सैयद आसिफ़ अली-
दबाव डालने वाली एक मशीन होती है जिसे हाइड्रोलिक कंप्रेशर मशीन कहते हैं, इससे हज़ारों PSI का प्रेशर डालकर किसी भी चीज़ के दबाव सहने की क्षमता को नापा जाता है।
भारतीय मुसलमानों पर दशकों से ऐसी राजनैतिक हाइड्रोलिक कंप्रेशर मशीन द्वारा दबाव बनाया गया है, मगर मुसलमान टूटने को तैयार नहीं है। उसके दबाव सहने की क्षमता के सामने इनकी कंप्रेशर मशीन का प्रेशर ही जवाब दे चुका है।

मुसलमानों ने 1990 के दशक में आडवाणी की रथयात्रा और दंगों को बर्दाश्त किया, उसके बाद बाबरी की शहादत को बर्दाश्त किया, पोटा से लेकर यूएपीए जैसे कानूनों को सहा और सह रहा है, मगर फिर उठ खड़ा हुआ।
इस सरकार के आने के बाद माॅब लिंचिंग को बर्दाश्त किया, पिछले दो साल के रमज़ान में मुसलमानों की दोहरी आज़माइश हुई, कोरोना शुरू होते ही तब्लीग़ी जमात को लेकर पूरी क़ौम को कठघरे में खड़ा किया गया।
मुसलमानों ने वो दौर भी बर्दाश्त किया, उसके बाद सीएए और एनआरसी को लेकर मुसलमान डट गए। यही वजह है कि आज कोई भी भाजपा नेता किसी भी चुनाव में सीएए और एनआरसी का ज़िक्र करने से डरता है।
और अब इस रमज़ान में फिर से दोहरी आज़माइश हो रही है, धार्मिक जुलूसों में मस्जिदों के सामने भड़काऊ नारे लगाने के बाद हुई हिंसा के बाद सरकार का टूटा क़हर और फिर बुलडोजर के आतंक का सामना भी करना पड़ा है।
मगर इन सबके बाद मुसलमान फिर से उठ खड़ा हुआ है, सारे करतब आज़मा लिए मगर इस सरकारी हाइड्रोलिक कंप्रेशर मशीन के दबाव के सामने मुसलमान टूटने से फिर इनकार कर चुका है, अब ये हालत है कि कंप्रेशर मशीन के कलपुर्जे ही ढीले हो चुके हैं।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी !
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा !!
Comments on “सारे दबाव के बावजूद मुसलमान टूटने से इनकार कर चुका है!”
बक़वास मत करिए जनाब । आपकी हस्ती से सारा जहां वाकिफ है । जिहाद की आड़ में निर्दोषों को कत्ल करने वालो के हाथ इतने पंगु हो चले है कि अब वो शेरो शायरी करने लगे है । बर्दाश्त आपने नही हिंदुस्तान ने किया है अब तक । यही वजह है कि पूरी धरती पर कोई भी गैर इस्लामिक देश आपको बगैर प्रतिबंध के रहने की इजाजत देने से डरता है । हिंदुस्तान ने यह गलती कर दी जिसका खामियाजा आज देश भुगत रहा है । देश की आधी अर्थव्यवस्था जिहाद को कंट्रोल करने में लूट जा रही है । जिनकी वकालत आप कर रहे है वो तो इस देश मे पानी पीने के लायक भी नही है ।
कुछ भी लिख देते हैं …. मुस्लिमों को कोई नहीं मिटना चाहता है …. बस खुद मे थोड़ा बदलाव करना होगा … थोड़ा तार्किक ढंग से सोचना होगा … अपनी कुरीतियों से लड़ना होगा …. अपने अंदर का दुश्मन आपके सबसे बड़ा दुश्मन है उससे जीतने होगा…