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सिर्फ कोलकाता ऐसा शहर है जहां अखबार के नाम पर सड़क का नाम है

: ”पत्रकारिता और भाषा की चुनौतियां” विषय पर कोलकाता में परिचर्चा सम्पन्न : कोलकाता : प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से ‘पत्रकारिता और भाषा की चुनौतियां’ पर परिचर्चा का आयोजन  विश्वविद्यालय के आचार्य जगदीश चंद्र बोस सेमिनार हॉल में किया गया। परिचर्चा में वक्ताओं ने पत्रकारिता के इतिहास से लेकर उसके मौजूदा स्वरूप पर गंभीर चर्चा की एवं जिज्ञासु छात्र-छात्राओं की शंकाओं को समाधान भी किया। बांग्ला के वरिष्ठ पत्रकार अशोक सेनगुप्त ने देश के पत्रकारिता के इतिहास में पश्चिम बंगाल के योगदान की ï विशेष तौर पर चर्चा करते हुए इस प्रदेश को कई भाषाओं की पत्रकारिता का जनक बताया।

<p>: <strong>''पत्रकारिता और भाषा की चुनौतियां'' विषय पर कोलकाता में परिचर्चा सम्पन्न</strong> : कोलकाता : प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से 'पत्रकारिता और भाषा की चुनौतियां' पर परिचर्चा का आयोजन  विश्वविद्यालय के आचार्य जगदीश चंद्र बोस सेमिनार हॉल में किया गया। परिचर्चा में वक्ताओं ने पत्रकारिता के इतिहास से लेकर उसके मौजूदा स्वरूप पर गंभीर चर्चा की एवं जिज्ञासु छात्र-छात्राओं की शंकाओं को समाधान भी किया। बांग्ला के वरिष्ठ पत्रकार अशोक सेनगुप्त ने देश के पत्रकारिता के इतिहास में पश्चिम बंगाल के योगदान की ï विशेष तौर पर चर्चा करते हुए इस प्रदेश को कई भाषाओं की पत्रकारिता का जनक बताया।</p>

: ”पत्रकारिता और भाषा की चुनौतियां” विषय पर कोलकाता में परिचर्चा सम्पन्न : कोलकाता : प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से ‘पत्रकारिता और भाषा की चुनौतियां’ पर परिचर्चा का आयोजन  विश्वविद्यालय के आचार्य जगदीश चंद्र बोस सेमिनार हॉल में किया गया। परिचर्चा में वक्ताओं ने पत्रकारिता के इतिहास से लेकर उसके मौजूदा स्वरूप पर गंभीर चर्चा की एवं जिज्ञासु छात्र-छात्राओं की शंकाओं को समाधान भी किया। बांग्ला के वरिष्ठ पत्रकार अशोक सेनगुप्त ने देश के पत्रकारिता के इतिहास में पश्चिम बंगाल के योगदान की ï विशेष तौर पर चर्चा करते हुए इस प्रदेश को कई भाषाओं की पत्रकारिता का जनक बताया।

उन्होंने कहा कि पूरे देश में कोलकाता ऐसा शहर है, जहां किसी अखबार (इंडियन मिरर) के नाम पर सड़क का नाम (इंडियन मिरर स्ट्रीट) है। लेखक व पत्रकार डॉ. अभिज्ञात ने अंग्रेजी व हिन्दी पत्रकारिता की तुलना करते हुए हिन्दी पत्रकारिता को कतिपय कमियों के बावजूद अधिक जनहितैषी व जनता से जुड़ा बताया। भाषा के संबंध में उन्होंने कहा कि आजादी के पूर्व प्राय: साहित्यकार ही पत्रकार हुआ करते थे और पत्रकारिता मिशन थी। अब पत्रकारिता का फलक विस्तृत हो चुका है और केवल साहित्य जानने से पत्रकारिता का काम नहीं चलेगा।

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हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तनुजा मजुमदार ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि समाचार पत्रों के प्रसार संख्या में वृद्धि हो रही है तो उन्हें अपनी भाषाई जिम्मेदारियों को भी ध्यान में रखना होगा। बदलते दौर में भाषा के प्रति समाचार पत्रों की प्रतिबद्धता नहीं दिखती है। भारतीय विद्या भवन स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के प्रिंसिपल समीर गोस्वामी ने कहा कि टीवी चैनलों को समाचारों देने के साथ साथ कार्यक्रम को रोचक बनाये रखने की भी चुनौती होती है। उन्होंने कहा कि अखबारों में प्रकाशित खबरें पहले ही टीवी पर आ चुकी होती हैं किन्तु समाचारों का विश्लेषण अखबार को प्रासंगिक बनाये रखता है। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ. ऋषि भूषण चौबे ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर डॉ. अनिंद्य गांगुली ने किया। वक्ताओं का परिचय पत्रकारिता पर शोध कर रहे जयप्रकाश मिश्र ने दिया। सेमिनार में प्रोफेसर डॉ. मैरी हंसदा समेत अन्य उपस्थित थे।

प्रेस विज्ञप्ति

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0 Comments

  1. एच. आनंद शर्मा, शिमल

    December 13, 2014 at 5:23 am

    जालंधर में भी है मिलाप अखबार के नाम पर मिलाप चौक। हालांकि मिलाप अखबार अब कहीं देखने को नहीं मिलता।

  2. एच. आनंद शर्मा, शिमल

    December 13, 2014 at 5:24 am

    जालंधर में भी है हिंदी मिलाप अखबार के नाम पर मिलाप चौक।

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