर को तो बोल भी दिया गया है कि अगर परेशानी है तो छोड़ दो. इसलिए स्ट्रिंगर और डरे हैं. ऐसा क्यों किया जा रहा, ये कोई भी बताने को तैयार नहीं है.
अब हालत ये है कि खबरें नहीं जाती तो पेमेंट नहीं बनता. लिहाजा स्ट्रिंगर को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. कुछ स्क्रीनशाट्स भेज रहा हूं, इंडिया टीवी यूपी के वाट्सअप ग्रुप का. खुद देखिये, हर स्ट्रिंगर की खबर पर ‘NO’ लिख कर दिया जा रहा।
यशवंत सर, आपसे और आपके पोर्टल से एक उम्मीद है. कृपया इस परेशानी को प्रकाशित करिये ताकि हम जैसे गरीब स्ट्रिंगरों का दर्द इंडिया टीवी प्रबंधन तक पहुंच जाए.
इंडिया टीवी के एक सीनियर स्ट्रिंगर द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Pradeep
December 7, 2019 at 4:38 pm
इंडिया टीवी में अब दलालों राज जो दलाली करके असाइनमेंट हैड को देगा उसकी स्टोरी चल जायेगी चाहे कोई No हो या yes क्योंकि असाइनमेंट हैड ने भी इतनी प्रॉपर्टी बना लिया है।