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उत्तर प्रदेश

टीवी9 भारतवर्ष के पत्रकार को बदनाम करने के लिए भाजपा नेता ने रची थी साजिश!

श्रीमान् प्रधान संपादक महोदय

भड़ास 4 मिडिया

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आदरणीय महोदय आपके द्वारा मेरे बारे में एक समाचार प्रकाशित किया गया है जिसमे आपने लिखा है कि “सरेआम गुंडई करने वाले टीवी9 के पत्रकार पर एफआईआर दर्ज”. इसकी सत्यता आपके सामने लाना अति आवश्यक है. मैं विगत 22 वर्षों से महोबा जनपद में पत्रकारिता जगत का हिस्सा हूँ और इस लंम्बे समय में मैंने प्रिंट तथा इलेक्ट्रानिक के बहुत सारे प्रतिष्ठित संस्थाओं में सेवाएं प्रदान की हैं. पत्रकारिता के कर्त्तव्य मूल्यों को ध्यान में रखकर हमेशा ये प्रयास किया है कि मेरी पत्रकारिता से उस तबके को न्याय मिले जो अन्याय का शिकार हुआ है! मेरी यही कार्यशैली उक्त पेट्रोल पंप मालिक को रास नहीं आयी!

एक व्यापारी से नवागंतुक बीजेपी नेता बने पंप मालिक शशांक गुप्ता को जब पार्टी का जिला मीडिया प्रभारी बनाया गया था तब उस समय इनके बारे में मैंने सोशल मीडिया में एक खबर जिसका शीर्षक था “मृतक चचेरे भाई का हक़ डकारने वाला भू माफिया कहे जाने वाले व्यापारी को बीजेपी ने सौंपी मीडिया प्रभारी की कमान” वायरल की थी जो पूरी तरह तथ्यात्मक और साक्ष्यों पर आधारित थी! इसके बाद भाजपा पार्टी में भी इनके पद को लेकर इनका विरोध शुरू हो गया था! यही बात नेता जी को नागवार गुज़री.

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चूँकि मैं किसी भी समाचार को व्यक्तिगत मुद्दा नहीं बनाता शायद यही वजह रही कि इस खबर के बाद मैं शशांक जी को मीडिया प्रभारी होने के नाते मिलता जुलता रहा! दिनांक 1 मई को मुझे पता चला कि जिला अस्पताल के दो कर्मचारी कोरोना पोस्टिव पाए गए हैं तो मैं खबर बनाने के लिए घर से निकला लेकिन कार में हवा कम थी. पहले मैं आल्हा चौक स्थित पेट्रोल पंप पहुंचा तो वहां हवा कम्प्रेशर नहीं था! चूँकि शहर के अंदर आल्हा चौक के बाद सबसे करीब पंप शशांक गुप्ता का पड़ता है लिहाज़ा जिला अस्पताल जल्दी पहुंचने की होड़ में मैं वहीं पहुँच गया!

मुझे क्या मालूम था कि अपने खिलाफ पूर्व में वायरल हुई खबर से रुष्ट नेता जी मेरे खिलाफ षणयंत्र किये बैठे हैं!

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मैंने पेट्रोल पंप पहुंचकर कर्मचारियों से कार में हवा डालने को बोला तो वो आपस में एक दूसरे को हवा डालने की बात बोलकर बात टालते रहे! मुझे खबर पर जाने की जल्दी थी तो मैंने उनसे कहा कि तुम लोग ग्राहकों के साथ ऐसे करते हो इससे तुम्हारे मालिक का नुकसान होगा, ग्राहक चला जायेगा! उस पर एक कर्मचारी ने अपने हाथ में चोट लगी होना बताया तो मैंने मौके पर घांस काट रहे दूसरे कर्मचारी से बोला कि वो कार में हवा डाल दे, तो वो अभद्रता करने लगा! इसके बाद मैंने उक्त फर्म में 25 सालों से काम कर रहे और मेरे परिचित सीनियर कर्मचारी मल्लन को कॉल करते हुए उक्त कर्मचारी की अभद्रता के बारे में शिकायत की और उसके कहने पर अपने ही मोबाइल से सीनियर कर्मचारी की बात उस कर्मचारी से भी करवाई!

मेरे मोबाइल से बात कर रहा वह कर्मचारी मेरे लिए जब गालियों का प्रयोग करने लगा तो मैंने मोबाइल छीना तथा उसे पकड़कर गाड़ी में बैठने और कोतवाली चलने को कहा जो शायद हर सुलझा व्यक्ति करता! लेकिन चूंकि इस घटनाक्रम की पटकथा पहले से लिखी जा चुकी थी इसलिए उक्त कर्मचारी ने मुझ पर जान से मारने की नीयत से पास में ही रखी घांस काटने वाली कैंची उठा ली और मेरी तरफ लपका. मैंने पहले अपना बचाव किया और इसी बचाव की कवायद में उसे एक थप्पड़ मार दिया!

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पीछे से आये एक अन्य कर्मचारी ने उससे कैंची छुड़ाई, जिसके बाद में वो मुझसे लिपट गया और हम दोनों पट्टी में गिर गए!

ये पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी फुटेज में कैद है. कोई भी गौर से देखेगा तो मेरी बात की सत्यता स्पष्ट हो जाएगी!

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मेरे विरुद्ध शिकायती पत्र में जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल का जो आरोप लगाया है उसकी सच्चाई कोई भी आसानी से परख सकता है. यदि मैं उस कर्मचारी से पूर्व परिचित होता तो क्या मुमकिन था कि वह मेरे साथ अभद्रता करता और विवाद आगे बढ़ता. जब मैं उसे जानता ही नहीं तो मुझे कैसे पता होगा कि वह किस जाति का है और जब उसकी जाति मालूम ही नहीं थी तो भला मेरे द्वारा उसे जाति सूचक शब्द कैसे प्रयोग किये जायेंगे. ये सिर्फ मनगढंत और पूरी तरह असत्य कहानी है, जो मुझे फ़साने और पुरानी खुन्नस निकालने की गरज से रची गयी थी!

इतनी घटना के बाद मैंने शहर कोतवाल महोदय को फ़ोन पर खुद के साथ घटी घटना की जानकारी दी. साथ ही उस सीनियर कर्मचारी मल्लन को भी फ़ोन से अवगत कराया! थोड़ी देर में भटीपुरा चौकी में तैनात एसआई मुबीन एक सिपाही के साथ मौके पर आ गए. उनके अलावा मल्लन सहित पंप मालिक शशांक गुप्ता भी आ गए! इसके बाद मैं कोतवाली गया और अपने साथ घटी घटना की तहरीर दी! लेकिन शशांक गुप्ता के निवेदन करने पर मैंने बात ख़त्म कर दी. मुझे जरा सा आभास नहीं हुआ कि शशांक गुप्ता का यह ड्रामा पूर्व नियोजित है! एक दिन बीत जाने के बाद तीसरे दिन शशांक गुप्ता ने मेरे विरुद्ध अपने कर्मचारी संजय से तब तहरीर दिलवाई जब मैं कोरोना टेस्ट कराकर होम कोरन्टाईन हो गया! अब आप स्वतः समझ सकते हैं कि मेरे साथ जो कुछ हुआ वो असल में पूर्व नियोजित षणयंत्र था!

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रही बात मेरी वर्दी में फोटो की तो वो मेरे द्वारा एक सामाजिक फिल्म “लैपटॉप” में किये गए एक किरदार की है जिसका साक्ष्य उस मूवी की वीडियो क्लिप है जो आपको भेज रहा हूँ!

महोदय मैं आपका ध्यान इस ओर भी आकृष्ट करना चाहता हूँ कि मेरी उम्र 42 वर्ष है और आज तक मेरे खिलाफ शहर क्या बल्कि देश के किसी भी पुलिस थाने में एक एनसीआर तक दर्ज नहीं है! षणयंत्र रचने वाले पंप स्वामी का इतिहास मुकदमों से भरा पड़ा है और जिस आशीष सागर की रिपोर्ट आपके द्वारा प्रकाशित की गयी है उस पर बाँदा जनपद के सदर कोतवाली, नरैनी, कोतवाली अतर्रा कोतवाली सहित अन्य कई थानों में गंभीर धाराओं में मुक़दमे पंजीकृत हैं!

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मैं वही इसरार पठान हूँ जिसने लॉक डाउन लगने के बाद अपनी संस्था मलक फाउंडेशन के माध्यम से 1000 परिवारों को बिना किसी भेद भाव और निश्छल मन से राशन किट बांटी हैं!

धन्यवाद

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इसरार पठान

टीवी पत्रकार

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महोबा


मूल खबर-

सरेआम गुंडई करने वाले टीवी9 के पत्रकार पर एफआईआर दर्ज

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10 Comments

10 Comments

  1. आशीष सागर

    May 7, 2020 at 10:59 pm

    इसरार की खबर हमने दी है। वो भी एफआईआर दर्ज होने के बाद वीडियो सहित। उसके भाई पर जो आरोप लगाए उसका पीडीएफ भी मेल में भड़ास को भेजा है। शेष सफाई में इसरार ने जो कहा वह विवेचना का हिस्सा है। रही बात हमारे ऊपर मुकदमे की तो 6 मुकदमे वर्ष 2010 के बाद पूर्व बसपा मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी के साले मुमताज अली के बाद से अब तक सदर विधायक बीजेपी के गुर्गों ने उन्हें लिखने, बेनकाब करने,लोकायुक्त के द्वारा सीबीआई, विजलेंस जांच करवाने के आरोप में लिखे और उनमें अंतिम रिपोर्ट लगी। एक मे दो बार लगी और उच्चन्यायालय तक मे उन्हें मुंह की खानी पड़ी। वर्ष 2016 में बाँदा के 32 पत्रकारों का लेखा जोखा लखनऊ से प्रकाशित पत्रिका दृष्टांत में 6 पेज लिखा पत्रकारिता की चारागाह में बुन्देली खबरदार उसमें खिसियाने पर पत्रकार एसपी, डीएम के पास गए तब भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी। बाँदा का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिंडिकेट जो बालू का रुपया खाकर चार पहिया गाड़ी, बुलेट,आईफोन से लैस है उन्हें सड़क में चलने वाला आदमी क्यों रास आएगा ? महोबा में इसरार का साला कोरोना पाजीटिव निकला जिसकी ये बात किये वह तब्लीगी जमात वाला मसला था लेकिन हमने उसको समाज के मद्देनजर खबर में नही लिखा। हम पर 6 मुकदमे लिखने के बाद भी पुलिस ने हमारा साथ दिया तो कुछ तो सच रहा होगा। सत्यमेव जयते के लिये एक क्या हजार पत्रकार चालबाजी करे,मुकदमे लिखवा के थक ले लेकिन असत्य केखिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। भड़ास ने भी कभी ‘ भड़ास सरोकार मीडिया एवार्ड’ इसलिए दिया था। https://www.bhadas4media.com/israr-pathan-ke-khilaf-sajish/

  2. ज़ियाउल हक़

    May 7, 2020 at 11:13 pm

    इरफान पठान को हम विगत 5 वर्षों से जानते हसीन ये नेक दिल और ईमानदार छवि के पत्रकार हैं। ऐसे लोगो को बदनाम करना कलमकारों की छवि को धूमिल करने जैसा है। चित्रकूट प्रेस क्लब इस घटना किं निंदा करता है। : प्रवक्ता चित्रकूट प्रेस क्लब

  3. ज़ियाउल हक़

    May 7, 2020 at 11:16 pm

    इसरार पठान को हम विगत 5 वर्षों से जानते हसीन ये नेक दिल और ईमानदार छवि के पत्रकार हैं। ऐसे लोगो को बदनाम करना कलमकारों की छवि को धूमिल करने जैसा है। चित्रकूट प्रेस क्लब इस घटना किं निंदा करता है। : ज़ियाउल हक़, प्रवक्ता चित्रकूट प्रेस क्लब

  4. मनीष चौरसिया

    May 7, 2020 at 11:20 pm

    इसरार जी महोबा के वरिष्ठ पत्रकार है इनकी लेखनी के लोग कायल रहे है..इन्हें कभी भी कोई विवादित नही कह सकता ये जरूर कोई साजिश है..मैं आशा करता हूं कि इनको जरूर न्याय मिलेगा।

  5. anis mansuri

    May 7, 2020 at 11:24 pm

    इसरार सर को पूरा महोबा जानता है गरीबों के लिए इन्होंने लॉकडाउन के दौरान बहुत मदद की,हर गरीब तक राशन इनके द्वारा पहुंचाया गया,पत्रकारिता में भी ये सभी लोगो से स्नेह बनाकर रखते है,इनके ऊपर लगा आरोप बेवजह लगता है,शायद यहीं सत्ता की हनक है,पत्रकारिता करना भी अब आसान नही है..इसरार सर के साथ अन्याय हुआ है

  6. आशीष सागर

    May 8, 2020 at 8:55 am

    इसरार की खबर हमने दी है। वो भी एफआईआर दर्ज होने के बाद वीडियो सहित। उसके भाई पर जो आरोप लगाए उसका पीडीएफ भी मेल में भड़ास को भेजा है। शेष सफाई में इसरार ने जो कहा वह विवेचना का हिस्सा है। रही बात हमारे ऊपर मुकदमे की तो 6 मुकदमे वर्ष 2010 के बाद पूर्व बसपा मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दकी के साले मुमताज अली के बाद से अब तक सदर विधायक बीजेपी के गुर्गों ने उन्हें लिखने, बेनकाब करने,लोकायुक्त के द्वारा सीबीआई, विजलेंस जांच करवाने के आरोप में लिखे और उनमें अंतिम रिपोर्ट लगी। एक मे दो बार लगी और उच्चन्यायालय तक मे उन्हें मुंह की खानी पड़ी। वर्ष 2016 में बाँदा के 32 पत्रकारों का लेखा जोखा लखनऊ से प्रकाशित पत्रिका दृष्टांत में 6 पेज लिखा पत्रकारिता की चारागाह में बुन्देली खबरदार उसमें खिसियाने पर पत्रकार एसपी, डीएम के पास गए तब भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी। बाँदा का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सिंडिकेट जो बालू का रुपया खाकर चार पहिया गाड़ी, बुलेट,आईफोन से लैस है उन्हें सड़क में चलने वाला आदमी क्यों रास आएगा ? महोबा में इसरार का साला कोरोना पाजीटिव निकला जिसकी ये बात किये वह तब्लीगी जमात वाला मसला था लेकिन हमने उसको समाज के मद्देनजर खबर में नही लिखा। हम पर 6 मुकदमे लिखने के बाद भी पुलिस ने हमारा साथ दिया तो कुछ तो सच रहा होगा। सत्यमेव जयते के लिये एक क्या हजार पत्रकार चालबाजी करे,मुकदमे लिखवा के थक ले लेकिन असत्य केखिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। भड़ास ने भी कभी ‘ भड़ास सरोकार मीडिया एवार्ड’ इसलिए दिया था। गौरतलब है कि टीवी 9 पत्रकार इसरार पठान महोबा का भाई इरफान पठान ( पत्रकार ) नरैनी में फर्जी निवास प्रमाण पत्र / वोटर आईडी के महोबा रहवासी होते हुए भी कसाई खाने का लाइसेंस लिया बाद में कार्यवाही हुई। पत्रकार इरफान या इसरार एक उदाहरण है मीडिया के की भारत मे पत्रकार कसाई खाने भी चलाते है।पेट्रोल पम्प में जब इनका विवाद हुआ था तब मामला थाने गया उसके बाद इसका भाई इरफान पहुंचा तो थाने में दलित को पुलिस के सामने इरफान ने फिर मारा। इसरार नरैनी में स्कूल चलाता था उसकी वैन में कई बच्चे जिन्दा जल कर मर गए थे जब ये वहां से भागा। https://www.bhadas4media.com/bhadas-media-sarokar-award-five/ and https://www.bhadas4media.com/pic-bhadas-award/ https://www.bhadas4media.com/israr-pathan-ke-khilaf-sajish/

  7. Rajesh Pandey

    May 8, 2020 at 10:47 am

    आशीष जी भी बांदा ही नही प्रदेश के वरिष्ठ एवं जागरूक पत्रकार है , समय समय पर सामाजिक एवं जनहितके मुद्दे उठाते है जिससे कुछ व्यक्ति व्यक्तिगत खुन्नस रखते है , अगर इन्होने कुछ लिखा है तो जांच अवश्य होनी चाहिये जिससे सम्भावनाओ पर विराम लगे।

  8. आशीष अग्रवाल

    May 8, 2020 at 2:57 pm

    महोबा की पत्रकारिता में इसरार जी को लोग अपना आदर्श मानते है,उनके द्वारा हमेशा गरीबों की मदद की जाती है और उनकी लेखनी न्याय के लिए जानी जाती है,ऐसे आपको उनपर एक साजिश के तहत लगे है महोबा की मीडिया इसकी निंदा करती है..यदि वरिष्ठ पत्रकार को न्याय नही मिला तो सभी पत्रकार एकजुट होकर इसकी लड़ाई लड़ेंगे। मामले को कुछ लोग राजनैतिक रंग दें है,इस तरह यदि पत्रकारों को बदनाम किया जायेगा तो पत्रकार कैसे लोगो के न्याय की आवाज उठा पायेगें।

    आशीष अग्रवाल

  9. Ramesh

    May 8, 2020 at 3:13 pm

    चौथी दुनिया जैसे बड़े अखबारों में काम कर चुके इसरार पठान महोबा के उन पत्रकारों में आते है जिनकी लेखनी पर कभी सवाल खड़े नही हुए इनके द्वारा कई ऐसे मामलों को उठाया गया जिसका नतीजा यह है कि उनके कई विरोधी भी बन गए है शायद उन्ही के षणयंत्र का उन्हें शिकार बनना पड़ा है। ये वक्त आरोप लगाने के नही बल्कि उन्हें न्याय दिलाने की होनी चाहिए। पत्रकारिता में नया हूँ पर जितना समझा और देखा है वो यहीं कि हमारे वरिष्ठ साथी पर लगे आरोपों में साजिश की बू आ रही है। एक कर्मचारी पत्रकार को मां-बहन की गाली बक कर अपमानित करें उस पर जानलेवा हमला करें और बचाव में मारपीट हो तो उसे रंग देकर बढ़ाया जाए इसमे कोई न कोई साजिश है। इस साजिश से पर्दा उठाने कर लिए सभी पत्रकार अब एक मंच में आने का मन बना चुके है। न्याय के लिए पत्रकार भी अब एकजुटता दिखाएंगे।

  10. अजय अनुरागी

    May 8, 2020 at 4:20 pm

    इसरार पठान जी को मै बहुत अच्छी तरह से जनता हूँ इसरार जी महोबा के वो व्यक्ति हैं जो कोविड 19 महामारी आपदा में जिन्होंने महोबा के वो गरीब मजलूम जो लॉक डाउन में एक वक्त की रोटी तलाश रहे थे जिन्हें मजदूरी भी कहीं नही मिल रही थी ऐसी विषम परिस्थिति में इसरार जी ने अपनी संस्था के माध्यम से उन सैकड़ों गरीब परिवारों को जाति धर्म से हटके दो वक्त की रोटी मुहैया कराई मैं उनके इस पुनीत कार्य का साक्षी हूँ इसरार भाई विवादित व्यक्ति नही हैं इनके ऊपर मिथ्या आरोप लगा कर झूठा मुकदमा पंजीकृत कराया गया है जो गलत है,,सूचना मिलने पर हम भी मौके पर पहुंचे थे जहां कोतवाली में पम्प मालिक और बीजेपी नेता शशांक ने अपने कर्मचारी की गलती स्वीकार कर मामले को राजीनामे से खत्म किया था इस दौरान महोबा के कई पत्रकार मौजूद थे। बाकी लगाए जा रहे आरोप सभी बेबुनियाद है। इसरार जी ने अपने ऊपर हुए जनलेवा हमले का बचाव किया था जो वीडियो में समझा जा सकता है। कोतवाली में इन्हीं बीजेपी नेता शशांक ने पत्रकारो से कर्मचारी की गलती की माफी भी मांगी थी जिस पर मामला खत्म किया गया था। फिर दो दिन बाद साजिशन मामले को रंग देकर मुकदमा लिखाया गया क्योंकि अब पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा लिखना आसान हो गया। मैं कई वर्षों से इसरार जी को जानते है वो किसी मामले को व्यक्तिगत नही लेते उनके साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार और जानलेवा हमला हुआ था और उनके द्वारा बचाव में ये मामला घटा।

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