Soumitra Roy-
बीजेपी IT सेल के टैलिप्राम्प्टर कल से समझा नहीं पा रहे हैं। IT सेल के वन नेशन, वन वॉइस और वन स्क्रिप्ट में रेंकने वाले इन महानुभावों की भी अब बोलती बंद है। जब लंका लगी हो और चौतरफा डंका बज रहा हो तो इन 2 रुपये के ट्वीट्स की क्या बिसात?
Sheetal P Singh-
कालिदास… क्रोनी कैपिटल और RSS द्वारा जवाहरलाल नेहरु और डा॰ मनमोहन सिंह के विकल्प के रूप में प्रस्तुत किये गये हमारे समय के कालिदास अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में लंतरानी हांकने के लिए भी टेलीप्रांम्पटर पर निर्भर हैं । किसी तकनीकी ख़राबी के चलते यदि टेलिप्रांप्टर दगा दे गया तो हुज़ूर की ज़बान तालू से चिपक जाती है!
दुर्भाग्य यह है कि जातिवादी श्रेष्ठता और संप्रदायवादी घृणा की परवरिश में तैयार हुआ देश का उच्चजातीय मध्यवर्ग इनमें अपना उद्धारक ढूँढ रहा है और हर सच्ची सूचना के निषेध के लिए वह व्हाट्सएप ज्ञान और क्रोनी कैपिटल नियंत्रित मीडिया पर आश्रित है जबकि व्हाट्सएप ज्ञान और मीडिया को कंटेंट सप्लाई करने वाला कारख़ाना एक ही है !
मामला खुलते ही कारखाने के संचालकों ने तुरंत डैमेज कंट्रोल करने के लिए टूल किट पर सफाई जारी की जो ट्विटर पर कापी पेस्ट की जा रही है।
Manoj Tiwari–
मोदी का आभामंडल एक मायाजाल है। यूँ तो मोदी की छवि एक कुशल वक्ता की है। लेकिन सच यही है कि यह कुशलता टेलीप्रॉम्प्टर की है जिसके मोहताज हैं मोदी। टेलीप्राम्पटर हट जाए फिर मोदी बग़लें झांकने लगते हैं।
कल विश्व आर्थिक मंच (WEF) में बोलते हुए प्रधानमंत्री के टेलीप्रॉम्प्टर में अचानक गड़बड़ी आ गयी और मोदी बेबस हो गए। तकनीक के बिना अंतिम वाक्य ‘टेम्परामेंट और हम भारतीयों का टैलेंट जिस…’ को भी पूरा न कर सके। अब सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल है।
लेकिन मोदी की सच्चाई यही है। यहाँ होता कुछ और है, दिखता कुछ और है। संभवतः यही कारण है कि मोदी सार्वजनिक संवाद से बचते नज़र आते हैं।
टेलीप्रॉम्प्टर के सहारे घंटों अच्छा भाषण देने वाले मोदी सवाल-जवाब, संवाददाता सम्मेलनों से भागते रहे हैं। हाँ सेट इंटरव्यू जहाँ सवाल-जवाब पहले से तय हों, से उनकी छवि को बनाए रखने का प्रयास होता है। ‘मन की बात’ जैसे एकतरफ़ा संवाद से इस भ्रम को क़ायम रखा जाता है।
सात सालों से अधिक समय तक प्रधानमंत्री बने रहने वाले मोदी इकलौते प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने कोई संवाददाता सम्मेलन नहीं किया सिर्फ़ एक अपवाद को छोड़कर जहाँ वह अमित शाह के साथ रिपोर्टरों के सामने बैठे थे। परन्तु जब उनसे सवाल हुए तो उन्होंने खुद जवाब न देकर अमित शाह की ओर इशारा कर दिया। जब अधिकांश मीडिया उनके अनुकूल काम करती हो तब भी प्रेस कांफ्रेंस से बचना उनकी मजबूरी लगती है। यह डर है कि एजेंसियों और तमाम हथकंडों के दम पर गढ़ी गई छवि कहीं टूट न जाए। संसाधनों के सहारे बना आभामंडल बिखर न जाए।
यही कारण है कि ऐसी कोई चूक होने पर भाजपा का आईटी सेल उस आभामंडल के बचाव में पूरी ताक़त से उतर जाता है।
संलग्न तस्वीर देखिए… ये उस आभामंडल को बचाने और बनाए रखने की क़वायद है। सैंकड़ों-हज़ारों ट्वीट हुए बचाव में लेकिन सब एक ही जैसे… समान शब्दों में हू-बहू!
यह मायाजाल ही तो है जिसमें अलग-अलग लोग अलग-अलग जगहों से एकदम से एक ही ट्वीट करते हैं।
समझिए कि कितनी मेहनत से बजता है- डंका!!
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prashant
January 19, 2022 at 2:00 pm
Ye hamare desh ka durbhagya hai ki ham log kisi vayakti virodh me ees nichata par uatar aaye hain ki samanya “Human Error” ko bhi aise uchal rahe hai jaise ki koi deshdrohi kaand ho gaya ho.. Virod kiska Desh ke Prime Minister ka”.
Jis samay ye ghatna huyee us samay PM kisi chunavi rally ko nahi address kar rahe the balki ek international stage per apni baat kah rahe the. To, us samay wo vyakti “MODI” aapka personal dushman nahi ees desh ke PM ki haisiyat se bol rahe the.
Aap log jis Congress ki sarkar ke hai na us Congress ke 10 varsho tha PM rahe Dr. Manmohan singh ek bhi speech bina dekhe nahi bolte the. yakeen na ho to bagle jhank kar dekh liziye.
Ees hasyaspad lekh or lekho se aap log ham Public ki nazar me sirf hasi ke patra bante hai.
Main vyaktigat nahi hona chahta tha lekin scholar type logo se aise vichar ki ummeed nahi hoti.