एक बड़ी चर्चा लखनऊ के गलियारों में तैर रही है. कहा जा रहा है कि बेबाक लिखने-बोलने वाले आईपीएस अधिकारी आईजी अमिताभ ठाकुर को जबरिया रिटायरमेंट देने की तैयारी केंद्र और राज्य की सरकारें कर रही हैं. इस बाबत अंदरखाने कागजी औपचारिकता पूरी की जा रही है.
ज्ञात हो कि अमिताभ ठाकुर ने यूपी में सपा और बसपा सरकारों के दौर में लगातार सिस्टम की गड़बड़ियों को उठाते रहें. उनके साथ उनकी पत्नी नूतन ठाकुर भी घपलों-घोटालों को विभिन्न मंचों पर ले जाकर सरकारों को आइना दिखाती रहीं.
कोर्ट से लेकर लोकपाल तक के सामने दर्जनों केसों के जरिए इस दंपति ने सरकार-सिस्टम के भ्रष्टाचार व भेदभाव के खिलाफ न सिर्फ आवाज उठाई बल्कि जीत भी हासिल की. इन दोनों को समय-समय पर सरकारों ने विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित करने की कोशिश की लेकिन ये लोग डटे रहे. अड़े रहे.
केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकारें आने के बाद ये उम्मीद थी कि अमिताभ ठाकुर को उनको बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी पर इन सरकारों ने भी पिछली सरकारों की माफिक इन्हें किनारे लगाए रखा. अब ताजी सूचना ये है कि अमिताभ ठाकुर को जबरिया रिटायर किए जाने की तैयारी है.
ऐसे में सवाल उठने लगा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की बात करने वाली केंद्र व राज्य की सरकारें क्या अब भ्रष्टाचारियों के आगे झुक गई हैं और ईमानदार अफसरों पर ही डंडा चलाने की तैयारी कर चुकी हैं?
ये सबको पता है कि सपा शासनकाल के खनन घोटाले को उजागर करने में सबसे बड़ी भूमिका ठाकुर दंपति की ही रही है. लोकपाल से लेकर कोर्ट के जरिए खनन घोटाले को परत दर परत इस दंपति ने खोला. इसके चलते इन लोगों को कई किस्म की धमकियों, मुकदमों को भी झेलना पड़ा था.
अगर ऐसे इमानदार व बेबाक अफसरों को अगर दंडित किया जाता है तो इससे साफ साफ मैसेज जाएगा कि ये भाजपा सरकारें कहती कुछ और हैं, करती कुछ और हैं. मतलब साफ है. भाजपा के लोग सत्ता में आकर बाकी सरकारों की तरह ही ईमानदारों का साथ छोड़कर बेइमानों का साथ पकड़ लेते हैं.