हिंदी के दिग्गज और पुरोधा पत्रकार हैं आनंद स्वरूप वर्मा. ग्लैमर, पैसा और बाजार के आकर्षण से बिलकुल दूर अलग वे अपने पत्रकारीय मिशन में डूबे / लीन रहते हैं. आनंद स्वरूप वर्मा को अगर हिंदी पत्रकारिता का लौह पुरुष कहा जाए तो अनुचित न होगा. न जाने कितने झंझावात और उतार चढ़ाव आए, लेकिन उनका विजन, सरोकार और लक्ष्य नहीं बदला. वे ‘समकालीन तीसरी दुनिया’ मैग्जीन के जरिए आम जन के लिए पत्रकारिता को जीते रहे और सिस्टम को चुनौती देते रहे. आनंद स्वरूप वर्मा ने इस मैग्जीन की मदद से कई पीढियों को देश-दुनिया की हलचलों के पीछे की सरोकारी समझ से शिक्षित-प्रशिक्षित किया और बाजार के प्रभाव से दिमाग में निर्मित हो रहे वैचारिक झाड़-झंखाड़ और झालों को साफ कर जनता के प्रति प्रतिबद्धता को प्रतिष्ठित करने का काम अनवरत किया.
आनंद दा दुनिया के ढेर सारे देशों में घूमे. वहां से जनसत्ता अखबार समेत कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए रिपोर्टिंग की. वे अंतरराष्ट्रीय मामलों खासकर नेपाल और अफ्रीका के विशेषज्ञ पत्रकार के रूप में विख्यात हैं. इंजीनियरिंग के छात्र रहे आनंद स्वरूप वर्मा के पत्रकारिता में आने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. एक बलिष्ठ नौजवान जो अपने आसपास गलत काम कर रहे लोगों से लड़ने भिड़ने मारने पीटने को तत्पर रहता था, अचानक उसे एक रोज समझ आया कि असल दिक्कत सिस्टम में है, व्यक्ति तो इसकी उपज मात्र हैं. बलिया के रहने वाले आनंद जी के साथ उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए नोएडा सेक्टर 11 स्थित उनके आफिस पर एक लंबी बैठकी की गई. इसमें भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के साथ-साथ एक्टिविस्ट पत्रकार और जनपथ डॉट कॉम के संपादक अभिषेक श्रीवास्तव और वरिष्ठ पत्रकार विनय श्रीकर ने हिस्सा लिया. इस दौरान पूरी बातचीत बतकही को मोबाइल से रिकार्ड किया गया.
(तस्वीरें अभिषेक श्रीवास्तव के सौजन्य से)
सारी बातचीत बिना संपादित नीचे पेश किया जा रहा है, वीडियो फार्मेट में. वर्मा जी से उनका पसंदीदा गीत गवाया गया, साथ ही उनके जीवन से जुड़े ढेर सारे निजी सवालों को भी पेश किया गया. बिना चिढ़े, बिना हिचके, बिना रुके वर्मा जी ने हर सवाल का मुकाबला मुस्कराते हुए किया और दिल खोलकर बिंदास ढंग से बातचीत की. उनके साथ बैठना, बतियाना, सुनना अपने आप में किसी प्रशिक्षण से कम नहीं जिसके जरिए दिल दिमाग को उदात्त बनाकर बहुत कुछ सीखा महसूसा जा सकता है.
वर्मा जी के पास आगे के तीस वर्षों के लिए किए जाने वाले कामों की प्लानिंग है. वे 78 पार के हो चुके हैं, लेकिन उमर का असर उन पर दूर दूर तक नहीं. इसका राज / रहस्य भी उन्होंने बातचीत में खोला. उन्हें क्या पसंद है, किस चीज से चिढ़ है, मुश्किलें कौन सी आईं, अध्यात्म के प्रति क्या नजरिया है, चीन को लेकर क्या सोचते हैं, कम्युनिज्म का हालचाल कैसा है, प्रभाष जोशी को किस रूप में याद करते हैं, आधुनिक पत्रकारिता की हकीकत क्या है.. ढेरों … दर्जनों सवालों का तफसील से जवाब दिया आनंद दा ने.
इंटरव्यू तीन पार्ट में है और तीनों पार्ट को तसल्ली से सुना देखा जाना चाहिए. खासकर पत्रकारिता के छात्रों के लिए यह इंटरव्यू किसी प्रशिक्षण से कम नहीं जिससे वह अपने तईं जनसरोकारी पत्रकारिता को लेकर एक सोच-समझ बना सकते हैं. पत्रकारिता में सक्रिय नौजवानों के लिए यह इंटरव्यू एक रिफ्रेशर कोर्स की तरह है जिससे वह थोड़ा पॉज लेकर सोच सकते हैं कि आखिर वे किस स्तर की और कितनी पत्रकारिता कर पा रहे हैं. इंटरव्यू देखने से पहले आनंद स्वरूप वर्मा जी की मैग्जीन ‘समकालीन तीसरी दुनिया’ के आफिस का एक जायजा लेते हैं.
यहां उल्लेख करना जरूरी है कि आर्थिक संकट के कारण इस मैग्जीन का प्रकाशन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इस मैग्जीन का प्रकाशन लंबे समय से सिर्फ और सिर्फ पाठकों के चंदे / सहयोग से किया जा रहा है. इस मैग्जीन का प्रकाशन स्थगित किए जाने की सूचना से ढेर सारे वरिष्ठ-कनिष्ठ पत्रकार और शुभचिंतक दुखी हैं. इस मैग्जीन को लेकर भी ढेर सारे सवाल आनंद जी से किए गए और उन्होंने विस्तार से इस पत्रिका की पैदाइश, इसके दुख-सुख और इसको लेकर भविष्य की रणनीति पर चर्चा की.
सबसे पहले समकालीन तीसरी दुनिया के आफिस चलते हैं, क्लिक करिए इस यूट्यूब लिंक पर :
Office of ‘Samkaleen Teesri Duniya’
ये है इंटरव्यू के तीन पार्ट, एक-एक को बारी-बारी से क्लिक करते जाइए :
(Part One) Senior Journalist Anand Swaroop Verma Interview
(Part Two) Senior Journalist Anand Swaroop Verma Interview
(Part Three) Senior Journalist Anand Swaroop Verma Interview
इस इंटरव्यू पर आप अपनी प्रतिक्रिया आनंद स्वरूप वर्मा तक उनके मोबाइल नंबर 9810720174 या फिर उनकी मेल आईडी [email protected] के जरिए पहुंचा सकते हैं.